झारखंड हाईकोर्ट का आदेश: पेसा कानून को दो महीने में नोटिफाई करे राज्य सरकार
रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पेसा कानून (द प्रोविजन ऑफ द पंचायत-एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया-एक्ट) ) की नियमावली को दो महीने के अंदर अधिसूचित करने का आदेश दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की बेंच ने सोमवार को आदिवासी बुद्धिजीवी मंच व अन्य की ओर से जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
पेसा नहीं लागू होने पर जताई नाराजगी
अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायती राज की व्यवस्था वाले इस कानून को अभी तक लागू नहीं करने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इस याचिका पर पहले भी हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था। वादी की ओर से कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और अधिवक्ता तान्या सिंह ने बहस की।
झारखंड सरकार ने पेसा प्रावधानों को लेकर जारी किया सार्वजनिक परामर्श
झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) के प्रावधानों को लागू करने के लिए सार्वजनिक परामर्श का ड्राफ्ट जारी किया है। इस ड्राफ्ट के अनुसार, राज्य के 13 जिले पेसा रूल्स के तहत आएंगे। यहां स्थानीय लोग ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन कर सकेंगे। ग्राम सभाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सार्वजनिक संपत्ति, ग्राम रक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दों पर स्वयं समितियां बना सकेंगी।
पेसा ड्राफ्ट में पंचायतों को वन भूमि और खनिजों के उपयोग का अधिकार
झारखंड सरकार ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) के प्रावधानों के तहत वन भूमि, लघु जल निकायों, लघु खनिजों, मादक द्रव्यों और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के अधिकारों को परिभाषित करने वाला ड्राफ्ट जारी किया है। इस ड्राफ्ट पर 262 सुझाव और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। इन्हें विधि विभाग को भेजा गया है। हालांकि, इस कानून को अभी तक नोटिफाई नहीं किया गया है। संविधान के अनुसार, 1996 में संसद ने अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के विकास की रक्षा के लिए पी-पेसा नामक विशेष अधिनियम पारित किया था।