क्या है वोटिंग के तूफान का मतलब, क्या प्रतिष्ठा बचा पाएंगे चार पूर्व सीएम
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान खत्म होने के बाद राजनीतिक जानकार इस बात को लेकर मंथन में जुट गए हैं कि आखिर झारखंड का सरताज कौन बनेगा। किस दल का होगा सीएम। किस पार्टी की बन सकती है सरकार। पहले चरण के मतदान के बाद कौन मार रहा है बाजी। पहले चरण की 43 सीटों पर मतदान प्रतिशत इस बार बढा है। वोटिंग के इस तूफान का क्या मतलब है। आज के इस राजनीतिक विश्लेषण में हम इन्हीं सवालों का जवाब तलाश करेंगे।
बढ़े वोटिंग प्रतिशत का किसे फायदा
झारखंड में पहले चरण में 43 सीटों पर 66 प्रतिशत मतदान हुआ है। खरसावां में सबसे ज्यादा 79.11 प्रतिशत और रांची में सबसे कम 52.27 प्रतिशत मतदान रिकार्ड किया गया है। पहले चरण में कई सीटों पर रिकार्ड वोटिंग हुई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन 43 सीटों में जिसका पलड़ा भारी रहेगा। प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनेगी। मतदान के बाद अब राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि 43 में से किसे कितनी सीटें मिलेंगे। कौन सा गठबंधन हावी रहेगा। इंडिया गठबंधन साल 2019 के अपने प्रदर्शन को जारी रख पाएगा या एनडीए उलटफेर कर देगा। इस बार के चुनाव में अधिक वोटिंग हुई है। साल 2019 के चुनाव में इन सीटों पर 65 प्रतिशत मतदान हुआ था। मगर इस बार मतदान प्रतिशत बढ गया है।
मइयां सम्मान योजना बनी फैक्टर
आइए अब हम आपको बताते हैं कि वोटिंग के बढे हुए प्रतिशत के क्या मायने हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह बढा हुआ प्रतिशत झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना की देन है। कई इलाकों में यह देखा गया है कि वोट डालने के लिए महिलाएं अधिक निकली हैं। ग्रामीण इलाकों में बूथ पर महिलाओं की कतार देखी गई है। कहा जा रहा है कि बढा हुआ मतदान प्रतिशत ही सीटों पर उम्मीदवारों की जीत हार में निर्णायक साबित होगा। कुछ राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बढे हुए मतदान प्रतिशत के पीछे गोगो दीदी योजना का भी योगदान है। महिलाओं को इस तरह की योजना पसंद आई है। यही वजह है कि वह वोट देने के लिए अधिक से अधिक संख्या में बाहर निकली हैं। अब राजनीति के जानकार इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि अगर महिलाएं झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना से प्रभावित हुई हैं तो इसका सीधा फायदा इंडिया गठबंधन को हुआ है। अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में वापसी करता है तो इसके पीछे झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना एक बडी वजह बनी है।
ग्रामीण इलाकों से भर भर के निकले वोट
हम इससे भी सियासी माहौल का अंदाजा लगा सकते हैं कि शहरी इलाकों में वोटिंग कम हुई है। ग्रामीण इलाकों में लोगों ने भर भर के वोट डाले हैं। यही वजह है कि खरसावां, बहरागोडा, घाटशिला समेत कोल्हान, उत्तरी छोटा नागपुर और दक्षिणी छोटा नागपुर में वोटरों में उत्साह देखा गया। जबकि, शहरी इलाकों जैसे जमशेदपुर और रांची में लोग वोट देने कम निकले। निर्वाचन आयोग के आंकडों की बात करें तो खरसावां में 79.11 प्रतिशत, ईचागढ में 78.28 प्रतिशत, बहरागोडा में 78.20 स प्रतिशत, पोटका में 73.30 प्रतिशत, जुगसलाई में 69.12 प्रतिशत, घाटशिला में 75.85 प्रतिशत, तमाड में 74.05 प्रतिशत, लोहरदगा में 73.32 प्रतिशत, सरायकेला में 72.35 प्रतिशत, मांडर में 72.16 प्रतिशत, सिसई में 72.13 प्रतिशत, बिश्रामपुर में 70.87 प्रतिशत, मझगांव में 70.8 प्रतिशत, चाईबासा में 69.96 और जगन्नाथपुर में 69.84 प्रतिशत मतदान हुआ है। खूंटी में 69.77 प्रतिशत, लातेहार में 69.70 प्रतिशत, सिमडेगा में 68.85 प्रतिशत, चक्रधरपुर में 68.61 प्रतिशत, गढवा में 68.59 प्रतिशत, भवनाथपुर में 68.26 प्रतिशत, बडकागांव में 68.23 प्रतिशत, तोरपा में 67.07 प्रतिशत, मनिका में 64.15 प्रतिशत, सिमरिया में 66.80 प्रतिशत, गुमला में 65.80 प्रतिशत और बरही में 65.66 प्रतिशत वोट डाले गए हैं।
इसी तरह, पांकी में 65.58 फीसद, डाल्टनगंज में 65.22 प्रतिशत, मनोहरपुर में 64.03 प्रतिशत, बरकठ्ठा में 63.91 प्रतिशत, कांके में 62.65 प्रतिशत, चतरा में 62.17 प्रतिशत, कोडरमा में 62.15 प्रतिशत, छतरपुर में 60.91 प्रतिशत, हजारीबाग में 59.58 प्रतिशत, हुसैनाबाद में 58.41प्रतिशत, हटिया में 58.50 प्रतिशत, जमशेदपुर पश्चिम में 56.53 फीसद, जमशेदपुर पूर्वी में 56.99 प्रतिशत और रांची में 52.27 फीसद वोट डाले गए हैं।
43 सीटों में कौन फायदे में रहा एनडीए या इंडिया
अब हम आपको बताते हैं कि जिन 43 सीटों पर पहले चरण में वोटिंग हुई है उनमें कितनी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। झारखंड की 81 सीटों में से कुल 28 सीटें ऐसी हैं जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखी गई हैं। इन 28 में से 20 सीटों पर पहले चरण में 13 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया है। इसके अलावा, झारखंड की 81 सीटों में से 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन 9 सीटों में से 6 सीटों पर बुधवार को मतदान कराया जा चुका है। पहले चरण के इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार 36 सीटों पर चुनाव लड रहे हैं। आजसू के उम्मीदवार 4, जेडीयू 2 और लोजपा आर का उम्मीदवार 1 सीट पर लडा है। इसी तरह, इंडिया गठबंधन की बात करें तो जेएमएम ने 43 में से 23 सीटों पर अपने कैंडीडेट उतारे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी 17 सीटों पर चुनाव लडे हैं। 5 सीटों पर राजद के उम्मीदवार थे।
पिछले चुनाव में था यह गणित
अब हम इस बात की समीक्षा करते हैं कि पिछले चुनाव में यानि साल 2019 के चुनाव में इन सीटों पर जीत का गणित क्या था। मसलन, किस पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं। तो आइए हम आपको बताते हैं कि साल 2019 में हुए चुनाव में इन 43 सीटों में से जेएमएम को 17 सीटें मिली थीं। कांग्रेस के उम्मीदवार 8 सीटों पर और राजद का प्रत्याशी 1 सीट पर जीता था। इस तरह, इंडिया गठबंधन की बात करें तो उसे 43 सीटों में से 26 सीटें मिली थीं। भाजपा 13 सीटों पर कामयाब हुई थी।
कोल्हान की सीटों पर क्या होने जा रहा
अब हम इस बात पर मंथन करेंगे कि क्या इंडिया गठबंधन पिछले चुनाव के प्रदर्शन को इस बार दोहरा पाएगा या फिर उसे झटका लग सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार कई सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम आएंगे। मसलन, जमशेदपुर पश्चिमी में पहले कांग्रेस काफी मजबूत नजर आ रही थी। मगर, कांग्रेस के नेताओं की बिना सोचे समझे दी गई अनर्गल बयानबाजी की वजह से इस सीट पर एआइएमआइएम और जदयू के मजबूत होने की बात कही जा रही है। यानि, पहले जो राजनीतिक जानकार इस सीट से कांग्रेस को निकलता हुआ देख रहे थे। अब कह रहे हैं कि सीट फंस गई है। इस सीट पर कांटे का टक्कर है। जमशेदपुर पश्चिम सीट का नतीजा इस पर डिपेंड करता है कि एआइएमआइएम कितना वोट काट लेती है। जदयू के रणनीतिकार भी इस पर अपनी जीत की संभावना तलाश रहे हैं कि एआइएमआइएम को कितना वोट मिलने जा रहा है। पिछले चुनाव में एआइएमआइएम को आठ हजार के आसपास वोट मिले थे। इस बार एआइएमआइएम के मजबूत होने की चर्चा है। अगर ऐसा हुआ है तो नुकसान कांग्रेस का होगा। इस सीट पर चुनाव में बडा फैक्टर निर्दलीय उम्मीदवार विकास सिंह भी हैं। कभी सरयू राय के करीबियों में शुमार होने वाले विकास सिंह जदयू को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस सीट का परिणाम विकास सिंह को मिलने वाले वोट से भी प्रभावित होगा। कहा जा रहा है कि कांग्रेस का जितना नुकसान एआइएमआइएम ने किया अगर उतना ही नुकसान विकास सिंह जदयू का कर देंगे तो हिसाब बराबर हो जाएगा और कांग्रेस की राह आसान हो सकती है। जमशेदपुर पूर्वी में भी कांटे की टक्कर कही जा रही है। यहां परिणाम निर्दलीय उम्मीदवार शिवशंकर सिंह और राजकुमार सिंह को मिलने वाले वोट पर निर्भर करेगा।
घाटशिला में पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन के आने से भाजपा की स्थिति ठीक हुई है। वह टक्कर में आ गई है। बहरागोडा और पोटका का यही हाल है। इन दोनों सीटों पर जेएमएम का चेहरा ठीक नहीं होने की बात कही जा रही है। माना जा रहा है कि यहां जेएमएम को जो भी वोट पडे हैं वह सीएम हेमंत सोरेन व उनकी पत्नी कल्पना सोरेन की वजह से पडे हैं। कल्पना सोरेन ने इस इलाके में काफी मेहनत की है। यह देखना होगा कि बहरागोडा में जेएमएम नेता कुणाल षाडंगी पार्टी की कितनी मदद कर पाते हैं। पोटका में भाजपा के राजनीतिक दिग्गज पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने अपनी पत्नी मीरा मुंडा के लिए चक्रव्यूह रच दिया है। जेएमएम के प्रत्याशी संजीव सरदार के सामने इसे तोडने की चुनौती है। संजीव सरदार के कई वीडियो वायरल हुए हैं जिनसे उनकी इमेज पर सवाल उठे हैं। बहरागोडा और पोटका सीटों पर जेएमएम के कैंडीडेट पर कई बडे आरोप हैं। जुगसलाई में भी बदलाव की बयार बही है। जुगसलाई में जेएमएम के प्रत्याशी मंगल कालिंदी के व्यवहार से पार्टी का नुकसान हो सकता है। इस सीट पर भाजपा और आजसू का गठबंधन होने से भी एनडीए मजबूत स्थिति में है। इस तरह, पिछले चुनाव की बात करें तो इस बार कुछ उलटफेर हो सकता है। कोल्हान में पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का खाता नहीं खुला था। राजनीतिक जानकारों का आकलन है कि इस बार यहां कोल्हान की कुछ सीटें एनडीए की झोली में गिर सकती हैं।
चार सीएम की प्रतिष्ठा है दांव पर
आइए पहले चरण के एक और अहम पहलू पर बात करते हैं। पहले चरण में चार पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर है। इनमें पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा हैं जिनकी पत्नी मीरा मुंडा पोटका से लड रही हैं। पूर्व सीएम चंपई सोरेन खुद सरायकेला से हैं तो उनके बेटे बाबूलाल सोरेन घाटिशला से चुनाव लड रहे हैं। जमशेदपुर पूर्वी की सीट पूर्व सीएम ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की नाक का सवाल बन गई है। इस सीट पर पूर्व एसपी डाक्टर अजय कुमार के होने से भाजपा सांसत में नजर आई। जगन्नाथपुर से पूर्व सीएम मधुकोडा की पत्नी गीता कोडा चुनाव मैदान में हैं। यहां मधु कोडा की नाक का सवाल है। लोग टकटकी लगा कर देख रहे हैं कि मधु कोडा इस सीट पर अपनी पत्नी को जिता पाते हैं या नहीं।