रांची: झारखंड में इस साल होने वाला विधानसभा चुनाव काफी रोचक होने वाला है. इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधी टक्कर होने वाली है. इस बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एनडीए का मुकाबला करने के लिए झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना शुरू की है। इसके बाद गरीबों के बिजली के बिल भी माफ कर दिए गए हैं। सीएम के इन दोनों कामों की हर तरफ चर्चा है। झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना विपक्ष पर भारी पड़ रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा जेल भेजे जाने से भी आदिवासी जनता नाराज है।
चंपई का विक्टिम कार्ड कितना कारगर
इसी दौरान झामुमो को एक झटका तब लगा जब पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पार्टी छोड़कर भाजपा में चले गए। पूर्व अब मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अपने ‘विक्टिम कार्ड’ का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि झारखंड की जनता किसके साथ है? अभी की स्थिति 2019 के चुनाव के काफी बदल चुकी है. झारखंड में एनडीए गठबंधन का हिस्सा भाजपा, आजसू, जदयू और एनसीपी (अजित पवार गुट) है. वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन में झामुमो, कांग्रेस, राजद और भाकपा माले शामिल है. इस चुनाव की सबसे दिस्चस्पी वाली बात यह है कि चंपई सोरेन खुद को पीड़ित कह कर सहानुभूति बटोरने के प्रयास में जुटे हुए हैं.
चंपाई के गांव के लोगों का क्या है कहना
जिलिंगगोड़ा के लोग चंपाई सोरेन के ‘विक्टिम कार्ड’ पर चर्चा कर रहे हैं. कुछ का मानना है कि चंपाक्षई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाना जल्दबाजी थी और वे चुनाव तक सीएम बने रह सकते थे. दूसरी ओर, कुछ लोगों का कहना है कि चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ही बनाया था, इसलिए उनके समर्थन को लेकर असमंजस बरकरार है.चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने से उनकी सरायकेला सीट की सुरक्षा मजबूत हुई है, लेकिन कोल्हान की अन्य सीटों पर उनके प्रभाव का अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है.
हेमंत को जेल में रखने की चर्चा
वहीं, हेमंत सोरेन को पांच महीने जेल में रखने की घटना पर जमीनी स्तर पर खूब चर्चा हो रही है. हालांकि, ‘मनरेगा मजदूरों के लिए सम्मान योजना’ से आदिवासी महिलाओं में उनकी लोकप्रियता बढ़ी है. झारखंड में आदिवासी समाज में महिलाएं परिवार की प्रमुख होती हैं, और एक हजार रुपये की सम्मान राशि योजना से जनता में हेमंत सोरेन को समर्थन मिल रहा है. आखिरकार, चुनाव के दिन ही यह स्पष्ट होगा कि जनता का समर्थन इंडिया गठबंधन या एनडीए किसके पक्ष में है.
क्या है चंपाई का ‘विक्टिम कार्ड’ ?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, झारखंड में चंपाई सोरेन के पास ‘विक्टिम कार्ड’ है, चंपाई सोरेन का ‘विक्टिम कार्ड’ अपमान से जुड़ा हुआ है. वे बिना नाम लिए हेमंत सोरेन पर निशाना साध रहे हैं. चंपाई सोरेन, जो आदिवासी समाज के आंदोलन की उपज हैं, कोल्हान में अपनी सभाओं में कह रहे हैं कि उनका ‘विक्टिम कार्ड’ असरदार साबित हो रहा है.
कोल्हान की सीटों पर चंपाई का असर
झारखंड विधानसभा चुनाव में चंपाई सोरेन की अहमियत तेजी से बढ़ रही है. सोरेन की उपस्थिति कोल्हान की तीन से चार सीटों पर प्रभाव डाल सकती है और संथाल क्षेत्र में भी सत्ताधारी दलों को नुकसान पहुंचा सकती है. इस स्थिति को देखते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) उन पर सीधे हमला करने से बच रहा है.चंपाई सोरेन आदिवासी समाज में ‘गुरुजी’ की पार्टी की लोकप्रियता को भली-भांति समझते हैं और इसलिए कांग्रेस पर हमला बोलकर आदिवासियों की बदहाली का मुद्दा उठा रहे हैं. इससे कांग्रेस को नुकसान होता है, जिसका फायदा भाजपा को हो सकता है.
चंपाई सोरेन के समर्थकों की ताकत और जमीनी स्तर पर उनकी स्थिति को देखते हुए भाजपा उन्हें अपने चुनावी खेल में महत्वपूर्ण घटक मान रही है. इस स्थिति ने झारखंड विधानसभा चुनाव को बेहद दिलचस्प बना दिया है. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो मजबूत स्थिति में है, लेकिन चंपई सोरेन की भूमिका चुनावी मुकाबले में निर्णायक साबित हो सकती है.