रांची : पूर्व सीएम चंपई सोरेन सीएम रहते ही भाजपा के संपर्क में थे। आरोप है कि भाजपा के इशारे पर वह काम कर रहे थे। अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग भी हो रही थी। भाजपाई चंपई सोरेन की शान में कसीदे पढ़ रहे थे। हर तरफ भाजपा नेता चंपई की तारीफ कर रहे थे। इसकी भनक जेल में मौजूद हेमंत सोरेन को लग गई कि चंपई सोरेन इन दिनों भाजपा के हाथ में खेल रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा का प्लान चंपई सोरेन के साथ मिल कर नई सरकार गठित करने का था। भाजपा की प्लानिंग चंपई सोरेन को समर्थन देकर नई सरकार बनाने की थी। इसकी भनक सीएम हेमंत सोरेन को लग गई थी। इसीलिए जेल से रिहा होते ही हेमंत सोरेन ने फौरन चंपई सोरेन को गद्दी से उतार दिया था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर हेमंत सोरेन ने चंपई को सीएम पद से नहीं हटाया होता तो झारखंड का राजनीतिक सीन अलग होता। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के इस बयान के बाद कि चंपई छह महीने से भाजपा के संपर्क में थे, चंपई की वफादारी पर सवाल उठ गए हैं।
आपरेशन लोटस के सूत्रधार थे चंपई
राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि हेमंत सोरेन को ईडी का सम्मन भेजे जाने से पहले ही आपरेशन लोटस का खाका तैयार हो चुका था। भाजपा तभी से चंपई सोरेन के संपर्क में थी। हेमंत सोरेन 31 जनवरी को जब ईडी की गिरफ्तारी के बाद जेल जा रहे थे तो उन्होंने पहले अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बनाने की तैयारी कर रखी थी। उसी दिन विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई। दोपहर में जब मीटिंग हुई थी तो इसमें सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी शामिल हुई थीं। सूत्र बताते हैं कि हेमंत सोरेन को कुछ विधायकों ने आगाह कर दिया था कि चंपई सोरेन कल्पना सोरेन को सीएम बनाने का विरोध कर रहे हैं। सारी साजिश की जानकारी होने के बाद ही हेमंत सोरेन ने यह सोच कर चंपई को सीएम बना दिया था कि वह सीएम बनने के बाद किसी विरोधी पार्टी की लालच में नहीं आएंगे और झामुमो के प्रति वफादार बने रहेंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ।
भाजपा के कहने पर कर रहे थे फैसले
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चंपई सोरेन सीएम बनने के बाद भाजपा के इशारे पर काम करने लगे थे। उन्होंने भाजपा के नेताओं के कहने पर ट्रांसफर पोस्टिंग करनी शुरू कर दी। आरोप है कि भाजपाइयों के कहने पर वह कई निर्णय ले रहे थे। इंडिया गठबंधन के कई विधायक इससे त्रस्त हो गए थे। पल-पल की रिपोर्ट जेल में हेमंत सोरेन को भेजी जा रही थी। भाजपा के नेता भी पेशबंदी में चंपई की तारीफ कर रहे थे और पहले से ही कहने लगे थे झामुमो चंपई सोरेन को हाशिए पर ला रही है। चंपई सोरेन को कोल्हान तक सीमित करने की साजिश रची जा रही है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि ऐसा इसलिए किया जा रहा था कि चंपई सोरेन भाजपा की तैयार की गई सियासी पिच पर खुलेआम बैटिंग करते रहे और झामुमो उन पर लगाम कसने की हिम्मत नहीं कर सके।
असम के सीएम ने कर दी पुष्टि
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने चंपई सोरेन के मामले पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि चंपई सोरेन छह महीने से ही संपर्क में थे। ऐसा कह कर असम के सीएम ने पूरे मामले की पुष्टि कर दी है। इससे सीएम हेमंत सोरेन के उस फैसले को बल मिल गया है जो उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद चंपई को गद्दी से हटाने का किया था। हिमंता के बयान के बाद यह तय हो गया है कि चंपई सोरेन को सीएम पद से हटाने का हेमंत सोरेन का फैसला सही था।
दिल्ली में हेमंत को दी गई थी जानकारी
सीएम हेमंत सोरेन जेल से छूटने के बाद सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली गए थे। वहां उन्हें इंडिया गठबंधन के नेताओं ने पूरी साजिश के बारे में जानकारी दी थी। इसी के बाद हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को सीएम पद से जल्द हटाने का प्लान तैयार किया था। यही वजह रही कि आनन-फानन में चंपई सोरेन के कार्यक्रम स्थगित करने पड़े थे।
झामुमो के साथ कांग्रेस के विधायकों को थी तोड़ने की साजिश
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि चंपई सोरेन के साथ मिल कर भाजपा झामुमो के कई विधायकों के साथ ही कांग्रेस के विधायकों को भी तोड़ने की साजिश कर रही थी। मगर, इंडिया गठबंधन के नेताओं ने पूरे आपरेशन लोटस की हवा निकाल दी है। समय से पहले जानकारी होने पर सरकार अलर्ट हो गई और झामुमो के साथ ही कांग्रेस के विधायकों को भी साध लिया गया।
कारकेड लेकर कांके पहुंच गए थे बेटे
आरोप है कि चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन भी अपनी हनक दिखाने लगे थे। सूत्रों की मानें तो एक दिन चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन सीएम का कारकेड लेकर कांके रोड चले गए थे। इसकी जानकारी होते ही सरकार में हड़कंप मच गया। जेल में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को खबर मिली। उन्होंने आला अधिकारियों से बात की। इसके बाद आला अधिकारी आनन-फानन में कांके रोड पहुंचे थे और वहां जाकर समझा-बुझा कर सीएम का काराकेड वापस लाया गया था।
चुनाव तक सीएम रहते चंपई
राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इंडिया गठबंधन का प्लान था कि चंपई सोरेन को विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री बनाए रखा जाए। सूत्रों की मानें तो चंपई सोरेन अगर इंडिया गठबंधन की लाइन पर चलते तो वह विधानसभा चुनाव का एलान होने तक सीएम रहते और उनके ही कार्यकाल में चुनाव संपन्न होते। मगर, ऐसा नहीं हो सका।