रांची: झारखंड शब्द का अर्थ है जंगल झाड़ वाला इलाका। झारखण्ड के आदिवासियों के अनुसार, झारखण्ड दो शब्द “जाहेर” (सारना स्थल) और “खोण्ड” (वेदी) शब्दों से मिलकर बना है। अब झारखण्ड का नाम जंगल क्षेत्र के कारण पड़ा है तो जाहिर सी बात है की जंगल में बाघ तो होंगे ही। झारखंड को बिहार से अलग कर एक नया राज्य बनाने के लिए कई आन्दोलनकारियों ने बहुत संघर्ष किया। कुछ आंदोलनकारियों को यहां की जनता ने टाइगर नाम से बुलाना शुरू कर दिया। जैसे कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को कोल्हान टाइगर के नाम से बुलाने लगे। बोकारो जिले के लोगों ने जगन्नाथ महतो को टाइगर के नाम से बुलाना शुरू कर दिया। अब झारखण्ड की धरती में एक और टाइगर लॉन्च हो चुका है। झारखण्ड की राजनीति में एक नई पार्टी JKLM के नेता जयराम महतो को लोगों ने टाइगर बना दिया है।
कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन
चंपाई सोरेन को शिबू सोरेन का बेहद करीबी और विश्वासी माना जाता है। इसलिए शायद जब 31 जनवरी 2024 में हेमंत सोरेन जेल गए तो राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी में उन्हें बैठाया गया ना की हेमंत सोरेन की पत्नी या उनके भाई को। हालांकि, चंपाई सोरेन ने अब झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का दामन छोड़ दिया है। 30 अगस्त 2024 को उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। पहले उन्हें शिबू सोरेन या उनके परिवार से कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन हेमंत सोरेन ने जेल से छूटने के बाद जब फिर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तब चंपई सोरेन को लगने लगा की उन्हें सीएम की कुर्सी से हटाकर अपमानित किया है। वह अपने इस अपमान की वजह हेमंत सोरेन और उनके परिवार को मानते हैं। वह भाजपा के साथ जाकर खुश नजर आते हैं। लेकिन उनसे ज्यादा खुश तो भाजपा है। भाजपा के हाथ कम से कम एक टाइगर तो लगा। अब देखने वाली बात यह कि इस विधानसभा चुनाव में कोल्हान टाइगर भाजपा की ओर से दहाड़ पाते हैं या नहीं।
टाइगर जगरनथ महतो
झारखंड के डुमरी विधानसभा इलाके के एक और टाइगर हुआ करते थे। उनका नाम जगरनाथ महतो था। वह झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के दिग्गज नेता थे। वह जीवित रहते झामुमो के साथ ही थे। साल 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बने सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री के पद को संभालने का मौका मिला था। लेकिन कोरोना काल में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद भी उनकी लोकप्रियता खत्म नहीं हुई. उनके निधन के बाद साल 2023 में डुमरी विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी बेबी देवी ने चुनाव जीता था और विधायक बनी थीं. उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अखिल झारखंड छात्र संघ की प्रतिनिधि यशोदा देवी को 17,000 से अधिक मतों से हराया था. अब यह हेमंत सोरेन की कैबिनेट का हिस्सा भी हैं. लोगों ने जगरनाथ महतो को टाइगर नाम इसलिए दिया था। क्योंकि वह हमेशा आदिवासी-मूलवासी के हितों की बात करते थे। उन्होंने शराब के खिलाफ भी अभियान चलाया था। वह लोगों की समस्या और लफड़े भी सुलझाते थे।
टाइगर जयराम महतो
लोकसभा चुनाव 2024 के पहले से झारखण्ड में एक नए टाइगर का नाम जोरों शोरों से गूंज रहा है। कोयलांचल में जयराम महतो ने झारखंडी भाषा खतियान को आधार बनाकर राजनीति शुरू की। इसके बाद उनकी पहचान एक जुझारू नेता के रूप में हुई। उन्होंने इतनी जल्दी अपनी क्या खूब पहचान बनाई है। इस बारे में शायद ही किसी ने सोचा होगा। उनकी पार्टी जेबीकेएसएस ने पहली बार इसी साल लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने कम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा। उनकी पार्टी भले जीती ना हो। लेकिन पहली बार चुनाव लड़ते हुए जेबीकेएसएस ने अच्छा प्रदर्शन किया था। इससे सभी पार्टियों का संकट बढ़ गया है। गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से जयराम महतो को झामुमो प्रत्याशी मथुरा महतो से अधिक वोट मिले थे। चुनाव में कुडमी समाज के लोगों ने जयराम का खुलकर साथ दिया था। NDA गठबंधन खुद को कुडमी वोटरों का ठेकेदार मानती है। हालांकि NDA प्रत्याशी आजसू पार्टी के चंद्र प्रकाश चौधरी को कुडमी वोट नहीं मिले थे. जेबीकेएसएस के सभी प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव 2024 में यह दिखा दिया कि झारखंड के कुडमी समाज के लोग टाइगर जयराम के साथ हैं।