घाटशिला में अबकी बार झामुमो की स्थिति है नाजुक , जानें किस दमदार उम्मीदवार को उतारने जा रही बीजेपी
मुज़तबा हैदर रिज़वी, जमशेदपुर : कभी सीपीआई और कांग्रेस का गढ़ रही घाटशिला विधानसभा सीट पर इस बार झामुमो की साख दांव पर है। झामुमो के जिला अध्यक्ष रामदास सोरेन से क्षेत्र की जनता नाराज चल रही है, उनकी नाराजगी को भाजपा भुनाने के लिए आमादा है। इसके लिए भाजपा एक जिताऊ उम्मीदवार की खोज कर रही है। भाजपा के इंर्टनल सर्वे की टीम ने भाजपा के झारखंड प्रभारियों को ऐसा नाम सुझा दिया है जो यहां से भाजपा को जीत दिला सकते है। दूसरी तरफ, झामुमो भी जनता की नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेसी भी इस कोशिश में हैं कि यह सीट उन्हें मिल जाए। हालांकि, उनके लिए घाटशिला दूर की कौड़ी होगी।
भाजपा से कई उम्मीदवार कतार में
अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा से इस बार कई उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए कतार में हैं। यह उम्मीदवार अपने-अपने राजनीतिक आकाओं तक पहुंच बना रहे हैं। कोई प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से संपर्क में है तो कोई अर्जुन मुंडा पर भरोसा कर रहा है। यहां से सबसे प्रबल दावेदार लक्ष्मण टुडू माने जा रहे हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में भाजपा को जीत दिलाई थी। माना जा रहा है कि लक्ष्मण टुडू की पैरवी अर्जुन मुंडा कर रहे हैं। लक्ष्मण टुडू की मजबूत दावेदारी के पीछे उनकी साल 2014 की जीत को कारण माना जा रहा है। उस विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण टुडू ने झामुमो के रामदास सोरेन को हरा दिया था। लक्ष्मण टुडू को 52,506 वोट मिले थे. जबकि रामदास सोरेन को महज 46103 वोट मिले थे. लक्ष्मण टुडू ने रामदास सोरेन को 6403 वोटों से हरा दिया था.
पिछली बार हारे, फिर टिकट की जुगत में लगे हैं लखन
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा के उम्मीदवार रहे लखन मार्डी भी इस बार फिर ताल ठोकने की बात कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार टिकट बंटवारे में पिछली बार के फार्मूला को इस बार रिपीट नहीं किया जाएगा. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि उन्होंने अपनी बात बाबूलाल मरांडी तक पहुंचा दी है। मगर, माना जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में लखन मार्डी की हार को देखते हुए शायद ही शीर्ष नेतृत्व उन पर भरोसा कर पाए।
कई अन्य नामों पर भी चल रही चर्चा
घाटशिला से एक और समाजसेवी महिला उम्मीदवार इस बार टिकट पाने के लिए जोड़-तोड़ में जुट गई हैं। इनका नाम है गीता मुर्मू। जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू भी भाजपा से टिकट चाहती हैं। इसके लिए वह भी रांची का चक्कर काट चुकी हैं। जिला परिषद सुभाष सिंह भी चुनाव लड़ने की चाह रखते हैं और पार्टी के बड़े नेताओं से संपर्क में हैं। पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा भी चुनाव लड़ने के लिए कमर कस रहे हैं। वह अपनी झारखंड पीपुल्स पार्टी से चुनाव लड़ते हैं।
पूर्व विधायक की बहू भी लड़ना चाहती हैं चुनाव
बास्ता सोरेन 1962 में घाटशिला से सीपीआई के विधायक थे। उनकी बहू सुनीता देवदूत सोरेन जमशेदपुर में ब्रह्मानंद अस्पताल की डॉक्टर हैं। सुनीता देवदूत सोरेन भी इस बार भाजपा से टिकट की दावेदार हैं। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली सुनीता देवदूत सोरेन यहां से चुनाव लड़ने की तैयारी कई साल से कर रही हैं। इसके लिए वह घाटिशला में क्लीनिक खोल कर रविवार को बैठती हैं और लोगों का मुफ्त इलाज करती हैं। ग्रामीण इलाकों में भी जाकर आए दिन छोटे पैमाने पर स्वास्थ्य कैंप लगाती रहती हैं। क्षेत्र में अपने सामाजिक कार्यों से फैन फॉलोइंग बढ़ा रही हैं.
झामुमो से रामदास ही लड़ेंगे
यहां से झामुमो से सिटिंग विधायक रामदास सोरेन ही चुनाव लड़ेंगे। अब तक यही संभावना बन रही है। जबकि, क्षेत्र के एक दिग्गज नेता कान्हू राम सामंत भी पहले इस सीट से चुनाव लड़ते थे। मगर, अब कान्हू राम ने झामुमो ज्वाइन कर ली है। वह झामुमो के केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। इसका फायदा रामदास सोरेन को मिलने की उम्मीद है.
साइकिल से प्रचार करते थे पूर्व विधायक बास्ता सोरेन
बास्ता सोरेन की उम्र अब 95 साल हो गई है। वह बताते हैं कि जब उन्होंने चुनाव लड़ा तो साइकिल से गांव-गांव जाकर प्रचार किया। गांव में ही भोजन बनता था और सभी खाते थे। आज की तरह हाईटेक प्रचार नहीं था। तब चुनाव में नीति और सिद्धांत थे। मगर, अब सब गायब हो चुके हैं। बास्ता सोरेन ने 1962 में सीपीआई के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार घानीराम हांसदा को 897 मतों से शिकस्त दी थी। बास्ता सोरेन को 6724 मत जबकि घानीराम को 5827 मत मिले थे।
लक्ष्मण टुडू का पत्ता गोल करने का खमियाजा
लक्ष्मण टुडू पर अर्जुन मुंडा के करीबी होने का लेबल है। इस वजह से पूर्व सीएम रघुवर दास ने जब साल 2019 में टिकट बांटे तो घाटशिला से तत्कालीन सिटिंग विधायक लक्ष्मण टुडू का ही पत्ता गोल कर दिया था। यहां से लखन मार्डी को टिकट मिला था। मगर, लखन मार्डी पार्टी की नैया पार नहीं लगा सके और भाजपा ने यह सीट गंवा दी थी। इस चुनाव में झामुमो के रामदास सोरेन को 63 हजार 531 वोट मिले थे। जबकि, लखन मार्डी 56 हजार 807 मतों पर सिमट गए थे।
बलमुचू के लिए कांग्रेस को चाहिए घाटशिला सीट
इस बार कांग्रेस और झामुमो दोनों इंडिया गठबंधन के घटक दल हैं.। दोनों मिल कर चुनाव लड़ेंगे। इनके बीच सीटों का बंटवारा होना है। घाटशिला सीट पर अभी झामुमो का कब्जा है। माना जा रहा है कि सीटों के बंटवारे में इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि किस सीट पर किस पार्टी का सिटिंग विधायक है। इस नाते घाटशिला की सीट झामुमो के खाते में जाने की मजबूत संभावना है। मगर, कांग्रेस इस सीट को हथियाने के लिए हाथ-पैर मार रही है। इलाके के कांग्रेसी नेताओं ने यह बात प्रदेश नेतृत्व के कान में डाल दी है। वरिष्ठ नेताओं को बता दिया गया है कि इस सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं और कांग्रेस पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है जबकि, झामुमो सिर्फ दो बार। घाटशिला सीट पर डॉ प्रदीप कुमार बलमुचू चुनाव जीतते रहे हैं. पिछले विधानसभा यानी वर्ष 2019 में झामुमो और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने की वजह से यह सीट झामुमो के खाते में चली गयी थी. टिकट नहीं मिलने पर डॉ प्रदीप बलमुचू ने आजसू ज्वाइन कर लिया था, और कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ लिया. इस चुनाव में उन्हें 31,910 वोट मिले. वे तीसरे स्थान पर रहे. हालांकि, बाद में उन्होंने फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया.
क्या हैं जातिगत समीकरण
घाटशिला विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। किसी भी उम्मीदवार की जीत में एसटी मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एसटी मतदाताओं का झुकाव जिस उम्मीदवार की तरफ हुआ वही यहां से जीत हासिल करता है। घाटिशला में एसटी मतदाताओं की संख्या 48.29 प्रतिशत है। यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 5.32 प्रतिशत है। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक नहीं है। फिर भी मुस्लिम वोटर 8.9 प्रतिशत हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांटे की लड़ाई में मुस्लिम मतदाता अहम किरदार निभाते हैं। इनका वोट जिनके पाले में जाता है, उसका पलड़ा भारी हो जाता है। यही वजह है कि इस सीट पर भाजपा को अधिक कामयाबी नहीं मिल पाई है। इस विधानसभा क्षेत्र में शहरी मतदाता 28 प्रतिशत जबकि ग्रामीण वोटर 71.94 प्रतिशत हैं। भाजपा की नाकामी के पीछे यह भी एक कारण है।
पांच-पांच बार चुनाव जीत चुकी है कांग्रेस व सीपीआई
घाटशिला विधानसभा सीट 1952 में बनी थी। तब से यहां 17 चुनाव हो चुके हैं। इनमें से सीपीआई और कांग्रेस ने पांच-पांच बार चुनाव जीता है। इसके बाद झारखंड पार्टी का नंबर आता है। झारखंड पार्टी ने इस सीट से तीन बार चुनाव जीता है। झामुमो ने इस सीट पर दो बार जीत का परचम लहराया है। जबकि, आजसू और भाजपा को भी एक-एक बार जीत का मौका मिला है।
मुकुंद राम तांती थे पहले विधायक
इस सीट पर पहला चुनाव साल 1952 में हुआ था। तब झारखंड पार्टी के मुकुंदराम तांती विधायक बने थे। इस सीट पर कांग्रेस के प्रदीप कुमार बलमुचू सर्वाधित तीन बार लगातार चुनाव जीत कर विधायक बन चुके हैं। प्रदीप कुमार बलमुचू यहां से साल 1995, 2000 और साल 2005 में चुनाव जीते थे। सीपीआई के उम्मीदवार टीकाराम मांझी ने भी इस सीट से तीन बार लगातार विधायक होने का गौरव प्राप्त किया है। वह साल 1972, 1977 और 1980 में चुनाव जीते थे।
घाटिशला में एक बार हुआ है उपचुनाव
घाटिशला सीट पर एक बार उपचुनाव हुआ है। साल 1990 में आजसू ने भी इस सीट से ताल ठोकी थी। उन्होंने तब तेजी से उभरते हुए नेता सूर्य सिंह बेसरा को उम्मीदवार बनाया था। सूर्य सिंह बेसरा चुनाव जीत गए थे। मगर, उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने के मुद्दे पर एक साल के अंदर ही अपना जीत का प्रमण पत्र आग के हवाले करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद साल 1991 में उप चुनाव हुआ था। यह उप चुनाव सीपीआई के टीकाराम मांझी ने जीता था। सूर्य सिंह बेसरा तब से कोई चुनाव नहीं जीत सके हैं।
अब भी पिछड़ा है 17 विधायक देख चुका घाटशिला
घाटशिला को अब तक 17 विधायक मिल चुके हैं। इसके बाद भी यह इलाका पिछ़ड़ा है। यहां के अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है। इसलिए मरीजों और घायलों को जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल रेफर करना पड़ता है। अधिकतर मरीज एमजीएम ले जाते हुए रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं। यहां कोई बीएड कॉलेज नहीं है। ब्लड बैंक की मांग उठती रहती है। गुड़ाबांदा में सामुदायिक अस्पताल बनवाने की मांग अरसे से की जा रही है। यहां के लोग इलाज कराने बंगाल जाते हैं। क्षेत्र में सिंचाई के साधन नहीं होने से किसानों को परेशानी होती है। हेंदलजुड़ी में पंडित रघुनाथ मुर्मू ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना की बात कही जा रही है। मगर अब तक इसकी जमीन ही चिन्हित हो पाई है। बुरूडीह डैम के विकास का सिर्फ डीपीआर ही तैयार हो पाया है। क्षेत्र की कई खदानें बंद पड़ी हैं। इनमें घाटशिला, मुसाबनी व मऊभंडार की खदानें हैं। इन्हें खुलवाने का मुद्दा है।
अरसे से हो रही जिला बनाने की मांग
क्षेत्र के लोग घाटशिला को जिला बनाने की मांग जमाने से कर रहे हैं। साल 2010 में सरकार की तरफ से इसकी प्रक्रिया शुरू की गई थी। कागजी घोड़े दौड़ाए गए थे। मगर, फिर सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया।
घाटशिला विधानसभा का परिचय
यह विधानसभा क्षेत्र जमशेदपुर संसदीय इलाके और पूर्वी सिंहभूम जिले में आता है। इसमें धालभूमगढ़,मुसाबनी और घाटिशला प्रखंड का पूरा इलाका और गुड़ाबांदा का कुछ इलाका आता है। गुड़बांदा के 21 बूथ इसमें पड़ते हैं। स्वर्णरेखा नदी से सटा होने की वजह से यहां की जमीन उपजाऊ है। गेहूं और चावल यहां की मुख्य पैदावार है।
घाटिशला में कुल मतदाता- दो लाख 56 हजार 156
कब कौन जीता
1952- मुकुंद राम तांती, झारखंड पार्टी
1957- श्यामाचरण मुर्मू, झारखंड पार्टी
1962- बास्ता सोरेन, सीपीआई
1967- दशरथ मुर्मू, कांग्रेस
1969-यदुनाथ बास्के, झारखंड पार्टी
1972- टीकाराम मांझी, सीपीआई
1977- टीकाराम मांझी, सीपीआई
1980- टीकाराम मांझी, सीपीआई
1985- करण मार्डी, कांग्रेस
1990- सूर्य सिंह बेसरा, आजसू
1991 उपचुनाव- टीकाराम मांझी, सीपीआई
1995- प्रदीप बलमुचू, कांग्रेस
2000- प्रदीप बलमुचू, कांग्रेस
2005- प्रदीप बलमुचू, कांग्रेस
2009- रामदास सोरेन, झामुमो
2014- लक्ष्मण टुडू, भाजपा
2019- रामदास सोरेन, झामुमो
यह हैं चुनाव नतीजे
साल 2019
झामुमो- रामदास सोरेन- 63531, 6724 मतों से जीते
बीजेपी- लखन चंद्र मार्डी-56807
आजसू- प्रदीप बलमुचू- 31910
निर्दलीय-बिस्वनाथ सिंह- 2293
झारखंड पीपुल्स पार्टी- सूर्य सिंह बेसरा-2255
भाकपा-कनाई मुर्मू- 1868
झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक-डा. सुनीता देवदूत सोरेन-1738
जनता दल युनाइटेड- अमित कुमार सिंह- 1706
निर्दलीय- बहादुर सोरेन- 1561
निर्दलीय- लखीपदो सिंह- 1505
निर्दलीय- सुनील कुमार मुर्मू- 1386
कुल मतदाता- 242798
साल 2014
बीजेपी-लक्ष्मण टुडू-52506, 6403 मतों से जीते
झामुमो- रामदास सोरेन- 46103
कांग्रेस- सिंड्रेला बलमुचू-36672
निर्दलीय-कान्हू सामंत-12194
नोटा-2985
भाकपा-दुलाल चंद्र हांसदा, 2468
निर्दलीय-बिमल मुंडा, 2003
जेवीएम पी- गीता मुर्मू- 1953
एसयूसीआइ सी- जयदेव सिंह, 1496
निर्दलीय-बाबूलाल मुर्मू- 1313
जेबीएसपी-दुखीराम मार्डी- 1116
कुल मतदाता- 233408
विधानसभा चुनाव 2009
झामुमो-रामदास सोरेन-38283, 1192 मतों से जीते
कांग्रेस- प्रदीप बलमुचू-37091
बीजेपी-सूर्य सिंह बेसरा- 28561
आजसू-कान्हू सामंत- 10978
भाकपा-गणेश चंद्र मुर्मू, 2925
निर्दलीय-साधू मुंडा-2002
निर्दलीय-दुखीराम मार्डी-1172
राष्ट्रीय देशज पार्टी-अधिराज सोरेन-1148
एआइटीसी-प्रधान सोरेन- 941
निर्दलीय- चुनूराम सबर, 910
निर्दलीय-साबिर सोरेन-863
कुल मतदाता- 198121
विधानसभा चुनाव 2005
कांग्रेस-प्रदीप कुमार बलमुचू-50936, 16447 मतों से जीते
निर्दलीय- रामदास सोरेन 34489
बीजेपी-रामदास हांसदा-21352
आजसू-कान्हू सामंत- 15187
निर्दलीय-बिमल कुमार सिंह-1937
एआइटीसी-गोविंदा मार्डी-1314
निर्दलीय- पुतु सिंह-1184
निर्दलीय- बिनोद सोरेन- 1106
विधानसभा चुनाव 2000
कांग्रेस-प्रदीप बलमुचू-50645, 31876 मतों से जीते
बीजेपी- बैजू मुर्मू- 18769
भाकपा- बबलू मुर्मू- 16353
झामुमो-शंकर चंद हेंब्रम, 9891
झारखंड पीपुल्स पार्टी- कान्हू सामंत-2777
राजद- जयपाल मांझी-2563
निर्दलीय- सीताराम टुडू- 1583
मुजतबा हैदर रिजवी