जमशेदपुर : कोल्हान को जीतने के लिए जहां बीजेपी ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। बीजेपी इस बार कोल्हान की 14 सीटों में से अधिक से अधिक सीट निकालने की कोशिश में जुट गई है। एक-एक सीट के लिए मोहरे चले जा रहे हैं। हर सीट के लिए जिताऊ उम्मीदवार की तलाश है तो झामुमो अपने सिपाहसालारों को ही मैदान में उतारेगा। उसके विधायक ही चुनाव लड़ेंगे। झामुमो के लिए इस बार नेगेटिव प्वाइंट यह है कि कोल्हान में उसके पांस उनका टाइगर यानि चंपई सोरेन नहीं हैं। झामुमो कोल्हान बचाने की कोशिश में लग गई है। टाइगर के भाजपा में चले जाने के बाद अब झामुमो ने कोल्हान को शेरनी के हवाले करने का फैसला किया है। यह शेरनी कौन है। आइए जानते हैं फिफ्थ पिलर की इस रिपोर्ट में।
कोल्हान में शेरनी बन कर उभरी हैं कल्पना
गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन एक मंजी हुई राजनेता के तौर पर उभरी हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले कोल्हान में झारखंड मुख्यमंत्री मइयां सम्मान योजना यात्रा निकाली। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उनकी यह यात्रा जबर्दस्त तरीके से कामयाब रही। कल्पना सोरेन को सुनने के लिए महिलाएं उमड़ पड़ीं। उनकी सभाओं में भीड़ नजर आई। कल्पना सोरेन पुरानी राजनेता नहीं हैं। वह अपने पति हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद ही उनकी राजनीतिक विरासत संभालने निकली थीं। मगर कम दिनों में ही उन्होंने झारखंडियों के दिल पर राज करना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि झामुमो कोल्हान में कल्पना सोरेन के सहारे ही अपनी नैया पार करने की योजना बना रही है। कहा जा रहा है कि अगर कल्पना सोरेन को प्रचार-प्रसार के लिए कोल्हान में उतारा गया तो इस इलाके में कोल्हान की कई सीटों पर वह प्रभावशाली साबित होंगी।
टाइगर का कोल्हान में नहीं है ज्यादा असर
कोल्हान में टाइगर कहे जाने वाले चंपई सोरेन का कोई खास असर नहीं है। सरायकेला विधानसभा सीट पर भी वह अक्सर कम अंतर से ही जीतते रहे हैं। सरायकेला में भाजपा मजबूत रही है। हो सकता है कि भाजपा में जाने से चंपई खुद अपनी सीट पर फायदा उठा सकते हैं। क्योंकि, इस सीट पर जो भाजपा का वोट बैंक है वह चंपई की झोली में चला जाएगा। लेकिन, अगर झामुमो सरायकेला में खुद को संभाल ले गई तो चंपई के लिए सरायकेला निकालना भी काफी मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि, यह सीट सिंहभूम संसदीय सीट के तहत आती है। सिंहभूम संसदीय सीट पर झामुमो की जोबा मांझी सांसद हैं।