रांची: झारखंड में चुनाव होने ही वाले हैं. इसके लिए सभी पार्टी हर सीट पर मंथन कर रही हैं .साथ ही साथ झारखण्ड का सियासी बाजार चुनाव को लेकर काफी गरम है. सभी पार्टियों ने हर एक सीट को जीतने के लिए अपनी कमर कस ली है. यहां कुल 81 विधानसभा सीट है. इन सभी सीटों की अपनी ही एक कहानी है. इनमें से एक ऐसी सीट है जो झारखण्ड की एकमात्र सामान्य विधानसभा सीट है. बाबा बासुकीनाथ इसी क्षेत्र में विराजित है. इस सीट पर साल 2000 तक हर बार विधायक बदलता रहा है. हालांकि इस सीट से हरिनारायण राय, देवेन्द्र कुंवर और बादल पत्रलेख ने इस मिथ को ख़तम कर दिया है. इस सीट से अधिकतर निर्दलीय ही अपना झंडा गाड़ते हुए आ रहे हैं. इस सीट में ज्यादातर भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय के बीच अच्छा मुकाबला देखने को मिलता है. हम बात कर रहे है जरमुंडी विधानसभा सीट की. यह सीट दुमका जिले में स्थित है. यह गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से जुड़ा है. यह देवघर और दुमका के दो प्रखंडो में फैला है. इसमें देवघर का सारवां और दुमका का जरमुंडी शामिल है.
ब्राह्मण, मुस्लिम और आदिवासी का इस सीट पर है प्रभाव
पूर्व के एक आंकड़ों के मुताबिक जरमुंडी विधानसभा क्षेत्रा में आदिवासिओं की आबादी 20 प्रतिशत है. यहा मुस्लिमों की आबादी 5 प्रतिशत, यादव 12 प्रतिशत, ब्राह्मण 8, कोयरी 4, दलित 4, और अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 26 प्रतिशत है.
इस सीट से पहले दो विधायक चुने जाते थे
इस सीट में 1952 में यानि के आजादी के पहले प्रथम चुनाव हुए थे. उस समय यह सीट पोड़ैयाहाट-सह-जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी। इस सीट से दो सदस्यों को विधायक चुनने का प्रावधान था. इस सीट पर हुए प्रथम चुनाव में सामान्य सीट से जगदीश नारायण मंडल और अजजा सीट से झापा के चुनका हेम्ब्रम चुनाव जीतकर विधायक चुने गए थे. जरमुंडी को साल 1957 में दुमका विधानसभा क्षेत्र से जोड़ दिया गया. इस समय भी यहा से दो विधायक चुनने का प्रावधान था. इस चुनाव में सामान्य सीट से सनात राउत और अजजा से झारखंड पार्टी के टिकट पर बेंजामिन हांसदा ने चुनाव जीता था और विधायक चुने गए थे. स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र के रूप में जरमुंडी साल 1962 में अस्तित्व में आया था. साल 1962 से 2019 तक जरमुंडी में कुल 14 बार विधानसभा चुनाव हुए थे. इस 14 बार हुए विधानसभा चुनाव में 6 बार निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव जीता, कांग्रेस ने 5 बार, भाजपा ने 2 बार और झामुमो ने 1 बार चुनाव जीता था. लेकिन पार्टी बदल कर देवेन्द्र कुंवर ने यहा से दो बार चुनाव जीता और विधायक बने. उन्होंने साल 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ा था और साल 2000 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और लगातार दो बार चुनवा जीते और विधायक बने. वहीं साल 2005 और 2009 में हरि नारायण राय ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और लगातार दो बार वह चुनाव जीतकर विधायक बने. साल 2014 और 2019 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जरमुंडी के वर्त्तमान विधायक बादल पत्रलेख ने इस सीट में चुनाव लड़ा और वह भी लगातार दो बार इस सीट से चुनाव जीता और विधायक बने. साल 2019 के दिसंबर में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार में उन्हें राज्य के कृषि मंत्री की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिला. वह करीब चार साल तक इस पद पर थे.
कांग्रेस के बादल संकट में, भाजपा को जरमुंडी में बढ़त
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में गोड्डा लोकसभा सीट से जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी निशिकांत दुबे को बढ़त मिली थी. उन्हें कांग्रेस से 44,398 वोट अधिक मिले थे.इस चुनाव में निशिकांत चुनाव में चौथी बार सांसद चुने गए हैं. जरमुंडी से लोकसभा चुनाव में बढ़त के बाद कांग्रेस के लगातार दो बार के विधायक बादल पत्रलेख को मुश्किल में डाल दिय है. सियासी बाजार में यह चर्चा है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में जरमुंडी से बढ़त के कारण ही जब हेमंत सोरेन दुबारा मुख्यमंत्री बने तब उनकी कैबिनेट में बादल पत्रलेख को कृषि मंत्री के पद से हटा दिया गया. अब बादल पत्रलेख को कांग्रेस टिकट देगी या नहीं देगी इस बात को लेकर अटकलों का बाजार गरमाया हुआ है.
देवेंद्र कुंवर और अभयकांत समेत कई नामों हो रही है चर्चा
इस बार इस सीट से भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों लंबी सूची है. इस सूची में भाजपा झारखण्ड के पहले प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद अभय कांत प्रसाद समेत आरएसएस, भाजपा और देवेन्द्र कुंवर के साथ लम्बे अर्से से जुड़े समाजसेवी सीताराम पाठक, बीजेपी के प्रदेश सचिव रविकांत मिश्र उर्फ मुन्ना मिश्र, जिला अध्यक्ष गौरव कांत प्रसाद और कई नामों की चर्चा हो रही है. अब यह देखना है की दुमका की इस एकमात्र सामान्य सीट से भाजपा अपना प्रत्याशी किसे बनती है. यश तो समय ही बताएगा. लेकिन यह बात तो तय है की इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा.
क्षेत्र में बादल की है अच्छी पकड़
बादल पत्रलेख इस सीट से विधायक हैं. वह पिछले 10 सालों से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे है. बादल पत्रलेख और कांग्रेस पार्टी के समर्थकों का यह दावा है की इस इलाके में पुल-पुलिया का निर्माण, सड़क का निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करना, ग्रामीण इलाके में पेयजल की व्यवस्था के साथ साथ राज्य के किसानों के बकाया 50 हजार रुपए के कृषि ऋण माफी के वायदे को पूरा किया गया है. इससे राज्य के लाखों किसान ऋण मुक्त हो गए है. इसके साथ ही सरकार ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में किसानों के 2 लाख तक के कृषि ऋण माफ़ करने का और राज्य के बहन-बेटियां जो 18 से 50 वर्ष तक की है उन्हें मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत सालाना 12 हजार रूपए देने का प्रावधान चालू किया गया है. इससे जरमुंडी सहित राज्य के लाखों महिलाएं और किसान लाभान्वित हुए है. इस बात को लेकर JMM और कांग्रेस को विश्वास है की झारखंड की जनता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जरमुंडी में वर्तमान विधायक बादल पत्रलेख पर अपना विश्वास जताएगी.
नोनीहाट को प्रखंड और जरमुंडी को अनुमंडल बनाने की मांग
वहीं भाजपा झारखण्ड सरकार पर कई आरोप लगा रही है . जैसे हेमंत सरकार राज्य में रोजगार देने के अपने वायदे को पूरा करने में विफल है. इसके साथ भाजपा में विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में शिथिलता बरतने और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर कांग्रेस और झामुमो को गर्ने की लगातार प्रयास कर रही है. सहनीय लोगों का कहना है की पिछले 10 सालों में इस क्षेत्र में अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. इस क्षेत्र में बाबा बासुकीनाथ विराजते है. स्थानीय लोगों का कहना है की यहाँ सावन में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते है. उनके लिए सरकार ने विकास की कई विभिन्न योजना बनाई लेकिन उसे धरातल में नहीं उतार पाए. वही यहा के किसान तो सिर्फ एक फासला खेती पर निर्भर है. इसे छोड़कर यहा रोजी- रिजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है. यहाँ के लोग अन्य शहरों जैसे दिल्ली. मुंबई में रोजगार करने के लिए पलायन कर रहे है. इस क्षेत्र में आजादी के बाद अब तक उच्च शिक्षा के लिए कोई बेहतर शिक्षण संस्थान नहीं है. इसी कारण यहा के अधिकतर बच्चे देवघर और दुमका सफ़र करने के लिए मजबूर है. यहाँ के लोग काफी लंबे अर्से से नोनीहाट को प्रखंड और जरमुंडी को अनुमंडल बनाने की मांग कर रहे है.हर चुनाव में चाहे कांग्रेस के प्रत्याशी हो या भाजपा के प्रत्याशी हो वह नोनीहाट को प्रखंड और जरमुंडी को अनुमंडल बनाने का वादा कर के चुनाव लड़ते है. लेकिन इन वादों को आज तक पूरा नहीं किया गया है. इस बार भी यह मुद्दा को चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों के द्वारा उठाना तय माना जा रहा है.
साल 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम
पिछले बार हुए विधानसभा चुनाव में जरमुंडी से कांग्रेस प्रत्याशी बादल पत्रलेख चुनाव जीतकर विधायक बने थे. इस सीट से उन्हें कुल 52,507 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान पर बीजेपी के प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर को 49,408 वोट मिले थे. बादल पत्रलेख ने हरि नारायण राय को 3,099 वोट से हराया था. तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी फुल कुमारी देवी को कुल 17,313 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर जेवीएम प्रत्याशी संजय कुमार को कुल 9,242 वोट मिले थे.
साल 2014 के विधानसभा चुनाव परिणाम
इस चुनाव में जरमुंडी से कांग्रेस के प्रत्याशी बादल पत्रलेख ने चुनाव जीता था और विधायक बने थे. यहा से उन्हें कुल 43,981 वोट मिले थे. दुसरे स्थान पर जेएमएम प्रत्याशी हरि नारायण राय को कुल 41273 वोट मिले थे. बादल पत्रलेख ने हरि नारायण राय को कुल 2,708 वोट से हराया था. तीसरे स्थान पर भाजपा के प्रत्याशी अभय कांत प्रसाद को कुल 29,965 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर जेवीएम के प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर को 14,189 वोट मिले थे.
साल 2009 के विधानसभा चुनाव परिणाम
इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी हरि नारायण राय ने जीत हासिल की और चुनाव जीतकर विधायक बने. इस चुनाव में उन्हें कुल 33,512 वोट मिले थे. दुसरे स्थान में जेएमएम प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर को कुल 23,025 वोट मिले थे. हरि नारायण राय ने देवेन्द्र कुंवर को कुल 10,487 वोट से हराया था. तीसरे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी बादल पत्रलेख को कुल 17,955 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर बीजेपी के प्रत्याशी वरुण कुमार को 11,197 वोट मिले थे.
साल 2005 के विधानसभा चुनाव परिणाम
इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी हरि नारायण राय ने जीत हासिल की और चुनाव जीतकर विधायक बने. इस चुनाव में उन्हें कुल 28,480 वोट मिले थे. दुसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर को कुल 22,171 वोट मिले थे .हरि नारायण राय ने देवेन्द्र कुंवर को कुल 6,309 वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर RJD के प्रत्याशी चक्रधर यादव को कुल 8884 वोट मिले थे. चौथे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी मणिशंकर को 7,524 वोट मिले थे.
साल 2000 के विधानसभा चुनाव परिणाम
इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर ने चुनाव जीता और विधायक बने. उन्हें इस चुनाव में कुल 24,082 वोट मिले थे वहीं दुसरे स्थान पर बीएसपी के प्रत्याशी हरिनारायण राय को कुल 19,019 वोट मिले थे.देवेन्द्र कुंवर ने हरिनारायण राय को 5,063 वोट से हराया था.
1952-2019 तक कौन कौन रहा है जरमुंडी का विधायक
1952 – झापा के चुनका हेम्ब्रम (एसटी.)
1952 – कांग्रेस के जगदीश ना. मंडल (सामान्य)
1957- झापा के बेंजामिन हांसदा (एसटी.)
1957- झापा के सनाथ राउत (सामान्य)
1962- कांग्रेस के श्रीकांत झा
1967- निर्दलीय प्रत्याशी सनाथ राउत
1969- कांग्रेस के श्रीकांत झा
1972- कांग्रेस के श्रीकांत झा
1977- निर्दलीय प्रत्याशी दीप नाथ राय
1980- निर्दलीय प्रत्याशी जवाहर सिंह
1985- बीजेपी के अभय कांत प्रसाद
1990- निर्दलीय प्रत्याशी जवाहर सिंह
1995- जेएमएम प्रत्याशी देवेन्द्र कुंवर
2000- बीजेपी के देवेन्द्र कुंवर
2005- निर्दलीय प्रत्याशी हरि नारायण राय
2009- निर्दलीय प्रत्याशी हरि नारायण राय
2014- कांग्रेस के बादल पत्रलेख
2019- कांग्रेस के बादल पत्रलेख