रांची : कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा और अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अब सवाल यह है सीएम हेमंत सोरेन अब अपनी कैबिनेट में जल संसाधन मंत्री के रूप में किसे चुनेंगे। फिफ्थ पिलर को मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन को चंपई सोरेन की जगह मंत्री बनाने का फैसला लिया है। सीएम हेमंत सोरेन ने इस संबंध में राजभवन को पत्र भेज दिया है। राजभवन भी रामदास सोरेन के शपथ ग्रहण की तैयारी में जुट गया है। माना जा रहा है कि रामदास सोरेन शुक्रवार को राजभवन में मंत्री पद की शपथ लेंगे। उन्हें चपई सोरेन वाला विभाग ही दिया जाएगा। यानि रामदास सोरेन जल संसाधन व उच्च शिक्षा मंत्री बनेंगे।
घाटिशला से दूसरी बार जीते हैं रामदास सोरेन
रामदास सोरेन घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं। वह पूर्वी सिंहभूम जिले के झामुमो इकाई के अध्यक्ष भी हैं। झारखण्ड के कोल्हान में रामदास सोरेन को चंपई सोरेन के बाद झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का दूसरा सबसे बड़ा नेता कहा जाता था। अब चंपई के भाजपा में जाने के बाद रामदास सोरेन कोल्हान में झामुमो के बड़े कद्दावर नेता बन गए हैं। रामदास सोरेन की आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ है। अलग झारखण्ड आंदोलन में भी उन्होंने शिबू सोरेन का साथ दिया था। उन्होंने साल 2009 में घाटशिला से झामुमो के टिकट पर चुनाव जीता था। तब रामदास सोरेन ने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक प्रदीप कुमार बालमुचू को 1192 वोटों से हराया था। रामदास सोरेन साल 2005 में भी घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। मगर हार गए थे। साल 2014 में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। विधानसभा चुनाव 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी लखन चंद्र मार्डी को 6724 वोटों से हराया था।
कोल्हान में चंपई के विकल्प होंगे रामदास
चंपाई सोरेन के भाजपा में जाने के बाद से ही झामुमो इस रणनीति पर काम कर रही थी कि कोल्हान की राजनीति में झामुमो का परचम कौन बुलंद करेगा। झामुमो के थिंक टैंक ने इसके लिए रामदास सोरेन का नाम तय किया था। तभी से यह तय हो गया था कि जैसे ही चंपई सोरेन मंत्री पद छोड़ेंगे रामदास सोरेन की उनकी जगह ले लेंगे। कोल्हान में आदिवासी समाज को एकजुट करने का जिम्मा रामदास सोरेन को मिला है। बताते हैं कि सीएम हेमंत सोरेन ने गम्हिरया में हुए प्रोग्राम में ही रामदास सोरेन की पीठ थपथपा दी थी। उन्हें हिदायत दे दी गई है कि वह कोल्हान में आदिवासी समाज को एकजुट करें और उन्हें भाजपा की साजिश से अवगत कराएं। रामरस सोरेन भी चंपाई सोरन की तरह संथाली आदिवासी हैं। झामुमो को इसका लाभ मिलेगा।
चंपई के जाने से झामुमो चिंतित नहीं
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा इस बात को लेकर चिंतित नहीं है कि चंपाई सोरेन ने पार्टी का दामन छोड़ भाजपा का हाथ थाम लिया है। JMM के पास आदिवासी नेताओं की कमी नहीं है। कोल्हान में झामुमो की पकड़ शुरू से ही अच्छी है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा कोल्हान में अपना खाता तक नहीं खोल पाई थी। अब चंपाई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद बीजेपी यह आस लगाए बैठी है कि कोल्हान में उसका प्रदर्शन बेहतर रहेगा। लेकिन भाजपा के लिए यह इतना आसान नहीं है।
रामदास करेंगे डैमेज कंट्रोल
चंपाई के भाजपा में जाने के बाद डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी अब रामदास सोरेन पर आ गई है। चंपाई सोरेन के लिए कोल्हान पर कब्ज़ा करना आसान नहीं दिख रहा है। रामदास सोरेन पार्टी के एक पुराने कद्दावर नेता हैं। वह पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन और सीएम हेमंत सोरेन के करीबी भी हैं। चंपाई सोरेन की तरह वह भी संथाली आदिवासी हैं। इस वजह से आदिवासी समाज में उनकी अच्छी पकड़ है। इससे संथाल वोटरों से उनको फायदा मिल सकता है। कोल्हान में आदिवासी वोटरों का खासा असर है। रामदास सोरेन जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं। वह ग्राउंड लेवल पर जा कर लोगों की समस्या का समाधान करते हैं। वह अपने क्षेत्र और कोल्हान के बाकी क्षेत्रों में लोगों तक पहुचते हैं और उनसे लगातार संपर्क में रहते हैं। वह हमेशा से ही लोगों से फीडबैक लेते रहते हैं। JMM के पास एक समस्या उनके स्वास्थ्य को लेकर है। रामदास का हाल ही में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ है। कहा जा रहा है कि इस वजह से अब रामदास सोरेन ज्यादा भागदौड़ कर सकेंगे इसमें संदेह है। मगर, रामदास के करीबियों का कहना है कि रामदास पूरी तरह फिट हैं। कोल्हान में फिर भाजपा का खाता नहीं खुलने देंगे।