रांची: रविवार 15 सितंबर को देश के पूर्व वित्त और विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने अटल विचार मंच नाम की एक राजनीतिक पार्टी का गठन किया है. उन्होंने फॉर्म भर कर इस नई पार्टी की पहली सदस्यता भी ली. अटल विचार मंच का दफ्तर हजारीबाग के पुराने भाजपा कार्यालय अटल भवन में खुला है.
झारखंड की 81 सीटों पर चुनाव लड़ेगी AVM
हजारीबाग में यशवंत सिन्हा ने ऐलान किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अटल विचार मंच पार्टी झारखण्ड के सभी 81 सीट से चुनाव लड़ेगी. इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. पार्टी की पहली प्राथमिकता ईमानदार दावेदारों पर होगी. यशवंत सिन्हा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अटल विचार मंच कोई चंदा वसूलने वाली या स्वयंसेवी संगठन नहीं है. पूर्ण रूप से यह एक राजनीतिक पार्टी है. उन्होंने एक आम कार्यक्रम में अपनी पार्टी का गठन किया.
क्या दूसरे पार्टी से होगा गठबंधन ?
यह एक बड़ा सवाल है कि यशवंत सिन्हा की अटल विचार पार्टी क्या स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी या किसी के साथ गठबंधन करेगी. इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पहले पार्टी को सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना है. इसके बाद क्या स्वरूप बनता है. इसे देखते हुए तैयारी की जाएगी. पार्टी के इस पहले कार्यक्रम में उनके साथ उनकी पत्नी समेत कई पुराने भाजपा नेता मौजूद थे.
भाजपा अटल जी के सिद्धांतों से चली गई है दूर
यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों से दूर होती जा रही है. यशवंत सिन्हा ने टिप्पणी की कि इस बदलाव को देखते हुए एक नई पार्टी का गठन किया जाएगा जो अटल बिहारी वाजपेयी के विचारों और मार्गदर्शक सिद्धांतों पर आधारित होगी. यशवंत सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा से लोगों का विश्वास उठ रहा है, जिसका प्रमाण हाल के लोकसभा चुनाव में मिला जब पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार करने में विफल रही और केवल 240 सीटों पर सिमट गई.
इस अवसर पर यशवंत सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े उदाहरण प्रस्तुत किए और यह स्पष्ट किया कि वर्तमान भाजपा के सिद्धांत वाजपेयी के विचारों से मेल नहीं खाते. उन्होंने यह भी कहा कि जैसे कांग्रेस महात्मा गांधी को भूल रही है, वैसे ही भाजपा ने भी अटल बिहारी वाजपेयी को भुला दिया है, और भारत रत्न जैसे सम्मान भी इस सच्चाई को बदलने में असमर्थ हैं.
पीएम मोदी के बयान पर जताई आपत्ति
यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झारखंड दौरे पर आलोचना की है, जहां नरेंद्र मोदी ने मंच से झारखंड के तीन दुश्मनों के रूप में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी का उल्लेख किया. यशवंत सिन्हा ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक प्रधानमंत्री को मंच से ऐसा बयान नहीं देना चाहिए.
यशवंत सिन्हा ने स्पष्ट किया कि वे कांग्रेस, आरजेडी या जेएमएम की वकालत नहीं करते। लेकिन प्रधानमंत्री को ‘दुश्मन’ की जगह ‘प्रतिद्वंदी’ जैसे शब्द का उपयोग करना चाहिए था. उन्होंने इस बयान को लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं बताया और सवाल उठाया कि क्या अटल बिहारी वाजपेयी की जगह नरेंद्र मोदी होते, तो क्या वे भी अपने प्रतिद्वंद्वियों को दुश्मन कहते? यशवंत सिन्हा ने यह अंतर अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण में बताया.
विपक्ष को केंद्र में नहीं मिल रहा साथ
यशवंत सिन्हा ने लोकतंत्र की मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि एक मजबूत विपक्ष लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है. उन्होंने टिप्पणी की कि वर्तमान में विपक्ष को पर्याप्त स्थान नहीं मिल पा रहा है, जिससे लोकतंत्र कमजोर हो रहा है.
यशवंत सिन्हा ने समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि भारत के लोकतंत्र को अटल बिहारी वाजपेयी की तरह ही चलाना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, आवास योजना और अन्य कई योजनाओं की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी, जो आज भी प्रभावी हैं. ये योजनाएं वाजपेयी की दूरदर्शिता का प्रतीक हैं.
केंद्र सरकार को दो बैसाखी का सहारा
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार का अब तीसरा कार्यकाल शुरू हो चुका है, जबकि अमेरिका में कोई भी प्रधानमंत्री दो बार से अधिक कार्यकाल नहीं ले सकता. उन्होंने आलोचना की कि भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. यशवंत सिन्हा ने वर्तमान सरकार को ‘दो बैसाखी पर चल रही’ सरकार बताया और चेतावनी दी कि यदि ये बैसाखी हटा दी जाए तो सरकार गिर जाएगी. यशवंत सिन्हा ने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसके बाद महाराष्ट्र और झारखंड तथा फिर बिहार में चुनाव होंगे. यदि भाजपा इन चुनावों में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में हार जाती है, तो इसका देशव्यापी असर पड़ेगा और भारत सरकार पर सवाल उठेंगे.
केंद्र सरकार नही कर पाएगी अपना कार्यकाल पूरा
उन्होंने मोदी सरकार की स्थिरता पर संदेह जताते हुए कहा कि यह सरकार पांच साल तक नहीं चल पाएगी और जल्द ही गिर जाएगी. उन्होंने भविष्यवाणी की कि अगले लोकसभा चुनाव के बाद इस सरकार की छुट्टी हो जाएगी और एक नई सरकार का गठन होगा. उन्होंने कहा कि इस समय को हिम्मत जुटाने का मौका बताया.
यशवंत सिन्हा ने अपनी उम्र पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह उम्र के आधार पर अपनी सक्रियता को सीमित नहीं मानते. उन्होंने कहा कि जब तक भगवान ने शक्ति दी है, वह राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहेंगे. साथ ही, उन्होंने झारखंड के वर्तमान खराब मौसम की तुलना राजनीति के खराब माहौल से की और उम्मीद जताई कि समय के साथ-साथ दोनों का मौसम सुधर जाएगा.
हिमंता पर यशवंत की टिप्पणी
यशवंत सिन्हा ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर हजारीबाग में तीखी टिप्पणी की है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरमा झारखंड में माहौल खराब करने के लिए कैंप कर रहे हैं और दंगे भड़काकर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) को राजनीतिक लाभ पहुंचाना चाहते हैं. सिन्हा ने सुझाव दिया कि झारखंड की सरकार को सरमा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के पास हिंदू-मुस्लिम मुद्दों के अलावा कोई अन्य मुद्दा नहीं है।