रांची: झारखण्ड में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। हर पार्टी जोर शोर से अपने प्रत्याशियों को लेकर रायशुमारी कर रही है। हर एक सीट पर मंथन किया जा रहा है। इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव काफी रोचक होने वाला है। झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीट है। इसमें एक सीट ऐसी है जहां झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का दबदबा रहा है। यह सीट दुमका जिले में स्थित जामा विधानसभा सीट है। जामा विधानसभा क्षेत्र एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। साल 1980 से 2019 तक यहां कुल 9 विधानसभा चुनाव हुए। इसमें सिर्फ साल 2005 को छोड़कर सभी चुनाव में झामुमो ने अपना झंडा गाड़ा है। यहां कुल 45 प्रतिशत आदिवासी वोटर हैं. जबकि यादव वोटरों की संख्या 6 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा जाति के लोग 22 प्रतिशत हैं। इस क्षेत्र में साल 1967 में प्रथम चुनाव हुए थे। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुंशी हांसदा विधायक चुने गए थे.
13 में से 8 चुनाव में झामुमो ने गाड़ा अपना झंडा
दुमका जिले में स्तिथ जामा विधानसभा क्षेत्र साल 1967 में अस्तित्व में आया था. 1967 से लेकर अब तक यहां कुल 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इसमें झामुमो ने 8 बार चुनाव जीता, कांग्रेस ने 3 बार भाजपा ने 1 बार और 1 बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव जीता था. साल 1967 में प्रथम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मुंशी हांसदा विधायक चुने गए थे. इसके बाद साल 1969, 1972 और 1977 में कांग्रेस के प्रत्याशी मदन बेसरा ने लगातार तीन बार इस क्षेत्र से चुनाव जीता और विधायक बने।
1980 से जामा ने झामुमो का दबदबा
इस क्षेत्र से साल 1980 में हुए चुनाव में झामुमो प्रत्याशी देवान सोरेन जीत हासिल की और इस सीट से झामुमो का खाता खोला. इसके बाद यहां झामुमो का दबदबा कायम हो गया. इसके बाद यहां से साल 1985 में हुए चुनाव में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन खुद यहां से चुनावी मैदान में उतरे और जीत कर विधायक चुने गए. इसके बाद हुए साल 1990 विधानसभा चुनाव में झामुमो के मोहरिल मुर्मू ने चुनाव जीता और विधायक बने.
पुत्र दुर्गा सोरेन ने संभाली शिबू सोरेन की विरासत
इस क्षेत्र में साल 1995 और 2000 में हुए चुनाव में शिबू सोरेन के पुत्र दुर्गा सोरेन ने चुनाव लड़ा था. दुर्गा सोरेन चुनाव जीतकर विधायक चुने गए. इसके बाद साल 2005 में हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन ने झामुमो के विजय रथ में विराजे दुर्गा सोरेन को रोक दिया और चुनाव जीता. इस चुनाव में सुनील सोरेन ने झामुमो को छोड़कर भाजपा का दामन थमा था. भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर उन्होंने शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन (अब दिवंगत) को हरा कर राजनीतिक विशेषज्ञों को चौंका दिया था.
शिबू सोरेन की बड़ी बहु सीता सोरेन ने जामा से लगाई हैट्रिक
साल 2009 में शिबू सोरेन के बेटे दुर्गा सोरेन के निधन के बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन ने झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. साल 2014 और 2019 में भी सीता सोरेन ने जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई थी. हालांकि झामुमो के विधायक समय समय पर बदलते रहे. इस सीट से सीता सोरेन ने साल 2009 से 2019 तक लगातार तीन बार जीत कर जामा में हैट्रिक लगाई.
लोकसभा चुनाव 2024 में झामुमो को लगा झटका
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के ठीक पहले ही झामुमो को एक बड़ा झटका लगा था. पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन की बड़ी बहु ने झामुमो को छोड़ने का ऐलान कर दिया था.इसके बाद सीता सोरेन ने अपनी विधानसभा सस्यता से त्यागपत्र दे दिया था. उन्होंने फिर भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में सीता सोरेन भले ही कुछ वोटों से हार गईं. लेकिन जामा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन को बढ़त मिली थी. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में जामा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन को कुल 89211 वोट मिले थे. वही झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन को कुल 78778 वोट मिले थे. सीता सोरेन को यहां से कुल 10,433 वोट से बढ़त मिली थी.
सीता सोरेन की बेटी जयश्री सोरेन अब जामा से सक्रिय
इस साल हुए लोकसभा चुनाव के पहले सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी बड़ी बेटी जयश्री सोरेन जामा विधानसभा क्षेत्र से सक्रिय हो चुकी हैं. लगातार जामा विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में जयश्री जनसंपर्क अभियान चला रही हैं. इसे देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे है कि इस बार जामा विधानसभा चुनाव में सीता सोरेन की जगह उनकी बेटी जयश्री सोरेन उम्मीदवार हो सकती हैं. वहीं जयश्री सोरेन का भाजपा उम्मीदवार होने के एक और संकेत मिल रहे हैं. वह यह है कि सीता सोरेन अब भाजपा के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. हालांकि झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन अपने बड़ी पोती जयश्री सोरेन को काफी मानते हैं. जयश्री का अपनी दादी रुपी सोरेन से भी काफी लगाव है. ऐसे में अगर शिबू सोरेन अपने बड़ी पोती को झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने को कहते हैं तो, जयश्री के लिए मना करना काफी मुश्किल हो सकता है.
जामा विधानसभा झामुमो का मजबूत गढ़
संताल परगना में जामा विधानसभा क्षेत्र झामुमो का एक मजबूत गढ़ माना जाता है. इस सीट से झामुमो की जीत हर बार सुनिश्चित मानी जाती है. यहां झामुमो को आदिवासी समुदाय का एक बड़ा समर्थक माना जाता है. इस सीट से पहली बार झामुमो प्रत्याशी देवान सोरेन ने झामुमो का झंडा गाड़ा था. इस सीट से उस समय से झामुमो का दबदबा रहा है.
साल 2019 जामा विधानसभा उपचुनाव का परिणाम
साल 2019 में जामा विधानसभा में हुए उपचुनाव में झामुमो प्रत्याशी सीता सोरेन ने जीत हासिल की थी. इस चुनाव में उन्हें कुल 60925 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान में भाजपा के प्रत्याशी सुरेश मुर्मू को कुल 58499 वोट मिले थे. सीता सोरेन ने सुरेश मुर्मू को कुल 2,426 वोट से हराया था.
साल 1967 से लेकर 2019 तक कौन कौन थे जामा के विधायक
1967- निर्दलीय प्रत्याशी मुंशी हासंदा
1969- कांग्रेस के मदन बेसरा
1972- कांग्रेस के मदन बेसरा
1977- कांग्रेस के मदन बेसरा
1980- जेएमएम के देवान सोरेन
1985- जेएमएम के शिबू सोरेन
1990- जेएमएम के मोहरिल मुर्मू
1995- जेएमएम के दुर्गा सोरेन
2000- जेएमएम के दुर्गा सोरेन
2005- बीजेपी के सुनील सोरेन
2009- जेएमएम की सीता सोरेन
2014- जेएमएम की सीता सोरेन
2019- जेएमएम की सीता सोरेन