सियासी इतिहास में पहली बार हुआ जिस राज्यपाल ने लिया था इस्तीफा उसी ने दिलाई दोबारा सीएम पद की शपथ
रांची : सियासत में कभी कुछ भी हो सकता है। मगर, झारखंड में यह पहली बार हुआ है कि जिस राज्यपाल ने किसी मुख्यमंत्री से इस्तीफा लिया हो उसी ने उसको कुछ दिन बाद फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई हो। ऐसा राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने किया है। ईडी की जांच के बाद जब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हो रही थी तो 31 जनवरी को उन्होंने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णनन को इस्तीफा सौंपा था। बाद में जब हेमंत सोरेन जेल से छूट कर बाहर आए हैं तो उन्होंने ही गुरुवार को उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है। ऐसा पांच महीने के अंदर ही हुआ है। 31 जनवरी को हेमंत सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णनन को अपना इस्तीफा दिया था और चार जुलाई को गवर्नर सीपी राधाकृष्णनन ने ही हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है।
राज्यपाल से रही है तल्खी
साल 2019 में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने के बाद जब हेमंत सोरेन ने इस सरकार की बागडोर संभाली तभी से उनकी राज्यपाल से तल्खी रही है। पहले राज्यपाल रमेश बैस थे और अब सीपी राधाकृष्णनन। पहले बुद्धिजीवियों को राज्यपाल बनाया जाता था। अब राज्यपाल का पद पार्टी के लोग अपने नेता को ही देते हैं। यही वजह है कि राज्यपाल जैसा पद भी अब पार्टी पॉलिटिक्स का शिकार हो चुका है। जिस पार्टी का राज्यपाल होता है वह उसी को सपोर्ट करता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन भी राज्यपाल सीपी राधा कृष्णनन पर आरोप लगा चुके हैं। जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जेल जाने से पहले एक वीडियो मैसेज में भाजपा पर साजिश के तहत उन्हें जेल भेजने का आरोप लगाया था और कहा था कि इस साजिश में राज्यपाल भी शामिल हैं। विधायक कल्पना सोरेन ने कहा था कि हेमंत सोरेन जब इस्तीफा सौंपने राजभवन गए थे तो उन्हें राजभवन के पिछले गेट से अंदर ले जाया गया था। यह किसकी सहमति से हुआ था। कल्पना मुर्मू सोरेन का इशारा राज्यपाल की ही तरफ था।
अब मंत्रिमंडल के विस्तार पर निगाह
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। सभी की निगाहें मंत्रिमंडल के विस्तार पर लग गई हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर कौन मंत्री बनेगा। किसकी मंत्रिमंडल से छुट्टी होगी। माना जा रहा है कि जामताड़ा के विधायक की मंशा पूरी होने वाली है। वह चार साल से मंत्री बनने की बाट जोह रहे थे। कई बार उन्होंने अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब जेल गए तो इरफान अंसारी ने मंत्री मंडल में फेरबदल को लेकर मोर्चा ही खोल दिया था। रांची के सर्किट हाउस में मीटिंग की थी। विधायकों को लेकर दिल्ली भी पहुंच गए थे। अब वह मंत्री बन सकते हैं क्योंकि आलमगीर आलम जेल में हैं और उनकी जगह इरफान अंसारी को मंत्री बनाए जाने की संभावना प्रबल है। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए थे। इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि मंत्रिमंडल से कांग्रेस कोटे के किसी मंत्री की छुट्टी होने वाली है। अब देखना है कि वह मंत्री कौन है। उस मंत्री की छुट्टी होगी या फिर मामला सेट हो गया है।