रांची : क्या झामुमो से भाजपा में आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के साथ खेल हो गया है। क्या उनको साइड लाइन करने का काम शुरू हो गया है। इस बात को लेकर राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है। यह चर्चा भाजपा के प्रदेश कार्यालय से जारी विज्ञापन के बाद हो रही है। 19 सितंबर को आए इन विज्ञापनों से पूर्व सीएम चंपई सोरेन की तस्वीर गायब रही। इसे लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर अंगुलियां उठाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि पुराने भाजपाई चंपई सोरेन को हजम नहीं कर पा रहे हैं। इसी वजह से उनकी तस्वीर इन विज्ञापनों में नहीं दी गई है। इस बात की चर्चा राजनीतिक गलियारे में तेज होने के बाद भाजपा ने इसका डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया गया है। 20 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से जो विज्ञापन जारी किए गए हैं उनमें पूर्व सीएम चंपई सोरेन की तस्वीर भी जोड़ दी गई है।
भोगनाडीह से आज शुरू होगी परिवर्तन यात्रा
जिस परिवर्तन यात्रा के लिए यह विज्ञापन दिया गया है वह भोगनाडीह से शुरू होने वाली है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह इस यात्रा के शुभारंभ के लिए रांची पहुंच चुके हैं। भोगनाडीह से यह यात्रा शुरू होगी। इसी परिवर्तन यात्रा के लिए 19 सितंबर को जो विज्ञापन बाबूलाल मरांडी ने दिया है उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी की तस्वीरें हैं। मगर, इन तस्वीरों में पूर्व सीएम चंपई सोरेन नहीं दिखे। विज्ञापन में चंपई सोरेन के नहीं होने के मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी चंपई सोरेन को पसंद नहीं कर रहे हैं। इसी वजह से पूर्व सीएम चंपई सोरेन की तस्वीर विज्ञापन में नहीं दी गई है। बैनर, पोस्टर व विज्ञापनों में किसी नेता की तस्वीर होने और नहीं होने के अपने अलग मायने होते हैं। ऐसे में चंपई सोरेन की तस्वीर नहीं होना एक बड़ा राजनीतिक संकेत देता है। कुछ दिनों पहले ही झामुमो से तोड़ कर जब चंपई सोरेन को भाजपा में लाया गया था। तब ही चर्चा थी कि बाबूलाल मरांडी नाराज हैं। इसके बाद बाबूलाल मरांडी दिल्ली गए थे और वहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसी के बाद बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर चंपई सोरेन का स्वागत किया था। अब इस विज्ञापन के आने के बाद यह चर्चा दोबारा शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि जब अर्जुन मुंडा की तस्वीर विज्ञापन में दी गई तो चंपई सोरेन की भी तस्वीर होनी चाहिए थी। लोबिन हेंब्रम को भी कुछ दिन पहले ही भाजपा में लाया गया है।
भाजपा का डैमेज कंट्रोल शुरू, आज के विज्ञापन में जोड़ी गई चंपई की तस्वीर
चंपई सोरेन की तस्वीर विज्ञापन में नहीं होने का राजनीतिक असर हो सकता है। इस बात की चर्चा शुरू होते ही भाजपा की तरफ से डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया गया है। भाजपा की तरफ से 20 सितंबर को आज एक विज्ञापन जारी किया गया है और इसमें अर्जुन मुंडा के बाद चंपई सोरेन की तस्वीर जोड़ दी गई है। तस्वीर में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रखा गया है। उसके बाद जेपी नड्डा हैं। तब बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी और आखिर में चंपई सोरेन। इस विज्ञापन में गृह मंत्री अमित शाह की सबसे नीचे बड़ी तस्वीर है। बताया जा रहा है कि चंपई सोरेन को समझाया भी गया है। चंपई सोरेन को परिवर्तन रैली के कार्यक्रम में बुलाया गया है। वहां अमितशाह की तरफ से चंपई सोरेन को खास तवज्जो देने का प्लान तैयार किया गया है ताकि पोस्टर में तस्वीर नहीं होने की जो कसक चंपई के दिल में हो वह निकल जाए।
भाजपा में नहीं चल पाए दल बदल कर आने वाले नेता
कहा जाता है कि पूर्व में जिन नेताओं ने झमुमो छोड़ कर भाजपा का दामन थामा था, एक-दो अपवाद को छोड़ कर कोई भाजपा में नहीं चल पाया। साल 2019 में पूर्व सीएम रघुवर दास संथाल के बड़े झामुमो नेता हेमलाल मुर्मू को भाजपा में लाए थे। उन्हें राजमहल लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ाया गया। मगर, भाजपाई हेमलाल को नहीं जिता पाए। बाद में हेमलाल मुर्मू भाजपा में हाशिए पर ढकेल दिए गए। इसके बाद हेमलाल मुर्मू ने साल 2023 में होशियारी दिखाते हुए झामुमो में वापस चले गए। इसी तरह, झामुमो के टिकट पर जमशेदपुर से दो बार सांसद रह चुके शैलेंद्र महतो को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने रांची में एक बड़ी जनसभा के सामने भाजपा में शामिल किया था। मगर, भाजपा में शामिल होने के साथ ही शैलेंद्र महतो की सियासी हालत दयनीय होती चली गई। शैलेंद्र महतो सियासी परिदृश्य से गायब हो गए। अलबत्ता, भाजपा ने उनकी पत्नी आभा महतो को दो बार 1998 और 1999 में सांसद बनाया। मगर, बाद में दोनों पति-पत्नी भाजपा की सियासत से गायब हैं। अब चर्चा है कि असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा शैलेंद्र महतो और उनकी पत्नी आभा महतो को भी राजनीति में सक्रिय कर रहे हैं। हिमंता बिस्वा सरमा ने शैलेंद्र महतो से संपर्क साधा है। चर्चा यह भी है कि विधानसभा चुनाव में आभा महतो को किसी विधानसभा सीट से टिकट भी दिया जा सकता है ताकि कुड़मी वोट बैंक को साधा जा सके।