जमशेदपुर: कांग्रेस के दो और शहजादों की राजनीति में एंट्री होनी जा रही है। इनमें से एक शहजादा लोहरदगा से विधायक और झारखंड के मंत्री रामेश्वर उरांव के बेटे राहुल उरांव हैं। दूसरा शहजादा लोहरदगा के सांसद सुखदेव भगत के बेटे अभिनव सिद्धार्थ हैं। राहुल उरांव लोहरदगा की मनिका सीट से चुनाव में उतर सकते हैं। रामेश्वर उरांव लोहरदगा विधानसभा सीट से अपनी पारी खेलने को तैयार है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि रामेश्वर उरांव अभी मंत्री हैं और कांग्रेस विधायक दल के नेता भी हैं। इसलिए दिल्ली में उनकी पकड़ मजबूत हुई है। अभी वह संन्यास नहीं लेना चाहेंगे। क्योंकि यह इनका राजनीतिक उरूज है। कहा जा रहा है कि रामेश्वर उरांव लोहरदगा विधानसभा सीट से लड़ेंगे। जबकि अपने बेटे को मनिका विधानसभा सीट से लड़ाएंगे। लोहरदगा की तरह मनिका विधानसभा सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
रामेश्वर की बेटी के भी चुनाव लड़ने की चर्चा
चर्चा यह भी चल रही है कि लोहरदगा से रामेश्वर उरांव की बेटी निशा उरांव चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। लेकिन, राजनीतिक पंडितों का कहना है कि निशा उरांव केंद्र सरकार में एक अधिकारी हैं। उन्हें चुनाव लड़ने के लिए दो महीने पहले वीआरएस लेना पड़ेगा। इसलिए निशा उरांव के राजनीति में आने की संभावना न के बराबर है। जानकारों का कहना है कि रामेश्वर उरांव अपनी राजनीतिक विरासत अपने बेटे राहुल उरांव को ही सौंपेंगे।
लोहरदगा से चुनाव लड़ना चाहते हैं सुखदेव के बेटे
लोहरदगा से सांसद सुखदेव भगत के बेटे अभिनव सिद्धार्थ भी चुनाव मैदान में कूदने की योजना बना रहे हैं। वह लोहरदगा या मनिका सीट से टिकट चाहते हैं। इसलिए लोहरदगा और मनका में टिकट के लिए कांग्रेस के अंदर ही खींचतान मची है। अभिनव सिद्धार्थ एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में अपने पिता को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह काफी मेहनती माने जाते हैं और चुनाव के सभी गुर से वाकिफ है। ऐसे में देखना है कि अभिनव सिद्धार्थ कांग्रेस से टिकट प्राप्त कर पाते हैं या नहीं। लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी। लोहरदगा लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत जीते थे।
लोहरदगा विधानसभा सीट से कांग्रेस को मिली थी बढ़त
लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत को 27000 वोटों की बढ़त मिली थी। हालांकि लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की जीत को रोकने के लिए झामुमो के विधायक चमरा लिंडा भी निर्दलीय के तौर पर मैदान में कूद गए थे। मगर इसके बावजूद इंडिया गठबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ा था। इंडिया गठबंधन ने लोहरदगा की सभी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त बनाई थी और भाजपा के उम्मीदवार समीर उरांव को हराया था। उन्हें लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा से अधिक वोट मिले थे। साल 2019 के लोहरदगा विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के रामेश्वर उरांव जीते थे।
लोहरदगा में है यह इलाका
लोहरदगा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है। लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में सदर प्रखंड के अलावा कुडू, कैरो, किस्को, पेशरार, सेन्हा और भंडरा प्रखंड आते हैं। सेन्हा और भंडरा का कुछ हिस्सा बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र में है। और बाकी स्थल लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में है ।
लोहरदगा में है कांग्रेस का दबदबा
लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा है। यह कांग्रेस का गढ़ है। साल 2009 में लोहरदगा सीट से आजसू पार्टी के कमल किशोर भगत जीते थे। हालांकि 2014 के चुनाव में कमल किशोर भगत ने फिर जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पाले में चली गई और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव ने यहां से जीत हासिल की।
नहीं लग पा रहा बाक्साइट का कारखाना
लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में बॉक्साइट का कारखाना लगाने की लोगों की पुरानी मांग है। यह मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इलाके में बेरोजगारी की समस्या है। लोगों का कहना है कि अगर बॉक्साइट का कारखाना लग जाए तो क्षेत्र के नौजवानों को रोजगार मिल सकता है। लोहरदगा का इलाका कृषि पर निर्भर है। इसके बावजूद यहां सिंचाई के साधन की कमी है। इससे कृषि उत्पादन पर असर पड़ता है और किसान की आमदनी भी नहीं बढ़ पा रही है।