जमशेदपुर: झामुमो छोड़ कर भाजपा में गए पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। झामुमो ने उन्हें उन्हीं की सीट सरायकेला में घेरने का फुलप्रूफ प्लान तैयार कर लिया है। कहा जा रहा है कि सरायकेला में चंपई सोरेन के खिलाफ झामुमो ऐसा उम्मीदवार उतारने जा रही है, जिसके खिलाफ चंपई भी बोलने से कतराएंगे। इस तरह, सरायकेला में चंपई की धार कुंद करने की तैयारी हो गई है। यह उम्मीदवार हैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन। बताया जा रहा है कि झामुमो में कल्पना सोरेन को सरायकेला सीट से लड़ाने पर आम सहमति बन रही है। कल्पना सोरेन चंपई के मामले में कह चुकी हैं कि वह चाचा चंपई सोरेन के खिलाफ कोई बयान नहीं देंगी। ऐसे में चंपई सोरेन कल्पना सोरेन पर ज्यादा कुछ नहीं बोल सकेंगे। चंपई अगर हेमंत सोरेन पर निशान साधेंगे भी तो उसका कल्पना सोरेन की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कोल्हान पर खास ध्यान दे रही झामुमो
विधानसभा चुनाव 2019 में कोल्हान से भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। यहां से भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया था। इससे भाजपा बौखला गई है। अब भाजपा ने कोल्हान फतह करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। चंपई को भाजपा में लाना इसी प्लानिंग का हिस्सा था। अब भी भाजपा कोल्हान के कई झामुमो विधायकों के सामने चारा फेंक चुकी है। इसे लेकर राजनीतिक गलियारे में तरह तरह की चर्चा हो रही है। ऐसे में हालात में झामुमो हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठा है। सीएम हेमंत सोरेन भी सरायकेला में ही चंपई को घेर कर मास्टर स्ट्रोक लगाने जा रहे हैं। यह मास्टर स्ट्रोक होगा मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन का सरायकेला से चुनाव लड़ना। इसकी तैयारी पूरी हो गई है। झामुमो सरायकेला सीट पर चंपई को चुनौती देने के लिए कमर कस रहा है।
शिबू सोरेन की बहू होने के नाते मिलेगी हमदर्दी
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आदिवासी समाज शिबू सोरेन को बेहद मानता है। वह शिबू सोरेन के नाम पर ही तीन-धनुष चुनाव चिन्ह पर बटन दबाता है। उम्मीदवार चाहे कोई भी हो। जब शिबू सोरेन की बहू झामुमो से ही चुनाव मैदान में हो तो आदिवासी समाज की हमदर्दी मिलना स्वाभाविक है। कहा जा रहा है कि अगर सरायकेला में कल्पना सोरेन ने चुनाव लड़ा तो चंपई सोरेन के लिए काफी मुश्किल होगी। वह खुल कर कल्पना के खिलाफ नहीं बोल पाएंगे। कल्पना सोरेन पर निशाना साधने के लिए चंपई के तरकश में कोई राजनीतिक तीर भी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर चंपई के सामने कल्पना सोरेन के अलावा कोई उम्मीदवार होगा तो चंपई उस पर सीधे हमलावर हो सकते हैं। मगर, कल्पना सोरेन के सामने उनकी स्थिति कमजोर होगी।
चंपई के लिए अपनी सीट बचाना हुआ मुश्किल
सरायकेला से अगर कल्पना सोरेन मैदान में आती हैं तो चंपई सोरेन के लिए अपनी सीट बचाना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, चंपई को यहां भाजपा से भी भितरघात का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा में पहले से कई आदिवासी नेता हैं जो सरायकेला में अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे थे। जब फसल काटने का मौका आया तो चंपई सोरेन टपक पड़े। सूत्रों की मानें तो यह नेता अब न खाएंगे न खाने देंगे की सूक्ति पर अमल करने के लिए तैयार बैठे हैं। इसके अलावा, कुछ कद्दावर आदिवासी नेताओं को भी चंपई का भाजपा में आना ठीक नहीं लग रहा है। यह लोग सरायकेला में चंपई सोरेन के खिलाफ भितरघात का माहौल बनाने में लग गए हैं।
कल्पना का नाम सुनकर भाजपा में खलबली
भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2024 का जो प्लान तैयार किया है उसमें है कि कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन पूरे कोल्हान में दहाड़ेंगे और भाजपा के लिए सीटों का जुगाड़ करेंगे। लेकिन, अगर सरायकेला में चंपई के सामने कल्पना सोरेन को उतार दिया जाता है तो चंपई घिर जाएंगे। चंपई दबाव में आ जाएंगे और वह अपनी सीट पर ही फंस कर रह जाएंगे। इस तरह के माहौल में चंपई सोरेन पूरे कोल्हान में फोकस नहीं कर सकेंगे। ऐसे में भाजपा के मिशन कोल्हान को झटका लग सकता है। यही सोच कर भाजपा कल्पना सोरेन के नाम से घबराई हुई है।
असम में थे चंपई, यहां हेमंत ने कर दिया खेल
सरायकेला इलाके के झामुमो के नेता और जिले के पदाधिकारियों ने रांची जाकर सीएम हेमंत सोरेन से मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि सरायकेला के झामुमो के नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन के प्रति वफादारी का इजहार कर दिया है। सरायकेला के यह नेता रात को रांची पंहुचे थे और वहां सीएम से मुलाकात की थी। इन नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन से कहा है कि वह चंपई सोरेन के साथ नहीं हैं। वह सब झामुमो में ही रहेंगे और सीएम हेमंत सोरेन के निर्देश का पालन करेंगे। यह जानकारी चंपई सोरेन के खेमे को हो गई है। उन्हें पता चल गया है कि चंपई सोरेन जब असम में सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के मेहमान थे तो यहां हेमंत ने उनके साथ खेल कर दिया। बताते हैं कि चंपई के सरायकेला में काम करने वाले कई सिपहसालार हेमंत ने तोड़ लिए हैं।
2014 में महज 1115 वोट से जीते थे चंपई
सरायकेला के विधायक चंपई सोरेन साल 2014 में बेहद कम अंतर से जीते थे। इस चुनाव में चंपई और भाजपा के गणेश महाली के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। चंपई सोरेन महज 1115 वोट से ही जीते थे। चंपई सोरेन को 94 हजार 746 वोट जबकि, भाजपा के गणेश महाली को 93 हजार 631 वोट मिले थे। कृष्णा मार्डी के सांसद बनने के बाद जब यह सीट खाली हुई तो चंपई सोरेन को झामुमो से टिकट मिला। यही नहीं, चंपई सोरेन ने इस चुनाव में जीत हासिल कर राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत की थी। तब से बीच में साल 2000 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो 2019 तक हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ कर चपई सोरेन ने जीत हासिल की थी। 2019 के चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में चंपई सोरेन ने 95 हजार 887 वोट हासिल किया था। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी गणेश महाली को 15 हजार 667 वोटों से हराया था। गणेश महाली को 95 हजार 887 वोट मिले थे। 2009 का विधानसभा चुनाव भी चंपई सोरेन ने भाजपा के लक्ष्मण टुडू को 3 हजार 246 वोटों से हरा कर जीता था। इस चुनाव में चंपई को 57 हजार 156 वोट जबकि, लक्ष्मण टुडू को 53 हजार 910 वोट मिले थे। साल 20005 में चंपई ने भाजपा नेता लक्ष्मण टुडू को 882 वोट से शिकस्त दी थी। इस चुनाव को जीतने में चंपई का पसीना छूट गया था। चंपई सोरेन को इस चुनाव में 61 हजार 112 वोट मिले थे तो भाजपा के लक्ष्मण टुडू ने 60 हजार 230 वोट हासिल किए थे। साल 2000 में तो इस सीट पर चंपई की हालत खराब हो गई थी। जनता उनसे नाराज थी। यही वजह रही कि चंपई सोरेन 40 हजार 550 वोटों पर सिमट गए थे। उन्हें भाजपा प्रत्याशी अनंत राम टुडू ने 8 हजार 783 वोटों से हरा दिया था।