1 लाख 26805 किमी रेल रूट पर हादसे का खतरा, 1500 किमी पर ही रेलवे लगा सका कवच, 10 साल में 756 रेल हादसों में 750 ने गंवाई जान
नई दिल्ली : देश में बुलेट ट्रेन चलाने पर चर्चा हो रही है। मगर, बुलेट ट्रेन से ज्यादा जरूरी है ट्रेनों के हादसे रोकना। इन हादसों में हर साल सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। एक्सीडेंट होने की ज्यादा घटनाएं ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से होती हैं। जानकारों का कहना है कि सरकार देश के सभी रेल रूट को ऑटोमेटिक रेल प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी कवच से लैस कर ट्रेन एक्सीडेंट पर रोक लगा सकती है। क्योंकि, यह टेक्नोलॉजी ट्रेन को पटरी से उतरने से रोक देती है। रेल रूट पर कवच लगने की वजह से उन हादसों पर लगाम लग जाएगी जो ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से होती हैं।
अब तक 1500 किमी पर ही कवच
रेल मंत्री ने पिछले साल राज्यसभा को बताया था कि सरकार ट्रेन हादसे रोकने के लिए रेल रूट पर ऑटोमेटिक रेल प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी कवच लगान का एलान किया था। मगर, रेलवे रेल रूट पर कवच लगाने में लापरवाही बरत रहा है। रेलवे ने कुल एक लाख 28 हजार 305 किमी रेल रूट में से सिर्फ 5000 किलोमीटर रूट पर कवच लगाने का एलान किया था मगर, अब तक 1500 किलोमीटर रेल रूट को ही कवर किया है। कहा जा रहा है कि अगर रेल कवच लगा होता तो शायद गोंडा में होने वाला रेल हादसा नहीं होता और यात्रियों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। इस ट्रेन हादसे में दो लोगों अररिया के सरोज कुमार सिंह और चंडीगढ़ के राहुल की मौत हुई है। यह हादसा भी डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की बोगियों के पटरी से उतर जाने की वजह से हुई है।
अब तक हुए 756 रेल हादसे
रेलवे के आंकड़ों के अनुसार साल 2014 से साल 2024 के बीच 756 रेल हादसों में 750 यात्रियों की मौत हो गई। जबकि, 1500 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इनमें से 426 ट्रेन एक्सीडेंट ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुए हैं। पिछले साल ही 48 ट्रेन हादसे हुए थे। इनमें से 36 ट्रेन हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से ही हुए।
कैसे काम करता है कवच
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। इसे भारतीय रेलवे ने आरडीएसओ की मदद से डेवलप किया है। इस तकनीक का सफल प्रयोग हो चुका है। जिस रूट पर कवच लगा रहेगा वहां ट्रेन की बोगियां पटरी से नहीं उतरेंगी। अभी कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट पर लगाने का काम चल रहा है। मगर, सूत्रों का कहना है कि कवच लगाने का काम काफी धीमा चल रहा है। अब तक इन दोनों रूट पर कवच लगाने का काम पूरा कर लिया जाना चाहिए था। मगर, ऐसा नहीं हो सका है। दूसरे चरण में अभी मुंबई-हावड़ा रूट के अलावा अन्य रूट पर भी कवच लगना है। कवच दोनों ट्रेनों की भिड़ंत भी रोक देती है। प्रयोग के दौरान कवच टेक्नोलॉजी ने दूसरी ट्रेन को 380 मीटर दूर ही रोक दिया था। कवच प्रणाली में हाईफ्रीक्वेंसी के रेडियो कम्यूनिकेशन का प्रयोग होता है। ये सिस्टम हेड ऑन टकराव, रियर एंड टकराव और सिग्नल खतरे को रोकता है। इस प्रणाली के तहत सिग्नल जंप होने पर ट्रेन खुद ब खुद रुक जाती है। ट्रेन की ब्रेक फेल होने पर कवच प्रणाली स्वचालित ब्रेक के जरिए ट्रेन को धीरे धीरे रोक देती है।
साल 2014 से अब तक हुए रेल हादसे
▪️26 मई, 2014
गोरखधाम एक्सप्रेस
30 लोगों की मौत
50 से ज्यादा घायल
▪️20 मार्च, 2015
जनता एक्सप्रेस
58 लोगों की मौत
150 से ज्यादा घायल
▪️20 नवंबर, 2016
इंदौर-पटना एक्सप्रेस
153 लोगों की मौत
150 से ज्यादा घायल
▪️21 जनवरी, 2017
हीराखंड एक्सप्रेस
41 लोगों की मौत
68 से ज्यादा घायल
▪️18 अगस्त, 2017
पुरी-हरिद्वार उत्कल एक्सप्रेस
23 लोगों की मौत, 60 घायल
▪️23 अगस्त, 2017
कैफियत एक्सप्रेस
70 लोग घायल
▪️10 अक्टूबर, 2018
न्यू फरक्का एक्सप्रेस
7 लोगों की मौत
60 से ज्यादा घायल
▪️3 फरवरी, 2019
सीमांचल एक्सप्रेस
7 लोगों की मौत, 37 घायल
▪️13 जनवरी, 2022
बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस
9 लोगों की मौत, 36 घायल
▪️2 जून, 2023
बालासोर रेल हादसा
296 लोगों की मौत
900 से ज्यादा घायल
▪️11 अक्टूबर, 2023
नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस
4 लोगों की मौत
100 से ज्यादा घायल
▪️17 जून, 2024
कंचनजंगा एक्सप्रेस
15 लोगों की मौत
60 से ज्यादा घायल
▪️18 जुलाई, 2024
डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस
4 लोगों की मौत, कई घायल