रांची: झारखंड की राजनीति में इस साल एक पार्टी खूब तेजी से मशहूर हो रही है. यह जयराम महतो की पार्टी झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति (JBKSS) है. राजनीती में अपना झंडा गाड़ने से पहले ही क्या JBKSS बिखर जाएगी. यह सवाल इस लिए या उठ रहे हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में JBKSS के हजारीबाग से उम्मेदवार रहे और JBKSS के केंद्रीय उपाध्यक्ष संजय महतो ने अपनी प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. संजय महतो के इस्तीफे के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या JBKSS के आपसी मतभेद के कारण पार्टी चमकने के पहले ही बिखर जाएगी ?
किस कारण संजय महतो ने दिया इस्तीफा
लोकसभा चुनाव 2024 में JBKSS के हजारीबाग के उम्मेदवार रहे और JBKSS के केंद्रीय उपाध्यक्ष संजय महतो ने अपने इस्तीफा पत्र में यह लिखा कि वह झारखंड को क्रांतिकारियों और महापुरुषों के सपनों के अनुरूप बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें गहराई से चिंतन और मनन की आवश्यकता है. इसी कारण वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और केंद्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे रहे हैं.
इस्तीफे पर उठाए जा रहे सवाल
उनके इस्तीफे के बाद कई सारे सवाल उठ रहे हैं. यह सवाल उठ रहे हैं कि संजय महतो को जेबीकेएसएस में क्या दिक्कत हो रही है क्या जेबीकेएसएस किसी अन्य पार्टी के दबाव में काम कर रही है.
संजय महतो ने छोड़ा जयराम महतो का साथ : विजय कुमार सिंह
मिली जानकारी के अनुसार JBKSS के केंद्रीय प्रवक्ता विजय कुमार सिंह ने संजय महतो के इस्तीफे पर कहा कि हजारीबाग से उम्मीदवार रहे संजय महतो ने 7 जुलाई को पार्टी से मांडू, बड़कागांव या रामगढ विधानसभा सीट पर उम्मीदवार बनने की इच्छा जताई थी. केंद्रीय अध्यक्ष ने इन सीटों पर उम्मीदवार नहीं देने की बात कही और अन्य विकल्प पर विचार करने को कहा. इसके बाद संजय महतो का व्यवहार बदल गया और वे दिल्ली में एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता से भी मिले. पलामू के प्रोटेम प्रभारी के रूप में उनकी नियुक्ति के बावजूद, वे रायशुमारी और लोकसभा चुनाव की समीक्षा से दूर रहे.विजय कुमार सिंह ने स्वीकार किया कि संजय महतो के इस्तीफे से पार्टी ने एक मुखर वक्ता खोया है, लेकिन यह भी सच है कि संजय महतो ने जयराम महतो जैसे उभरते नेतृत्व का समर्थन खोया है. उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी 2025 के झारखंड विधानसभा चुनाव को पूरी मजबूती और एकता के साथ लड़ेगी और जनता के भरोसे को कायम रखेगी.