क्या भाजपा के मंडल अध्यक्षों को मिलेगी सियासी टॉनिक, जानें क्यों असम के सीएम ने सबको बुलाया राजधानी
रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। सितंबर में चुनाव का एलान हो सकता है। भाजपा इसकी तैयारी में जोर शोर से जुट गई है। रांची में शुक्रवार को बीजेपी की बड़ी बैठक होने जा रही है। इस मीटिंग में सूबे के कोने-कोने से भाजपा कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं। इस मीटिंग के लिए शानदार इंतजाम किए गए हैं। सहजानंद चौक के पास एक बैंक्वेट हाल बुक किया गया है। इस मीटिंग में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा भी भाग ले रहे हैं।
झारखंड के 512 मंडल के अध्यक्ष होंगे शामिल
इस मीटिंग में झारखंड के सभी मंडल के अध्यक्ष शामिल होंगे। झारखंड में 512 मंडल हैं। इन सभी को रांची बुलाया गया है। मीटिंग में दो सत्र होंगे। इस मीटिंग में विधानसभा चुनाव की रणनीति तैयार की जाएगी। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा मंडल अध्यक्षों को चुनाव के टिप्स देंगे। इस मीटिंग में शामिल होने के लिए असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा गुरुवार को रांची पहुंचे थे।
23 को आक्रोश रैली के जरिए होगा शंखनाद
इस मीटिंग की अध्यक्षता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी करेंगे। रांची में भाजपा विधानसभा चुनाव का शंखनाद करने जा रही है। इसके लिए रांची में 23 अगस्त को युवा आक्रोश रैली निकाली जाएगी। इसकी तैयारी में भाजपा जोर शोर से जुटी है। इस युवा आक्रोश रैली में भीड़ जुटाने की कवायद शुरू कर दी गई है। सूत्र बताते हैं कि मंडल अध्यक्षों को इसी लिए रांची बुलाया गया है ताकि वह हालात की गंभीरता को समझें। माना जा रहा है कि सभी मंडल अध्यक्षों से कहा जाएगा कि वह 23 अगस्त को ज्यादा से ज्यादा भीड़ लेकर रांची पहुंचें।
बेरोजगारी को बनाया जाएगा मुख्य मुद्दा
झारखंड में विधानसभा चुनाव में भाजपा इस बार बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बनाने जा रही है। भाजपा ने इसी मुद्दे पर विधानसभा में हंगामा किया था। भाजपाइयों का आरोप है कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पिछले विधानसभा चुनावों में युवाओं से रोजगार का वादा किया था। भाजपा का कहना है कि अब तक वह वादा पूरा नहीं हो पाया है। जबकि, सीएम हेमंत सोरेन का कहना है कि उन्होंने युवाओं को रोजगार दिया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव 2019 के बाद कोरोना के चलते सरकार को ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिला। इसके बाद भी इंडिया गठबंधन की सरकार ने जनहित की कई योजनाएं शुरू की हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना ही विपक्ष के मुद्दे पर भारी पड़ी है।