जमशेदपुर : झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर इन दिनों भाजपा और इंडिया गठबंधन आमने-सामने हैं। चालें चली जा रही हैं। पिछली बार कोल्हान में अपना खाता नहीं खोल पाने वाली बीजेपी इस बार यहां से सीटें हासिल करने के लिए अपने सभी घोड़े रेस किए हुए है। हर कूटनीतिक चाल चली जा रही है। आलम यह है कि अभी विधानसभा चुनाव का बिगुल भी नहीं बजा मगर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के बहाने कोल्हान में माहौल बनाने 15 सितंबर को जमशेदपुर आ रहे हैं। यहां उनका राजनीतिक रोड शो और सभा भी है। ऐसे में इंडिया गठबंधन हाथ पर हाथ कैसे धरे रह सकता है। झामुमो ने कोल्हान के किले को बचाने के लिए कमर कस ली है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कोल्हान के किले को बचाने के लिए मुख्यमंत्री खुद हेमंत सोरेन ने कमान संभाल ली है। सीएम हेमंत सोरेन महीने भर में कई बार कोल्हान का दौरा कर चुके हैं। जल्द ही सरायकेला में पूर्वी सिंहभूम जिले से सटे इलाके में हेमंत सोरेन का एक और प्रोग्राम होने वाला है, इसमें झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना के साथ ही कई योजनाओं के लाभ लोगों के बीच बांटे जाएंगे। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कोल्हान की किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। यह सीट मनोहरपुर हो सकती है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि यह अंदर की खबर है। सीएम हेमंत सोरेन मनोहरपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। इस तरह, इस बार मनोहरपुर सीट झारखंड की हाट सीट बनने वाली है।
कोल्हान में झामुमो की अलमबरदारी करेंगे हेमंत
विधानसभा चुनाव 2019 में हेमंत सोरेन बरहेट और दुमका से चुनाव लड़े थे। वह दोनों सीटों से चुनाव जीते थे और बाद में दुमका सीट छोड़ दी थी। बाद में दुमका सीट से हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने चुनाव लड़ कर जीता था। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि बड़े नेता अक्सर दो सीटों से चुनाव लड़ते हैं। अधिकतर नेता दो सीटों से इसलिए चुनाव लड़ते हैं ताकि अगर एक सीट पर खुदानखास्ता कमयाबी नहीं मिले तो वह दूसरी सीट से जीत कर विधानसभा या लोकसभा में पहुंच जाएं। झामुमो के थिंक टैंक ने जो रणनीति बनाई है उसमें सीएम हेमंत सोरेन इस बार भी झारखंड की दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे। इनमें से एक सीट संथाल इलाके की होगी तो दूसरी कोल्हान की। मगर, हेमंत सोरेन कोल्हान से इसलिए चुनाव नहीं लड़ेंगे कि संथाल की सीट पर उन्हें कुछ खतरा है। बल्कि, कोल्हान में पार्टी को मजबूत बनाए रखने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। अभी कोल्हान में झामुमो का कोई भी अलमबरदार नहीं है। कोल्हान में झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन के झामुमो में चले जाने के बाद यहां जो जगह खाली हुई है उसे भरने के लिए सीएम हेमंत सोरेन खुद कमान संभालने जा रहे हैं। यानि, कोल्हान में झामुमो की अलमबरदारी अब हेमंत सोरेन के हाथ में होगी।
जोबा मांझी की परंपरागत सीट है मनोहरपुर
सिंहभूम संसदीय सीट और पश्चिमी सिंहभूम जिले के तहत आने वाली मनोहरपुर विधानसभा सीट झामुमो सांसद जोबा मांझी की परंपरागत सीट है। इस सीट पर जोबा मांझी का अपना सियासी नेटवर्क है। यहां हुए आखिरी 5 चुनाव में जोबा मांझी ने चार बार जीत हासिल की है। जोबा मांझी साल 2000 और 2005 में यूनाइटेड गोन्स डेमोक्रेटिक पार्टी से चुनाव लड़ कर जीती हैं। साल 2009 में यहां से बीजेपी के गुरुचरण नायक जीत गए थे। गुरुचरण नायक ने 26 हजार 360 मत मिले थे। उन्होंने झामुमो के कैंडीडेट नवमी उरांव को 6 हजार 270 मतों से हराया था। यूजीडीपी की प्रत्याशी जोबा मांझी 20 हजार 828 मत पाकर तीसरे स्थान पर रही थीं। इसके बाद जोबा मांझी ने झामुमो ज्वाइन कर ली और उनकी जीत का सिलसिला फिर शुरू हो गया। मगर, जोबा मांझी ने 2014 और 2019 में इस सीट से भाजपा के गुरुचरण नायक को लगातार दो बार हरा कर चुनाव जीता है। 2019 के चुनाव में झामुमो की जोबा मांझी को 59 हजार 945 वोट मिले थे। जबकि, भाजपा के गुरुचरण नायक 34 हजार 926 मत हासिल कर 16 हजार 19 मतों से इलेक्शन हार गए थे। साल 2014 में भी यही हाल रहा। जोबा मांझी ने इस इलेक्शन में 57 हजार 588 वोट प्राप्त किए। उन्होंने 40 हजार 989 वोट पाने वाले भाजपा उम्मीदवार गुरुचरण नायक को 16 हजार 569 मतों से हराया है।
जोबा मांझी के सांसद बनने के बाद खाली है सीट
मनोहरपुर की विधायक जोबा मांझी अब सिंहभूम लोकसभा सीट से सांसद बन गई हैं। उन्होंने यहां से सिटिंग सांसद भाजपा उम्मीदवार गीता कोड़ा को चुनाव लड़ाया था। इस वजह से मनोहरपुर सीट खाली हो गई है। इसीलिए, कयास लगाए जा रहे हैं कि हेमंत सोरेन मनोहरपुर से चुनाव लड़ें। मगर, सूत्र बताते हैं कि जोबा मांझी इस सीट पर अपने किसी करीबी को चुनाव लड़ाना चाहती हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर हेमंत सोरेन इस सीट पर खुद चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं तो जोबा मांझी एतराज नहीं करेंगी।
कांग्रेस भी ले रही बायोडाटा
मनोहरपुर विधानसभा सीट झामुमो की सीट रही है। इस पर झामुमो की सांसद जोबा मांझी का कब्जा रहा है। यह तय माना जा रहा है कि यह सीट झामुमो की झोली में आएगी। फिर भी, कांग्रेस यहां से उम्मीदवारों का बायोडाटा ले रही है। इस सीट से कई कांग्रेसियों ने जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर दास के पास अपना आवेदन और बायोडाटा दिया है। कहा जा रहा है कि भाजपा भी इस सीट पर इस बार उम्मीदवार बदलने जा रही है। गुरुचरण नायक की लगातार दो बार हार के बाद इस बार नए चेहरे की तलाश की जा रही है जो इस सीट पर भाजपा को जितवा सके। यहां से उम्मीदवार की तलाश की जिम्मेदारी पूर्व सीएम मधु कोड़ा को दी गई है।
सरायकेला सीट पर भी चर्चा
राजनीतिक हलके में यह भी चर्चा है कि सीएम हेमंत सोरेन सरायकेला से भी चुनाव लड़ सकते हैं। मगर, राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि ऐसा नहीं है। सीएम हेमंत सोरेन सरायकेला से चुनाव नहीं लड़ेंगे। क्योंकि, इससे गलत संदेश जाएगा। कहा जा रहा है कि भाजपा यही चाहती है कि झामुमो चंपई सोरेन के पीछे पड़ जाए और उसे यह प्रचार करने का मौका मिले कि किस तरह झामुमो चंपई सोरेन को परेशान करने में लग गई है। कुछ लोग कह रहे हैं कि हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन सरायकेला से लड़ने जा रही हैं। मगर, राजनीतिक सूत्र इस बात को भी सिरे से नकार रहे हैं। कहा जा रहा है कि कल्पना सोरेन गांडेय से ही चुनाव लड़ेंगी। सरायकेला से झामुमो किसी स्थानीय कद्दावर नेता को ही चुनाव लड़ाएगी।
भाजपा की अंदरूनी स्थिति से वाकिफ हैं हेमंत
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि खुद सीएम हेमंत सोरेन अब सियासत के मंझे खिलाड़ी बन गए हैं। जेल से बाहर आने के बाद वह जितनी भी राजनीतिक चालें चल रहे हैं सब सधी हुई हैं। कहा जा रहा है कि सीएम हेमंत सोरेन इस बात को जानते हैं कि खुद भाजपा में ही चंपई का विरोध है। चंपई को घेरने के लिए भाजपा के आदिवासी नेता खुद फील्डिंग सजा रहे हैं। इसीलिए, झामुमो की रणनीति है कि सरायकेला सीट पर चंपई को सीधे नहीं छेड़ा जाए। बल्कि, हालात का इंतजार किया जाए और वह भितरघात वाला घमासान देखा जाए जो चंपई के खिलाफ उनके ही साथी खेल सकते हैं।