ग्रेड पे बढ़ाने समेत अन्य मांगों को लेकर झारखंड अनूसचिवीय कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। यह हड़ताल सोमवार से शुरू हो गई है और माना जा रहा है कि इससे डीसी ऑफिस और अन्य अधीनस्थ कार्यालयों का कामकाज प्रभावित होगा। कर्मचारियों का कहना है कि वे तब तक हड़ताल पर रहेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।
हड़ताल की प्रमुख मांगें
2400 ग्रेड पे की मांग
इन कर्मचारियों की मांग है कि निम्नवर्गीय लिपिकों का ग्रेड पे वर्तमान 1900 से बढ़ाकर 2400 किया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि हाईलेवल कमेटी ने सरकार से इस संबंध में पहले ही सिफारिश की थी, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है।
प्रोन्नति के लिए जरूरी अवधि घटाने की मांग
निम्न वर्गीय लिपिक से उच्च वर्गीय लिपिक के पद पर प्रमोशन के लिए आवश्यक आठ वर्षों की अवधि को घटाकर चार वर्ष करने की मांग की गई है। अन्य उच्च पदों पर प्रमोशन के लिए भी अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती की मांग की गई है।
एमएसीपी की अवधि घटाने की मांग
एमएसीपी (मॉडिफाइड एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) की अवधि को वर्तमान 10 वर्षों से घटाकर आठ वर्ष करने की मांग की जा रही है।
नए पदों का सृजन और भर्ती प्रक्रिया
कर्मचारियों का कहना है कि कलेक्ट्रेट समेत अन्य कार्यालयों में तैनात कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। इसलिए, हाईलेवल कमेटी की सिफारिश के अनुसार फौरन सर्वे कर नए पदों का सृजन किया जाए और भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
पद नाम बदलने की मांग
झारखंड अनूसचिवीय कर्मचारियों ने अपने पदों के नाम बदलने की भी मांग की है:
- निम्नवर्गीय लिपिक की जगह – समाहरणालय सहायक
- उच्चवर्गीय लिपिक की जगह – समाहरणालय वरीय सहायक
- प्रधान लिपिक की जगह – मुख्य अनूसचिवीय पदाधिकारी
- कार्यालय अधीक्षक की जगह – सहायक प्रशासी अधिकारी
- प्रशासी अधिकारी की जगह – प्रशासी अधिकारी (राजपत्रित)
हाईलेवल कमेटी की सिफारिशें
झारखंड अनूसचिवीय कर्मचारी संघ ने 9 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल शुरू की है। इससे पहले भी इन मांगों को लेकर हड़ताल की गई थी, तब सरकार ने एक हाईलेवल कमेटी गठित की थी। इस कमेटी ने सरकार के सामने कुछ सिफारिशें रखी थीं, लेकिन उन पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। यही कारण है कि कर्मचारी इन सिफारिशों को धरातल पर उतारने की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं।
प्रशासनिक कामकाज पर असर
इस हड़ताल के कारण डीसी ऑफिस और अधीनस्थ कार्यालयों का कामकाज प्रभावित हो सकता है। इससे जनता को सेवाओं में देरी और असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। कर्मचारियों के अनुसार, वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे, जब तक कि सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती।