जमशेदपुर : पूर्व केंद्रीय मंत्री भाजपा नेता अर्जुन मुंडा पोटका से चुनाव लड़ सकते हैं। सियासी फिजा में यह चर्चा तैर रही है। कहा जा रहा है कि अर्जुन मुंडा खरसावां या खूंटी से चुनाव नहीं लड़ेंगे। अब उन्होंने पोटका सीट को चुन लिया है। अर्जुन मुंडा पोटका आए तो उनकी झामुमो से कड़ी टक्कर होगी। भाजपा के पास अभी पोटका में ऐसा कोई दमदार उम्मीदवार नहीं है जो झामुमो से टक्कर ले सके। मगर, पिछले चुनावों में हुई हार के बाद अर्जुन मुंडा का भी ग्राफ गिरा है। जनता के बीच उनकी पहले जैसी छवि नहीं है। मगर, उनके पोटका से खड़े होने की चर्चा के बाद राजनीतिक हलके में कयास लगाए जाने लगे हैं कि आखिर पोटका से इस बार कौन विधायक बनेगा। अर्जुन मुंडा पहले झारखंड के सीएम भी रह चुके हैं। इस बार कौन सीएम बनेगा इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। अर्जुन मुंडा भी सीएम पद की दौड़ में शामिल हैं।
एक एक सीट पर चल रहा मंथन
पिछले बार कोल्हान में भाजपा का खाता नहीं खुला था। भाजपा को इस क्षेत्र से एक भी सीट नहीं मिली थी। इसलिए, इस बार भाजपा इस इलाके में जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। एक-एक सीट पर मंथन चल रहा है। जिताऊ उम्मीदवार ढूंढे जा रहे हैं। वह चाहे किसी भी पार्टी के हों। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अगर पसंद आ गया तो उसे उसकी पार्टी से तोड़ कर भाजपा में लाया जा रहा है। संगठन को मजबूत बनाने के लिए चाल चली जा रही है। सूत्र बताते हैं कि इसी कड़ी में भाजपा के थिंक टैंक ने तय किया है कि अर्जुन मुंडा को पोटका से उतारा जाए। सूत्रों की मानें तो अर्जुन मुंडा ने भी इसके लिए हामी भर ली है।
परिवर्तन रैली समेत कई कार्यक्रमों में हुए शामिल
पोटका पर अर्जुन मुंडा की नजर पहले से ही है। विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू होते ही तीन महीने पहले से अब तक अर्जुन मुंडा इस इलाके में कई कार्यक्रम कर चुके हैं। कुछ दिनों पहले भाजपा ने परिवर्तन रैली निकाली थी। अर्जुन मुंडा ने पोटका में परिवर्तन रैली में जोर-शोर से भाग लिया था। इससे इस बात को बल मिलता है कि अर्जुन मुंडा पोटका से चुनाव लड़ेंगे। इसी के साथ अर्जुन मुंडा पोटका में भाजपा के नेटवर्क को मजबूत करने में जुट गए हैं।
खरसावां से चार बार रहे विधायक
अर्जुन मुंडा खरसावां से चार बार विधायक रहे हैं। मगर, विधानसभा चुनाव 2014 में अर्जुन मुंडा यहां से हार गए थे। इसके बाद 2019 का चुनाव दोबारा खरसावां से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सके। बाद में अर्जुन मुंडा ने राजनीति में बने रहने के लिए लोकसभा चुनाव का सहारा लिया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा को खूंटी लोकसभा चुनाव से भाजपा का टिकट दिया गया। अर्जुन मुंडा खूंटी से पहली बार चुनाव लड़ रहे थे। इसलिए जनता ने उन्हें सपोर्ट किया और वह न केवल सांसद बने बल्कि केंद्रीय मंत्री भी बनाए गए। मगर, पांच साल की अवधि में जनता उनसे नाराज हो गई। जनता की नाराजगी इस कदर थी कि लोग नतीजा आने से पहले ही कह रहे थे कि अर्जुन मुंडा हार जाएंगे। वही हुआ। लोकसभा चुनाव 2024 में खूंटी की जनता ने अर्जुन मुंडा को हरा दिया। अर्जुन मुंडा को उनके कुछ करीबियों ने खूंटी या खरसावां से एक बार और किस्मत आजमाने की सलाह दी। मगर, अर्जुन मुंडा ने मना कर दिया। सूत्रों की मानें तो वह एक सुरक्षित सीट की तलाश में हैं। इसके लिए पोटका की सीट उन्हें फिट नजर आ रही है।
ये नेता भी टिकट के लिए सजा रहे फील्डिंग
पोटका से भाजपा के नेता गणेश सरदार, पूर्व विधायक मेनका सरदार, उपेंद्र नाथ सरदार, मनोज सरदार आदि भी टिकट के लिए फील्डिंग सजा रहे हैं। मगर, इन सब नामों में अभी अर्जुन मुंडा का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। इस सीट पर प्रदेश नेतृत्व फूंक फूंक कर कदम रख रहा है। पोटका से भाजपा के लिए पूर्व सीएम चंपई सोरेन का भी नाम चल रहा है। मगर, बाबूलाल सोरेन घाटशिला पर फोकस किए हुए हैं। वह पांच साल से घाटशिला में तैयारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि वह घाटशिला से ही चुनाव लड़ेंगे। जबकि, झामुमो से इस बार संजीव सरदार ही चुनाव लड़ेंगे। संजीव सरदार ने साल 2019 के चुनाव में भाजपा की मेनका सरदार को हराया था। मेनका सरदार भी 2009 और 2014 में पोटका से विधायक बनी थीं। वह दो बार पोटका से विधानसभा का चुनाव जीत चुकी हैं।
पोटका में भूमिज समुदाय का है दबदबा
पोटका में हमेशा भूमिज समुदाय का दबदबा रहा है। यहां से ज्यादातर भूमिज उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। इनमें सनातन सरदार, मेनका सरदार, संजीव सरदार, हाड़ीराम सरदार, अमूल्यो सरदार आदि शामिल हैं। यही वजह है कि यहां सभी राजनीतिक दल भूमिज उम्मीदवार की ही तलाश करते हैं। पोटका विधानसभा क्षेत्र में आदिवासियों और मुस्लिम समुदाय की मिला कर 50 प्रतिशत आबादी है। जबकि, अकेले सरदार मतदाता 15 प्रतिशत हैं। जबकि, मुस्लिम आबादी 6 प्रतिशत है।
लोकसभा चुनाव में बढ़त पर थी भाजपा
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा बढ़त पर थी। भाजपा के उम्मीदवार सांसद विद्युत वरण महतो को एक लाख 11 हजार 554 मत मिले थे। जबकि, झामुमो उम्मीदवार समीर मोहंती को 99 हजार 507 मत मिले थे। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के प्रत्याशी संजीव सरदार को एक लाख 10 हजार 753 मत मिले थे। जबकि, भाजपा की मेनका सरदार को 67 हजार 643 मत मिले थे।