जानें 23 नवंबर को क्या होगा झारखंड का सियासी भविष्य
झारखंड की 81 सीटों में से 60 सीटें ऐसी हैं, जिन पर इंडिया गठबंधन और एनडीए में कांटे का मुकाबला है। इन सीटों पर संघर्ष इतना नजदीकी है कि राजनीतिक गणितबाजों की भी अक्ल काम नहीं कर रही है। इन्हीं सीटों की हार-जीत तय करेगी कि सत्ता की चाबी किसके पास होगी। ऐसे में झारखंड में बहुमत का आंकडा जुटाना दोनों गठबंधनों के लिए टेढी खीर बन गया है। झारखंड में पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को संपन्न हो गया है। दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होगा। पहले चरण की 43 सीटों में से 35 सीटें ऐसी हैं जहां दो उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है। दूसरे चरण की 38 सीटों में से 25 सीटों पर आमने-सामने की टक्कर हो रही है।हम इस खबर में झारखंड की सीटों का प्रमंडलवार जायजा लेंगे। हम यह बताएंगे कि कहां परिवारवाद हावी है। कहां एनडीए के शीर्ष नेतृत्व का चेहरा देख कर लोगों ने वोट दिया है। किस सीट पर जातीय समीकरण फैक्टर बना रहा है।
शहर में एनडीए तो गांव में इंडिया
राजनीतिक हलके में हमेशा यह जुमला इस्तेमाल होता है। शहर में भाजपा और गांव में जेएमएम। ऐसे में हम कह सकते हैं कि शहर में एनडीए की खुशबू है तो गांवों में इंडिया गठबंधन का बोलबाला है। मगर, कई सीटें इसका अपवाद भी हैं। शहर की कई सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस भाजपा के वोटों में सेंधमारी कर रही है। ऐसी सीटों पर कांग्रेस अपने बेहतर उम्मीदवारों के चेहरे पर वोट बटोर रही है तो कहीं अल्पसख्यंक वर्ग की अधिकता के चलते उसका दावा मजबूत है। इस बार इंडिया गठबंधन ने एक-एक सीट का बंटवारा बहुत सोच समझ कर किया है। उम्मीदवारों का चयन ऐसे किया गया है कि वह एनडीए के प्रत्याशी पर भारी पडें।
29 सीटों पर पुराने उम्मीदवार आमने सामने
झारखंड की 60 सीटों पर नजदीकी संघर्ष है। 29 सीटें ऐसी हैं जहां पुराने प्रतिद्वंद्वियों चुनाव लड़ा है। इन सीटों में सरायकेला, जमशेदपुर पश्चिम आदि सीटें हैं। सरायकेला में उम्मीदवार पुराने हैं बस उनकी पार्टियां बदल गई हैं। पूर्व सीएम चंपई सोरेन इस बार भाजपा के टिकट पर हैं तो गणेश महाली जेएमएम के टिकट पर। इसी तरह, जमशेदपुर पश्चिम में कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और जदयू के सरयू राय दोनों पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं। इन सबकी किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। सरायकेला में चंपई और गणेश महली तो जमशेदपुर पश्चिमी में कांग्रेस व जदयू में कांटे का मुकाबला होने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि इन दोनों जगह बेहद नजदीकी जीत-हार होगी।
कहीं प्रत्याशी का चेहरा तो कहीं पार्टी का सिंबल
कई सीटें ऐसी हैं जहां इंडिया गठबंधन की छवि पर वोटिंग हुई है। इनके उम्मीदवारों के चेहरे पर वोट नहीं मिला है। इनमें जुगसलाई, पोटका और बहरागोडा की सीटें शामिल हैं। यहां के उम्मीदवारों की छवि के बारे में जनता चर्चा कर रही है। इन उम्मीदवारों के कई वीडियो वायरल हुए। इससे इनकी रही सही इमेज को निशाना बनाने की कोशिश की गई। इसी सब के बीच यहां लोगों ने अपने पसंद के उम्मीदवारों को वोट डाले। यह वायरल वीडियो इन उम्मीदवारों का कितना नुकसान करेंगे यह तो समय बताएगा। तो ऐसा ही एनडीए के साथ हुआ। सीट पर जो चेहरा है वह इस कदर धूमिल है कि बडे नेता पीएम की छवि का सहारा रहा। इनमें जमशेदपुर पश्चिम और जमशेदपुर पूर्वी शामिल हैं। जमशेदपुर पूर्वी में पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू के पति की खराब छवि मतदाताओं पर गलत प्रभाव डाला। अब यहां की जनता ने किसे अपना नुमाइंदा चुना है वह मतगणना के दिन सामने आएगा।
एनडीए का परिवारवाद व घुसपैठ का मुद्दा धराशायी
दूसरे चरण के चुनाव में एनडीए के स्टार प्रचारक और उम्मीदवार अपने प्रचार के दौरान घुसपैठ के मुद्दे उठा रहे हैं। हालांकि, इन मुद्दों में वह प्रेस के सवालों से बच रहे हैं। घुसपैठ के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन गृह मंत्रालय पर सवाल उठा देता है तो एनडीए के नेता बगलें झांकने लगते हैं। वहीं, परिवारवाद का मुद्दा पहले चरण के चुनाव में पिट गया है। अगर एनडीए का कोई नेता कोल्हान में परिवारवाद पर बोल देता था तो उसके लिए मुसीबत खडी हो जाती। सवालों की ऐसी झडी लगती कि नेता हक्का बक्का नजर आता। उससे पूछा जाता है कि पूर्व सीएम रघुवर दास अपनी बहू पूर्णिमा दास साहू को जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लडा रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका से चुनाव लड रही हैं। पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला से चुनाव लड रहे हैं। जब कोई जवाब नेता को नहीं सूझता तो ऊल जुलूल बोल कर आगे बढ जाता। मसलन बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने साकची में ऐसे ही एक सवाल का जवाब देते हुए पीढी गिना डाली। राहुल की तरफ इशारा करते हुए बोले कि उनकी कई पीढी के लोग राजनीति में आ गए इसलिए गलत है। रघुवर दास, अर्जुन मुंडा और चंपई की अपनी पहली पीढी का परिवार चुनाव लड रहा है। इस तरह, पहले चरण के चुनाव में तो परिवार वाद का मुद्दा नहीं चल पाया। इस वजह से दूसरे चरण की सीटों पर एनडीए के नेता परिवारवाद को लेकर काफी सजग हैं।इंडिया गठबंधन अपने काम और योजनाओं को गिना कर अपने समीकरण साध रहा है। चुनावी रणनीति में अब छापामारी भी शामिल हो गई है। पहले ईडी छापामारी कर ही रही थी। अब इसमें आयकर विभाग भी शामिल हो गया है। झारखंड पुलिस भी छापामारी कर नकदी बरामद कर रही थी।
कोल्हान प्रमंडल में खुल सकता है भाजपा का खाता
कोल्हान प्रमंडल में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं। इनमें जमशेदपुर पश्चिम, जमशेदपुर पूर्वी, जुगसलाई, घाटशिला, पोटका, बहरागोडा, ईचागढ, सरायकेला, खरसावां, चाईबासा, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, मझगांव और जगन्नाथपुर सीटें हैं। इनमें पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान हो गया है। पिछले चुनाव साल 2019 में इस प्रमंडल में भाजपा का खाता नहीं खुला था। भाजपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार कोल्हान की तीन सीटों पर एनडीए की स्थिति कुछ बेहतर कही जा सकती है। इनमें जुगसलाई, ईचागढ और सरायकेला शामिल है। इन सीटों के जरिए यहां एनडीए का खाता खुल सकता है।
उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल
उत्तरी छोटा नागपुर प्रमंडल में भाजपा का मजबूत इलाका माना जाता है। यहां भाजपा की स्थिति काफी मजबूत है। इस प्रमंडल में पचीस सीटें हैं। इनमें कोडरमा, बरकट्ठा, बरही, बडकागांव, हजारीबाग, सिमरिया व चतरा में पहले चरण में और रामगढ, मांडू, धनवार, बगोदर, जमुआ, गांडेय, गिरीडीह, डुमरी, गोमिया, बेरमो, बोकारो, चंदनक्यारी, सिंदरी, निरसा, धनबाद, झरिया, टुंडी और बाघमारा में दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान है। यहां भाजपा ने पिछले चुनाव साल 2019 में 11 सीटें जीती थीं। बाकी 14 सीटों में जेएमएम ने 4, कांग्रेस ने 5, राजद ने 1 और अन्य के हिस्से में 4 सीटें आई थीं। इस चुनाव में इंडिया गठबंधन इस प्रमंडल में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटा हुआ है। इस प्रमंडल में अगर इंडिया गठबंधन मजबूत हुआ तो वह झारखंड में दोबारा सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगा। इसके लिए जेएमएम और कांग्रेस ने एक एक सीट की रणनीति तैयार की है। यहां भाजपा कमजोर पडती है तो उसके लिए झारखंड की राह बेहद मुश्किल हो जाएगी।
दक्षिणी छोटा नागपुर प्रमंडल
इस प्रमंडल में 15 सीटें हैं। इनमें तमाड, तोरपा, खूंटी, रांची, हटिया, कांके, मांडर, सिसई, गुमला, बिशुनपुर, सिमडेगा, कोलेबीरा, लोहरदगा, सिल्ली और खिजरी। यहां सिल्ली और खिजरी सीटों पर दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान है। बाकी सीटों पर पहले चरण में 13 नवंबर को वोट डाले जा चुके हैं।इन सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों मजबूत हैं। यहां की पांच सीटों पर इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन के बीच कडी टक्कर है। पिछले चुनाव साल 2019 में भाजपा को इस प्रमंडल में 5 सीटें मिली थीं। बाकी 8 सीटें जेएमएम, कांग्रेस और अन्य को मिली थीं। यहां भाजपा अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है तो इंडिया गठबंधन भी सीटों की संख्या बढाने में लगा हुआ है।
पलामू प्रमंडल
पलामू प्रमंडल में 9 सीटें हैं। इनमें गढवा, मनिका, लातेहार, विश्रामपुर, पांकी, डाल्टनगंज, छतरपुर, भवनाथपुर और हुसैनाबाद हैं। यहां पिछले चुनाव साल 2019 में भाजपा ने 5 सीटें जीती थीं। पलामू प्रमंडल में भाजपा की स्थिति मजबूत है। इस बार यहां इंडिया गठबंधन अपनी स्थिति मजबूत करने की कवायद में जुटा है। सीएम हेमंत सोरेन इस इलाके में लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं। तो भाजपा के भी स्टार प्रचारक पीछे नहीं हैं। इस प्रमंडल में इंडिया गठबंधन के दो घटक दलों के बीच दोस्ताना लडाई है।
संथाल परगना
संथाल परगना में कुल 18 सीटें हैं। इनमें राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाडा, शिकारीपाडा, पाकुड, महेशपुर, नाला, जामताडा, दुमका, जामा, जरमुंडी, मधुपुर, देवघर, सारठ, पोरैयाहाट, गोड्डा और महागामा सीटें हैं। यहां दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान है। संथाल परगना इंडिया गठबंधन का गढ है। पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में जेएमएम और कांग्रेस को 14 सीटें मिली थीं। इस गढ पर सेंधमारी करने के लिए ही एनडीए बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठा रही है। दरअसल इस इलाके में आदिवासी और मुस्लिम आबादी अधिक है। इस वजह से इस क्षेत्र में भाजपा की दाल नहीं गल पाती। इसी वजह से वह यहां आदिवासियों को अपने पाले में लाना चाहती है। इसे लेकर ही आदिवासियों को डराने की रणनीति तैयार की गई है। भाजपा की रणनीति है कि इस इलाके में सेंध मारी कर कुछ सीटें झटक ली जाएं ताकि, सरकार बनाने में मदद मिल सके। इस प्रमंडल में अपनी राजनीति आगे बढाने के लिए भाजपा ने जेएमएम के परिवार में सेंधमारी की थी। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने शिबू सोरेन की बडी बहू को भाजपा में शामिल करा लिया। हालांकि, भाजपा को लोकसभा चुनाव में इसका कोई लाभ नहीं मिला। अब वह विधानसभा में क्या कर पाती हैं यह समय बताएगा।
जानिए गठबंधन की स्थिति
इस बार इंडिया गठबंधन में जेएमएम, कांग्रेस, राजद और वामदल हैं। जेएमएम 43 सीट पर चुनाव लड रही है। कांग्रेस ने 30 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। राजद 7 सीटों पर है और भाकपा माले 4 सीटों पर चुनाव लड रही है। एनडीए के घटक दलों ने पिछला चुनाव अलग अलग लडा था। इस बार एनडीए में भाजपा, आजसू, जदयू और लोजपा हैं। भाजपा अरसठ सीटों पर चुनाव लड रही है। आजसू को 10 सीट दी गई है। जदयू 2 और लोजपा 1 सीट पर है।