जानिए कि जब चंपई सोरेन से इस्तीफा देने के लिए बोला गया तो कोल्हान टाइगर क्या बोले- जान कर खिसक जाएगी आपके पैरों तले से जमीन
जमशेदपुर : कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले चंपई सोरेन ने झारखंड की गद्दी पांच महीने तक संभालने के बाद इस्तीफा दे दिया और इस पर हेमंत सोरेन फिर विराजमान हो गए। हेमंत सोरेन के जेल से छूटने के बाद जब चंपई सोरेन से गद्दी छोड़ने की बात कही गई तो उन्होंने जो जवाब दिया था वह जान कर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। आइए इस खबर में जानते हैं कि चंपई सोरेन ने ऐसा क्या कह दिया था कि एक पल के लिए वहां सन्नाटा छा गया था। लेकिन, बाद में चंपई सोरेन ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को सीएम की गद्दी सौंप दी।
1973 में पार्टी गठन के समय ही ज्वाइन की थी झामुमो
सरायकेला के जिलिंगगोड़ा के रहने वाले चंपई सोरेन बेहद गरीबी में पले हैं। उनके अंदर अपनी माटी का प्यार कूट कूट कर भरा हुआ है। इसीलिए चंपई सोरेन अलग झारखंड राज्य की मांग के आंदोलन में कूद गए थे। इसी दौरान वह आंदोलन के प्रणेता शिबू सोरेन के संपर्क में आए और उनके सबसे करीबी बन गए। 1973 में जब झामुमो का गठन हुआ तो चंपई ने यह पार्टी ज्वाइन कर ली। तब से वह झामुमो का ही दामन पकड़े हुए हैं। जबकि, उनके कई साथियों ने झामुमो छोड़ कर दूसरी पार्टी ज्वाइन कर ली है। 1990 के दशक में चंपई सोरेन ने टाटा स्टील के असंगठित मजदूरों के आंदोलन का भी नेतृत्व किया था।
जानें गद्दी के सवाल पर हुआ था क्या
झामुमो के सूत्रों के अनुसार जब 28 जून को हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद चंपई सोरेन से सीएम की गद्दी छोड़ने को कहा गया तो पहले तो चंपई सोरेन ने ऐसा करने से मना कर दिया था। तब झामुमो के वरिष्ठ नेता हक्का-बक्का रह गए थे। लेकिन, तभी मान मनव्वल का दौर चढ़ा और चंपई सोरेन को मना लिया गया। इसके बाद चंपई सोरेन ने इस्तीफा दे दिया। जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे। तब चंपई सोरेन हेमंत बाबू कह कर भावुक हो गए थे।
सरायकेला सीट पर निर्दलीय जीते थे
चंपई सोरेन ने साल 1995 में सरायकेला विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में वह जीत गए थे। लेकिन, अगला विधानसभा चुनाव वह भाजपा से हार गए थे। इसके बाद जितने भी चुनाव हुए अब तक चंपई सोरेन उनमें जीतते आ रहे हैं। चंपई सोरेन गरीबों के मसीहा कहे जाते हैं। उनके आवास पर मदद के लिए जो भी पहुंचा कभी खाली हाथ नहीं लौटा। वह हमेशा कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहते हैं। इसका फायदा उन्हें चुनाव में मिलता है। इंडिया गठबंधन ने झारखंड में लोकसभा चुनाव चंपई सोरेन के नेतृत्व में लड़ा था। इस चुनाव में इंडिया गठबंधन को छह सीटें मिलीं। जबकि, भाजपा ने सात और आजसू ने एक सीट जीती थी। झामुमो की बात की जाए तो उसे लोकसभा में तीन सीटें मिली हैं।