रांची : कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले पूर्व सीएम चंपई सोरेन को जिस पूर्व विधायक ने बगावत के लिए तैयार किया था वह खुद दिल्ली से गुपचुप तरीके से वापस आ कर रांची के एक अस्पताल में भर्ती हो गया। इस विधायक ने पूरे मामले से कन्नी काट ली। इस तरह, कोल्हान टाइगर के साथ एक अजीब सियासी खेल हो गया। चंपई सोरेन को एक बंद कमरे में बात कर पूरे मामले की आधारशिला बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम ने रखी थी। वह चंपई सोरेन से पहले दिल्ली पहुंच भी गए थे। मगर, जब लोबिन हेंब्रम ने देखा कि इंडिया गठबंधन ने पूरे आपरेशन की हवा निकाल दी है तो वह चुपचाप दिल्ली से रांची पहुंच गए। इसकी किसी को हवा तक नहीं लगने दी। यही नहीं, इसी बीच लोबिन ने एलान कर दिया कि उन्हें निमोनिया हो गया है। उनका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
शनिवार को बंद कमरे में चंपई से की थी मुलाकात
सूत्र बताते हैं कि पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम की चंपई सोरेन के साथ बंद कमरे में मुलाकात हुई थी। सूत्रों की मानें तो इस बातचीत में इस बात पर चर्चा हुई कि चंपई के साथ कितने विधायक हैं। मगर, तब तक इंडिया गठबंधन के नेता आपरेशन लोटस की हवा निकाल चुके थे। चंपई ने जब लोबिन को बताया कि उनके साथ अब तक कोई विधायक नहीं हैं। सबने मना कर दिया है तो लोबिन को सारे मामले की हवा निकलती दिखी। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद चंपई चाहते थे कि किसी तरह उनकी मुलाकात दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से हो जाए। इसीलिए, चंपई दिल्ली गए और लोबिन भी पहुंचे। मगर, जब लोबिन हेंब्रम दिल्ली में चंपई की मुलाकात भाजपा के नेताओं से नहीं करा सके तो सोमवार को वह वापस रांची आ गए और पूरे मामले से खुद को अलग रखने के लिए निमोनिया होने की बात बता कर अस्पताल में भर्ती हो गए।
चंपई को नहीं निकालेगी झामुमो
सूत्र बताते हैं कि झामुमो चंपई सोरेन को पार्टी से नहीं निकालेगी। इतना सब होने के बाद भी अब तक सीएम हेमंत सोरेन या पार्टी के कसी बड़े नेता का कोई बयान भी अब तक नहीं आया है। चंपई सोरेन पर कोई कार्रवाई की बात भी नहीं हो रही है। सूत्रों की मानें तो ऐसा कर इंडिया गठबंधन यह संदेश देना चाहता है कि वह अपने कद्दावर नेता चंपई सोरेन के सम्मान में किसी तरह की कोई ठेस नहीं पहुंचाई। ऐसा तब हुआ जब चंपई सोरेन झामुमो को ही तोड़ने में लगे थे। ऐसा कर झामुमो ने आदिवासी जनता का विश्वास जीत लिया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा आदिवासियों के बीच विलेन के तौर पर देखी जाने लगी है। भाजपा ने बेरोजगारी और बांग्लादेशी घुसपैठियों के मुद्दे पर जो हवा बनाई थी। आपरेशन लोटस ने उन सब की हवा निकाल दी है। सीएम हेमंत सोरेन आदिवासियों को यह समझाने में कामयाब हो गए हैं कि भाजपा आदिवासी को सीएम की कुर्सी पर नहीं देखना चाहती है। साल 2014 में भी बहुमत हासिल करने के बाद भाजपा ने किसी आदिवासी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठाया था बल्कि छत्तीसगढ़ के रहने वाले रघुवर दास को सीएम बना दिया था।
बीजेपी के लिए अशुभ हो गया है कोलकाता रूट
भाजपा के लिए कोलकाता रूट अशुभ हो गया है। झारखंड में आपरेशन लोटस चलाने के लिए अक्सर बीजेपी कोलकाता रूट अपनाती है। मगर, यह रूट बदनाम हो चुका है। दो साल पहले कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप इसी रूट के सहारे आपरेशन लोटस को अंजाम देने के लिए आगे कदम बढ़ा रहे थे। मगर, उन्हें हावड़ा में बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था। बताते हैं कि इरफान अंसारी कांग्रेसी विधायकों को लेकर असम जाने की योजना तैयार कर रहे थे। अब, चंपई सोरेन को भी आपरेशन लोटस के लिए कोलकाता के रास्ते ही दिल्ली ले जाया जा रहा था। चंपई सोरेन को झारखंड से कोलकाता ले जाया गया था और वहां होटल में ठहराने के बाद विमान से दिल्ली भेजा गया था।
अर्जुन मुंडा व बाबूलाल मरांडी ने कर दिया था विरोध
सूत्रों की मानें तो अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी ने चंपई सोरेन को भाजपा में लेने से मना कर दिया था। इन दोनों नेताओं के विरोध के बाद ही चंपई सोरेन को भाजपा में नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है कि इन दोनों ने नेताओं की भाजपा में गहरी पैठ है। इन दोनों नेताओं के विरोध के स्वर को बीजेपी में अनदेखा नहीं किया जा सकता। इसी वजह से चंपई सोरेन की भाजपा में इंट्री कमजोर हो गई। संगठन को बताया गया कि अगर चंपई भाजपा में आते हैं तो फायदा नहीं होगा। बल्कि नुकसान ही होगा।