रांची: झारखंड की सियासत में सुनामी आई हुई है। कोल्हान की सात सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने आपरेशन कोल्हान शुरू कर दिया है। इसके तहत, ऐसी रणनीति बनाई गई है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी हर हाल में इन सात सीटों पर विजयी बन कर उभरे। बाकी की सात सीटों को जीतने के लिए भी एड़ी-चोटी का जोर लगाया जाएगा। इसके लिए पार्टी इस इलाके में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को झोंक देगी। इनमें चंपई सोरेन, अर्जुन मुंडा और रघुवर दास शामिल हैं। रघुवर दास के बारे में दिल्ली में हाई डिस्कशन चल रहा है। पार्टी इस पर विचार कर रही है कि रघुवर दास को खुल कर सामने लाया जाए या फिर बैक डोर से। रघुवर को अगर खुल कर सामने लाने का फैसला हुआ तो फिर उन्हें ओडिशा में राज्यपाल के पद से इस्तीफा दिलाया जाएगा। वरना, वह राज्यपाल बने रहते हुए कोल्हान में अपने लाेगों के जरिए अपने सियासी तरकश के तीर चलाएंगे। चंपई और अर्जुन मुंडा खुल कर मोर्चा संभालेंगे। पार्टी कोयला घोटाले में सजायाफ्ता मधु कोड़ा को भी मोर्चे पर लगाने जा रही है। मधु कोड़ा को चाईबासा जिले की सीटों के लिए लाया गया है। सूत्र बताते हैं कि मधु कोड़ा अपनी पत्नी गीता कोड़ा को भी विधानसभा चुनाव में उतारना चाहते हैं। वह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को यह समझाने में लगे हैं कि लोकसभा चुनाव में भले ही वह गच्चा खा गए मगर, विधानसभा में सीट निकाल लेंगे।
झामुमो संगठन में तोड़फोड़ करने का है प्लान
भाजपा ने जो प्लान बनाया है उसमें चंपई सोरेन को झामुमो के स्थानीय संगठन में तोड़फोड़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है। चंपई से कहा गया है कि जितने अधिक से अधिक झामुमो के सिपाहियों को तोड़ कर भाजपा में लाया जाए उतन ही अच्छा है। चंपई सोरेन अपने इस काम में जुट गए हैं। इसे लेकर झामुमो के कैडर पर हमला बोल दिया गया है। पोटका, घाटशिला, सरायकेला समेत जहां जहां भी उनका असर झामुमो के स्थानीय पदाधिकारियों से बात चल रही है। जल्द ही कार्यक्रम आयोजित कर झामूुमो के कैडर को भाजपा की तरफ लाया जाएगा। पोटका से इसकी शुरुआत हो गई है। शंकर मुंडा सहित पोटका के कई झामुमो कार्यकर्ताओं ने चंपई सोरेन के साथ जाने का एलान कर दिया है।
झामुमो में है खामोशी
भारतीय जनता पार्टी एक के बाद एक कर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों को अपने पाले में कर रही है। इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा अभी खामोश है। हालांकि, माना जा रहा है कि तूफान के आने से पहले की यह खामोशी है। भारतीय जनता पार्टी के थिंक टैंक ने झारखंड जीतने के लिए जो प्लानिंग की है, आज हम उसे डी-कोड करेंगे। भाजपा का फोकस एरिया कोल्हान और संथाल है। आज हम आपको बताएंगे कि भारतीय जनता पार्टी कोल्हान में एनडीए के सुखाड़ को खत्म करने के लिए मुख्य रूप से किन सात सीटों पर फोकस कर रही है और क्या है उसकी रणनीति? सभी सात सीटों की गणित भी हम आपको बताएंगे।
कोल्हान की 14 सीटों पर लागू हो रहा भाजपा का प्लान
कोल्हान में झारखंड विधानसभा की कुल चौदह सीटें हैं। कोल्हान की धरती राजनीतिक रूप से काफी उर्वरक रही है। इसी धरती ने झारखंड को चार-चार मुख्यमंत्री दिए। लेकिन, 2019 में जब केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा की सरकारें थी, देश भर में मोदी फैक्टर और राम मंदिर की लहर थी, उस वक्त भी कोल्हान की जनता ने एनडीए का सफाया कर दिया। यहां भारतीय जनता पार्टी जीरो पर आउट हो गई। इस जीरो को अब सम्मानजनक अंक में बदलने की तैयारी की गई है। अगर 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करेंगे, तो इसकी खूब चर्चा होती है कि भाजपा कोल्हान में अपना खाता नहीं खोल पाई थी। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि कोल्हान के 14 में से 12 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी। जबकि एक सीट पर आजसू और एक सीट पर बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि भाजपा का यह प्रदर्शन तब था जब रघुवर सरकार के प्रति एन्टी-इनकंबेंसी के साथ-साथ जेवीएम और आजसू की वजह से वोटों का खूब बिखराव हुआ था। आज परिस्थितियां ऐसी हैं कि झारखंड विकास मोर्चा का भाजपा में विलय हो चुका है। बाबूलाल मरांडी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं तो आजसू भी NDA के साथ होकर विधानसभा चुनाव साथ लडने की तैयारी कर रही है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों को लगता है कि अगर कोल्हान पर पूरा फोकस कर दिया जाए तो कम से कम वैसी सीटें तो जरूर जीती जा सकती हैं, जहां जीत-हार का अंतर कम रहा है। वहां आजसू-जेवीएम के कारण वोटों का बिखराव अधिक हुआ है।
कोल्हान की सात सीटें, जहां से भाजपा को है जीत की उम्मीदें
जुगसलाई विधानसभा सीट
2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू के उम्मीदवार की वजह से त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। तब 88581 वोट पाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के मंगल कालिंदी ने भाजपा के उम्मीदवार मुचिराम को21934 वोटों के बडे अंतर से हराया था। यहां पर भाजपा को 66447 वोट मिला था। 2019 में जुगसलाई में भाजपा की हार की मुख्य वजह आजसू उम्मीदवार रामचंद्र सहिस बने थे। उन्हें 46 779 वोट मिला था। आजसू और भाजपा का वोट अगर एक रहता तो रिजल्ट अलग रहता। इस बार यह सीट आजसू के खाते में जा रही है।
जगन्नाथपुर विधानसभा सीट
कोल्हान क्षेत्र की वीआईपी सीटों में से एक जगन्नाथपुर सीट पर 2019 में महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में सोनाराम सिंकू ने जेवीएम के मंगल सिंह बोबोंगा को हराया था। तब कांग्रेस प्रत्याशी सोना राम सिंकू को 32499 वोट मिले थे। इस सीट से जेवीएम प्रत्याशी बोबोंगा कुल 20893 वोट पाकर 11600 वोट से चुनाव हार गए थे। भाजपा उम्मीदवार सुधीर कुमार 16450 वोट पाकर तीसरे जबकि आजसू प्रत्याशी मंगल सिंह सुरीन चौदह हजार दो सौ तेइस वोट पाकर चौथे स्थान पर रहे थे। यह नतीजा तब का है जब कोड़ा दंपती यानी गीता कोड़ा और मधु कोड़ा कांग्रेस में थे। आज यहां की राजनीतिक परिस्थितियां एकदम बदली हुई हैं। गीता कोड़ा और मधु कोड़ा भाजपा में हैं, तो जेवीएम का भाजपा में विलय हो गया है। आजसू भी इस बार भाजपा के साथ है। यही कारण है कि इस सीट से भाजपा 2019 के परिणाम को बदलने की सोच रही है.
मनोहरपुर विधानसभा सीट
इस सीट परंपरागत रूप से झामुमो की मजबूत सीट मानी जाती रही है। जोबा मांझी कई बार यहां से विधायक रही हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में वह 50945 वोट लाकर 16019 वोटों से जीत पाई थीं। यहां पर बीजेपी उम्मीदवार को 34936 वोट मिले थे। तब आजसू उम्मीदवार के रूप में बिरसा मुंडा ने 13068 वोट पाए थे। जबकि जेवीएम उम्मीदवार सुशीला टोप्पो को 65057 वोट मिले थे। अगर भाजपा, आजसू और जेवीएम के वोटों को मिला दें तो यह झारखंड मुक्ति मोर्चा उम्मीदवार को हासिल वोटों से अधिक हो जाता है। पिछली बार वोटों का बिखराव काफी अधिक हुआ था।
चक्रधरपुर विधानसभा सीट
2019 के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद चक्रधरपुर सीट इसलिए बेहद चर्चा में आ गई थी। क्योंकि यहां से तत्कालीन झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। उनकी हार हो गआ थी. तब भाजपा प्रत्याशी के रूप में लक्ष्मण गिलुआ को 31598 वोट मिले थे और चतुष्कोणीय मुकाबले में उनकी झामुमो प्रत्याशी सुखराम उरांव के हाथों 12234 वोटों से हार हुई थी।
सुखराम उरांव को 43832 वोट मिले थे, जबकि बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार शशिभूषण सामद को 17488 वोट और सुदेश महतो की आजसू पार्टी के उम्मीदवार रामलाल मुंडा को 17232 वोट मिले थे। आंकडे यह बताने के लिए काफी हैं कि तब लक्ष्मण गिलुआ की हार की वजह आजसू और झारखंड विकास मोर्चा ही बनी थी।
ईचागढ़ विधानसभा सीट
भाजपा और NDA को पूरी उम्मीद है कि कोल्हान की महतो बहुल इस सीट पर भी पार्टी इस बार परिणाम अपने पक्ष में कर लेगी। इसकी वजह भी है। 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सविता महतो ने सिर्फ 29.41 प्रतिशत वोट पाकर भी इसलिए जीत गई थीं। क्योंकि तब आजसू के अलग चुनाव लड़ने से वोटों का जबरदस्त बिखराव हुआ था।
महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में सविता महतो को 57546 वोट मिले थे और वह18710 मतों से जीत गयीं थीं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस चुनाव में आजसू उम्मीदवार हरेराम महतो 38836 वोट पाकर दूसरे और भाजपा उम्मीदवार साधु चरण महतो 38485 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे। एनडीए इस बार इंटैक्ट है, इसका असर इस सीट पर भी पड़ेगा।
जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट
2019 के विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी सीट से मुख्यमंत्री रघुवर दास की हार हो गई थी। तब उनके ही मंत्रिमंडल के सहयोगी रहे सरयू राय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 73945 वोट पाकर रघुवर दास को 15833 मतों से हराया था। तब जेवीएम उम्मीदवार अभय सिंह को 11772 जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार गौरव बल्लभ को 18976 वोट मिले थे।
भाजपा के थिंक टैंक कहे जाने वाले नेताओं को लगता है कि यह सीट परंपरागत रूप से भाजपा की रही है और तत्कालीन क्षणिक कारणों की वजह से भाजपा की जमशेदपुर पूर्वी सीट से हार हुई थी। अब वर्तमान विधायक सरयू राय भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड में चले गए हैं। तो गौरव बल्लभ भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। जेवीएम का भी बीजेपी में विलय हो गया है। ऐसे में इस सीट को NDA के खाते में आने वाली सबसे सेफ सीट माना जा रहा है।
सरायकेला विधानसभा सीट
पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कद्दावर आंदोलनकारी नेता चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद अब भाजपा को इस सीट को जीत लेने की उम्मीद काफी बढ़ गयी है। महागठबंधन के उम्मीदवार के रूप में 2019 में चंपई सोरेन 111554 वोट पाकर भाजपा उम्मीदवार गणेश महली को 15667 वोटों से हराया था। तब बीजेपी को भी 95887 वोट मिला था। इस सीट पर आजसू उम्मीदवार अनंत राम टुडू को 9956 वोट मिले थे।
घाटशिला विधानसभा सीट
घाटशिला की भी सीट 2019 में ऐसी रही थी,जहां से भाजपा उम्मीदवार की हार के अंतर से काफी अधिक वोट आजसू को मिला था। पिछले चुनाव में जेएमएम उम्मीदवार रामदास सोरेन को 63531 वोट मिले थे, और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार लखनचंद मार्डी को महज6724 वोटों से हराया था। यहां पर तब भाजपा को 56807 वोट मिले थे। जबकि, आजसू उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस के बागी उम्मीदवार प्रदीप बलमुचू को 31910 वोट मिले थे। हालांकि,
इस सीट को लेकर एक तर्क यह दिया जा रहा है कि घाटशिला में आजसू को जो वोट मिले वह पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप बालमुचू जैसे कद्दावर कांग्रेसी नेता, की वजह से मिले। अब जब प्रदीप बलमुचू कांग्रेस में लौट आए हैं तो उसका लाभ रामदास सोरेन को ही मिलेगा।
भारतीय जनता पार्टी कोल्हान की इन्हीं सात सीटों पर मुख्य रूप से फोकस कर रही है। इसके अलावा जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा की भी एक सीट है, जहां भाजपा के रणनीतिकारों की नजर है। हालांकि, इस सीट पर करीब एक दर्जन क्षत्रिय उम्मीदवार ताल ठोक कर खडे हैं। इसमें पूर्व डीआइजी राजीव रंजन सिंह और पूर्व कमिश्नर विजय कुमार सिंह जैसे ब्यूरोक्रेट्स भी शामिल हैं. हालांकि, इस सीट पर जितने भी उम्मीदवार दावेदारी कर रहे हैं, उनके मजबूत और कमजोर पक्ष की जानकारी भाजपा की सर्वे टीम तैयार कर रही है। इस सीट पर भी कड़ा मुकाबला होगा। यहां हमेशा भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता है।