झारखंड में पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन दिल्ली पहुंच गए हैं. वे वहां तीन दिनों तक रहेंगे. चंपई के अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के भी कई विधायकों के भाजपा में शामिल होने की खबर है. दोपहर 3 बजे के करीब उनकी मुलाकात भाजपा के नेताओं के साथ हो सकती है. चंपई शनिवार के रात को ही विधायकों के साथ रांची से कोलकाता के लिए रवाना हो गए थे. सूत्रों का कहना है कि चंपई ने कोलकाता में भाजपा के नेताओं से मुलाकात भी की थी. जिसके बाद रविवार की सुबह दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे. चंपई सोरेन की भाजपा में शामिल होने की अटकलें शुक्रवार से ही चल रही थी. बहरगोड़ा के विधायक समीर महंती और झारखंड मुक्ति मोर्चा से निष्कासित लोबिन हेंब्रम की भी भाजपा में शामिल होने की खबर है. हालांकि समीर मोहंती रविवार को दिल्ली नहीं गए हैं. वे बहरागोड़ा में ही अपने कार्यालय में काम करते देखे गए.
भाजपा परिवारवाद का नैरेटिव सेट करना चाहती है
भारतीय जनता पार्टी इस बार के चुनाव में किसी भी प्रकार से चूकना नहीं चाहती है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के मजबूत पक्ष यानी आदिवासी वोटरों में ही सेंधमारी करने की तैयारी की जा रही है. यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी यह नैरेटिव सेट करना चाह रही है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा में परिवारवाद चरम पर है. उन्हें आदिवासी से कोई मतलब नहीं है. उन्हें अपने परिवार से ही मतलब है. यह सारा कुछ भाजपा खुद से नहीं बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा से आयातित नेताओं से कहलवाना चाहती है, ताकि आदिवासी वोटरों में इस बात का प्रभाव हो. आदिवासी वोटरों का किला दरक सके, उसके लिए यह प्रयास किया जा रहा है.
जानें कि चंपई की कितनी सीटों पर है ताकत
चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोरचा के सीनियर लीडर हैं. वे झारखंड आंदोलन में गुरुजी शिबू सोरेन के साथ रहे. उन्हें कोल्हान में कोल्हान टाइगर के नाम से भी जाना जाता है. ये गुरुजी शिबू सोरेन के सबसे भरोसेमंद थे. हेमंत सोरेन भी इनका सबसे अधिक सम्मान करते हैं. मनी लॉंड्रिंग के केस में जब हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा तो उन्होंने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के बजाय चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री को सीएम की गद्दी सौंपी. चंपई सोरेन की ताकत सरायकेला समेत कोल्हान की आदिवासी सीटों पर है. हालांकि, वर्ष 2005 के चुनाव में चंपई सोरेन खुद 880 वोटों के मामूली अंतर से भाजपा के लक्ष्मण टुडू से जीत सके थे. इसके साथ ही 2014 के चुनाव में भी वे सिर्फ 1100 वोटों से ही चुनाव जीत सके थे.
क्यों पार्टी छोड़ना चाहते है
जब हेमंत सोरेन जेल से बहार निकले तब चंपई सोरेन को सीएम के पद से हटा दिया गया. लेकिन चंपई इस पूरे टर्म तक सीएम की भूमिका निभाना चाहते थे. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि हेमंत यह साबित करने में लग गए कि चंपई ने अच्छे तरीके से शासन नहीं चलाया. कई अधिकारियों की गलत तरीके से पोस्टिंग कर दी. जूनियर अधिकारियों को भी कई महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट दे दिया. इस तरह की तमाम कारणों की वजह से चंपई का पार्टी से मोह भांग हो गया, वह अंदर ही अंदर पार्टी से नाराज चल रहे थे. वहीं पार्टी छोड़ने का दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि वह अपने बेटे को सेट करना चाहते हैं. सुत्रों के अनुसार यह खबर है कि भाजपा उनके बेटे बाबूलाल सोरेन को पोटका और घाटशिला की सीट ऑफर कर सकती है. जो की जेएमएम में रहते हुए यह करना उनके लिए संभव नहीं दिख रहा है.
मंत्री नहीं बनाए जाने पर है नाराज है लोबिन
लोबिन हेम्ब्रम जेएमएम और शिबू सोरेन के एक वफादार सिपाहियों में से एक माने जाते थे. लोबिन अब तक बोरियो विधानसभा क्षेत्र से अब तक पांच बार विधायक चुने गए है. 1990 में पहली बार लोबिन विधायक बने थे. हेमंत सोरेन की पहली कैबिनेट में उनको जगह दी गई थी. लेकिन अब उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी गई, जिससे वे नाराज चल रहे थे.
जब से 2019 में हेमंत सोरेन की सरकार बनी है तब से ही लोबिन हेंब्रम बागी के तौर पर दिख रहे हैं. विधानसभा में भी वे पार्टी लाइन से अलग होकर कई बार बात करते रहे. अपनी ही सरकार को घेरते रहे. वह मंत्री नहीं बनाए जाने पर नाराज तो थे ही इसके अलावा उन्हें किसी आयोग में भी जगह नहीं दी गई. इसके बाद लोबिन ने सरना धर्म कोड और स्थानीय नीति को लेकर हेमंत सरकार को घेरना चालू कर दिया. पार्टी से लोकसभा चुनाव 2024 में टिकट नहीं मिलने के कारण लोबिन ने राजमहल से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया था. उनका यह फैसला पार्टी को पसंद नहीं आया, जिसके कारण चुनाव के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. विधानसभा से भी उनकी सदस्यता को खत्म कर दिया गया. अब उनके पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई और रास्ता भी नहीं दिखाई दे रहा है.
कभी भी एक पार्टी में नहीं टिके है समीर महंती
बहरागोड़ा के विधायक समीर महंती कभी भी किसी भी एक पार्टी में टिक कर नहीं रहे है. उन्हें हर चुनाव में पार्टी बदलने के तौर पर जाना जाता है. अपनी राजनीती की शुरुआत उन्होंने झामुमो से की थी. जब पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने 2014 में झारखंड विकास मोर्चा बनाई तब वे उसमें शामिल हो गए थे. उन्होंने जेवीएम के टिकट पर 2014 में बहरागोड़ा से चुनाव भी लड़ा, मगर वे हार गए. 2009 में उन्होंने आजसू से भी बहरागोड़ा से चुनाव लड़ा था लेकिन सफल नहीं हो पाए. वे भाजपा में भी रहे. लेकिन चुनाव से ठीक कुछ सप्ताह पहले उन्होंने करीब 10 साल बाद जेएमएम में वापसी की और बहरागोड़ा से विधायक बने.
यह खबर आ रही है कि जेएमएम इस बार बहरागोड़ा से कुणाल षाड़ंगी को टिकट दे सकती है. सूत्रों के मुताबिक कुणाल की जेएमएम में वापसी आने वाले कुछ दिनों में संभव है.
हिमंता संभाल रहे हैं तोड़फोड़ अभियान की कमान
झारखंड में होने वाले चुनाव से असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा लीड कर रहे है. भाजपा ने इस बार झारखंड चुनाव जिताने की जिम्मेदारी उन्हें दे दी है. इस पूरे अभियान को वो खुद लीड कर रहे है. हर सप्ताह उन्हें झारखंड का टूर करते हुए देखा जा रहा है. वह झारखंड के चुनाव में एक नैरेटिव सेट करने में लगे हुए हैं. पार्टी के लिए कौन विधायक जिताऊ और उपयोगी साबित हो सकता है, उसे वह दूसरी पार्टियों से लाने पर होमवर्क कर रहे हैं. पार्टी अपने पुराने मुद्दे को छोड़ कर आदिवासियों का मुस्लिम में कन्वर्जन के मुद्दे को उठा रही है. जोड़ तोड़ और हिंदुत्व की राजनीति में हिमंता को एक्सपर्ट माना जाता है. यही एक कारण है की भाजपा ने झारखंड की जिम्मेदारी उनके कंधों पर दी है.
अच्छे व्यक्ति को सीएम की कुर्सी से हटाया गया : दीपक प्रकाश
चंपई के भाजपा में शामिल होने के खबरों के बीच झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि चंपई सोरेन एक अच्छे सीएम के तौर पर काम कर रहे थे. उन्होंने कहा की चंपई सोरेन की भाजपा में शामिल होने की बात उन्होंने सिर्फ खबरों में सुनी है. सब कुछ केंद्र नेतृत्व पर निर्भर करता है. चंपई को उन्होंने बहुत बड़ी शख्सियत कहा और यह भी कहा कि झारखंड के 3.5 करोड़ लोग उनके काम से खुश थे. यह उनके लिए एक झटके वाली बात है की उन्हें सीएम की कुर्सी से हटा दिया गया उनका क्या दोष था ?
हमारे साथ संपर्क में कोई नहीं : हिमंता बिस्वा
असम में सीएम ने यह साफ स्पष्ट कर दिया है की उनका संपर्क जेएमएम के किसी भी नेता से नहीं है. जब उनसे पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बारे में पूछा गया तो वह बचे हुए नजर आए. जब शनिवार को हिमंता से पत्रकारों ने सवाल किया की क्या ये सच है कि चंपई समेत जेएमएम के दूसरे नेता भाजपा में शामिल हो रहे है ? इस सवाल पर उन्होंने जवाब दिया की उनके साथ अभी कोई भी संपर्क में नहीं है. चंपई की भाजपा में शामिल होने की खबर उन्हें खुद मीडिया के माध्यम से मिली है. उन्होंने आगे चंपई को वरिष्ठ पॉलिटिशियन कहा और बोले कि उनके बारे में अभी कोई कैजुअल कमेंट्स नहीं देना चाहते.