जमशेदपुर: जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय इन दिनों चारों तरफ से घिरते नजर आ रहे हैं। जहां एक तरफ आदिवासी महिला के साथ मारपीट करने के आरोपी मुन्ना सिंह का पक्ष लेने पर आदिवासी समाज उनसे नाराज है। तो वहीं रांची के अरगोड़ा थाने में आहार पत्रिका घोटाले के मामले में विधायक सरयू राय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने वाले मनोज सिंह ने बुधवार को जमशेदपुर जाकर साकची में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और विधायक सरयू राय को खुले आम चुनौती दी। विधायक सरयू राय पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए मनोज सिंह ने कहा कि विधायक कहते हैं कि उनके खिलाफ आहार पत्रिका मामले में पहले भी पांच एफआईआर दर्ज हो चुकी है और सारी एफआईआर हवा में उड़ गई। जबकि ऐसा नहीं है। मनोज सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ एक भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई।
पीआईएल दायर करने वाले ने नहीं की थी एफआईआर
मनोज सिंह ने बताया कि आहार पत्रिका के मामले में हाई कोर्ट में एक पीआईएल दायर हुई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आपके पास सबूत है तो थाने में एफआईआर दर्ज कराओ। इसके बाद पीआईएल दायर करने वाले ने थाने में एफआईआर दर्ज नहीं कराई।
एक दिन में सचिव से लेकर क्लर्क तक सब ने साइन कर दी थी योजना को मंजूर
मनोज सिंह ने कहा कि विधायक सरयू राय ने बिना टेंडर किए ही तीन करोड़ 38 लाख रुपए में आहार पत्रिका की प्रिंटिंग का काम एक कंपनी को दे दिया। मनोज सिंह ने बताया कि यह नियम के विरुद्ध था। नियमानुसार डेढ़ लाख रुपए से ऊपर का काम वह बिना टेंडर कराए नहीं दे सकते। इसके लिए उन्हें मंत्रिमंडल की अनुमति लेनी थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और वर्क आर्डर कंपनी को दे दिया गया। इसके पहले चार अक्टूबर 2017 को आहार पत्रिका निकालने के अनुमोदन की फाइल पर क्लर्क से लेकर आला अधिकारियों तक ने एक दिन में ही दस्तखत कर दिए और योजना को मंजूरी मिल गई।
सचिव ने दबा दी थी एसीबी की जांच की फइल
मनोज सिंह ने बताया कि इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो में भी शिकायत की गई थी। एंटी करप्शन ब्यूरो के डीएसपी अरविंद कुमार ने जांच करने के बाद कहा था कि आरोप सही हैं। लेकिन, उन्होंने कहा कि आरोप के फेवर में जो दस्तावेज की फोटो कॉपी लगी है। वह चाहते हैं कि इसका ओरिजिनल से मिलान हो जाए। तब आगे की कार्रवाई हो। मनोज सिंह ने कहा कि उन्होंने विभाग को इसके लिए पत्र लिखा था। लेकिन विभाग के में साल 2022 में तैनात तत्कालीन सचिव ने मामले को दबा दिया। फाइल ही दबा दी गई। मनोज सिंह ने कहा कि साल 2009 के चुनाव में सरयू राय ने जो एफिडेविट दिया था। उसके अनुसार उनके पास 64 लाख रुपए की संपत्ति थी। वह चुनाव हार गए थे। मगर जब साल 2014 में उन्होंने नामांकन भरा तो एफिडेविट में उन्होंने दर्शाया कि उनके पास तीन करोड़ 13 लाख रुपए की संपत्ति है। मनोज सिंह ने सवाल उठाया कि विधायक सरयू राय के पास इतनी संपत्ति कहां से आई।