भुवनेश्वर : ओडिशा की बीजेपी सरकार ने दो आइपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू की है। दोनों अधिकारियों को फिलहाल गृह विभाग के ओएसडी के पद पर भेज दिया गया है। इनमें से एक अधिकारी पर चुनाव के दौरान कार्य में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है। जबकि, दूसरे अधिकारी पर गलत जानकारी दे कर चुनाव के दौरान छुट्टी लेने का आरोप है। जिन दो अधिकारियों पर कार्रवाई की जा रही है वह पूर्व सीएम नवीन पटनायक के करीबी माने जाते हैं। जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें 1997 बैच के आइपीएस अधिकारी डीएस कुटे और 2004 बैच के अधिकारी आशीष सिंह हैं। इन दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर दी गई है।
भाजपा उम्मीदवार को दिया था गिरफ्तार करने का निर्देश
डीएस कुटे मुख्यमंत्री कार्यालय में विशेष सचिव थे। जबकि, आशीष सिंह सीएम सुरक्षा विभाग के महानिरीक्षक थे। यह दोनों अधिकारी मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव वीके पांडियन के करीबी थे। डीएस कुटे पर आरोप है कि उन्होंने 25 मई को मतदान वाले दिन भाजपा के एक उम्मीदवार प्रशांत जगदेव को गिरफ्तार करने का निर्देश खुर्दा के कलेक्टर को दिया था। इसके बाद तभी चुनाव आयोग ने इस मामले में फौरन संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की थी। डीएस कुटे को चुनाव आयोग ने सस्पेंड कर दिया था। दरअसल, भाजपा के उम्मीदवार प्रशांत जगदेव ने 24 मई की देर शाम एक विज्ञापन जारी कर दिया था। इसी पर डीएस कुटे ने नाराजगी जताते हुए खुर्दा के कलेक्टर को प्रत्याशी को अरेस्ट करने का निर्देश दिया था।
मतदान दिवस के दिन नहीं छपने दिया था विज्ञापन
डीएस कुटे पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सीईओ से विज्ञापन की मंजूरी वापस लेने को कहा था। ताकि, अगले दिन मतदान दिवस को यह विज्ञापन जारी नहीं हो सके। चुनाव आयोग के अनुसार यह कार्रवाई अखिल भारतीय सेवा आचरण नियम 1963 के नियम 54 के साथ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। इसीलिए इन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। इस तरह की कार्रवाई अखिल भारतीय सेवा के सदस्य के लिए अशोभनीय मानी गई है।
चुनाव के दौरान छुट्टी लेना महंगा पड़ा
सीएम की सुरक्षा विभाग के महानिरीक्षक आशीष सिंह ने चार मई से ही मेडिकल अवकाश ले लिया था। इस वजह से वह भी चुनाव आयोग की कार्रवाई के दायरे में आ गए थे। बाद में उनकी जांच कराई गई। भुवनेश्वर एम्स ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से फिट घोषित कर दिया था। जांच में पाया गया कि आशीष सिंह ने छुट्टी लेने के लिए गलत बयानी की थी।
30 दिन के अंदर देना है जवाब
राज्य सरकार ने इन दोनों अधिकारियों से कहा है कि वह 30 दिन के अंदर अपना जवाब दाखिल कर दें। इन दोनों अधिकारियों का जवाब आने के बाद इनके खिलाफ आगे की कार्रवाई की जाएगी। इन अधिकारियों से कहा गया है कि वह नोटिस में लगाए गए हर एक आरोप का बिंदुवार जवाब दें।