भारत को धोखे में रख कर चीन ने पेंगोंग त्सो पर बना दिया ब्रिज, जानिए क्या है चीन का नापाक मंसूबा
नई दिल्ली : चीन अपने नापाक इरादों से बाज नहीं आ रहा है। चीन ने फिर एक ऐसी हरकत की है जिससे देश की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। चीन ने लद्दाख में पेंगोंग त्सो झील पर ब्रिज बना लिया है। सैटेलाइट की तस्वीरों से इस ब्रिज का पता चला है। इस ब्रिज के जरिए चीन टैंक जैसे बड़े हथियार इस पार ला सकता है। ये ब्रिज लद्दाख के खुर्नाक इलाके में है। ये ब्रिज उत्तरी लद्दाख को दक्षिणी लद्दाख से जोड़ता है। इस ब्रिज के बन जाने के बाद अब चीन रेजांग ला से फिंगर फोर तक नजर रख सकेगा। बताया जा रहा है कि गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प के बाद ही चीन ने इस पुल का निर्माण शुरू किया था। यह पुल अब बन कर तैयार हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन इस पुल का इस्तेमाल कर अपने सैनिकों को झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारों पर तैनात करना चाहता है। यह पुल झील के उत्तरी छोर पर फिंगर आठ से 20 किलोमीटर दूर है।
17 जुलाई को ली गई थी सैटेलाइट इमेज
यह सैटेलाइट इमेज 17 जुलाई को ली गई थी। यह इमेज जियो इंटेलीजेंस एक्सपर्ट डेमियन सिमोन ने ली थी। सैटेलाइट की इमेज से पता चल रहा है कि चीन पुल के दोनों तरफ सड़क भी बना चुका है। बताते हैं कि यह प पुल साल 2021 में अक्टूबर महीने में बन कर तैयार हुआ था। यह पुल 134 किलोमीटर लंबी झील के सबसे संकरे इलाके खुर्नक किले के पास बनाया गया है। बताते हैं कि जून 1958 में चीन ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया था।
सिरीजाप से 25 किलोमीटर दूर है पुल
चीन जो पुल बनाया रहा है वह सिरीजाप से 25 किलोमीटर दूर है। मई 2020 में पैंगोंग त्सो में चीन व भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इसे बाद 16 जून को गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों व चीनी सैनिकों के बीच झड़प में 20 भारतीय और 40 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी। इसके बाद भारतीय सेना ने एक ऑपरेशन को अंजाम देते हुए पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। यह पुल खुर्नक की दक्षिण तट के बीच की दूरी भी खत्म कर देगा। पुल बन जाने के बाद खुर्नक से रुतोग के बीच का रास्ता अब 40 किलोमीटर का बचा है। पहले इन दोनों के बीच की दूरी 200 किलोमीटर के आसपास थी।