– मधु कोड़ा के बाद अब विनोद सिन्हा भी कर रहे हैं इंट्री की तैयारी, पांकी से लड़ सकते हैं चुनाव
रांची : भाजपा. वह पार्टी जो यह दावा करते नहीं थकती है कि वह देश ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बडी पार्टी है. लेकिन आज यह पार्टी झारखंड में कितनी कमजोर हो गई है, उसकी एक बानगी हम आपको बताने जा रहे हैं. पिछले दिनों रांची में बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम के पार्टी में शामिल होने पर भाजपा की ओर से सदस्यता ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम की यह तस्वीर भाजपा के दुर्दिन की कहानी कहने के लिए काफी है. इस तस्वीर में बाईं ओर से पहले स्थान पर हैं अमर कुमार बाउरी, जो बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम में थे, लेकिन अब भाजपा में आकर विधायक दल के नेता हैं. उनके बगल में हैं सीता सोरेन, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा से आई हैं. उनके ठीक बगल में हैं कोयला घोटाले में तीन साल की सजा पाने वाले पूर्व सीएम मधुकोड़ा जिन्हें कभी भाजपा भ्रष्टाचार का प्रतीक बताते नहीं थकती थी। मधुकोड़ा के बाद खड़े हैं बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम जिन्हें भाजपा झामुमो से तोड़ कर लाई है। इसके बाद झारखंड विकास मोर्चा के पूर्व संस्थापक पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी हैं। बाबूलाल का हाथ पकड़े झामुमो से भाजपा में आए पूर्व सीएम चंपई सोरेन हैं, सबसे अंत में हैं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, जो साल 2015 तक खांटी कांग्रेसी था। शारदा चिटफंड घोटाले में नाम आने के बाद जब सीबीआई ने उनके गुवाहाटी स्थित आवास पर रेड मार दी तो भाजपा में आ कर सीएम बन गए। इस तस्वीर पर विपक्ष ही नहीं, खांटी भाजपाई भी मजे ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर फोटो डाल कर पूछा जा रहा है- कहां हैं भाजपाई। इसमें तो गैर दलों से आयातित नेता ही हैं। भाजपा कहीं नजर नहीं आ रही। बस भाजपा के नाम पर तस्वीर के पीछे लगे पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की फोटो है। यानि, झारखंड में खांटी भाजपाई बिन बिन कर किनारे कर दिए गए हैं। पुराने भाजपाई आज के हालात मन मसोस कर देख रहे हैं।
घुटन महसूस कर रहे भाजपाई
भारतीय जनता पार्टी अब बदल गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोडी वाली इस पार्टी में जिस प्रकार से हिमंता विश्वा सरमा की इंट्री हुई है, उसके बाद इस पार्टी में जिस प्रकार से मनमानी बढ़ी है, उससे पुराने भाजपाई घुटन महसूस कर रहे हैं. वर्षों तक पार्टी की सेवा करने वाले भाजपाई साइड कर दिए जा रहे हैं. दूसरी पार्टियों के नेताओं को इंपोर्ट कर जबरन उन्हें थोपा जा रहा है. भाजपा में वर्षों से मेहनत कर रहे कार्यकर्ता भी नाराज हैं कि उनकी मशक्कत में कहां कमी रह गई थी कि आज पार्टी बाहर से नेताओं को लाकर उन्हें चुनावी शतरंज के मोहरे बना रही है। बाहर से कौन नेता भाजपा में आएगा यह भी दिल्ली तय कर रही है। झारखंडी भाजपाइयों को इसकी हवा तक नहीं लगने दी जा रही है।
चोरी-चुपके पार्टी में शामिल किए गए सजायाफ्ता मधु कोड़ा
सजायाफ्ता मधु कोड़ा भी भाजपा में शामिल हो गए। चंपई सोरेन और लोबिन हेंब्रम को पार्टी में शामिल कराने से पहले बयान दिए गए। प्रचार-प्रसार किया गया। मगर, मधुकोड़ा के बारे में ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्हें चुपचाप चुपके से बैक डोर से भाजपा में शामिल करा लिया गया। माना जा रहा है कि मधु कोड़ा को पार्टी में शामिल कराने में भाजपा भी शर्मा रही थी। तभी इसका कहीं शोर गुल नहीं किया गया। कहा जा रहा है कि अब बीजेपी ने बेशर्मी की बैट्री से चलने वाली अल्ट्रा मॉडर्न वॉशिंग मशीन ले ली है, जिसमें अब घोटाले के आरोपी ही नहीं, सजायाफ्ता भी धुल कर पवित्र कर दिए जाएंगे। मधु कोड़ा को इस मशीन में डाल कर उनके कोयला घोटाले के पाप तो धुल ही दिए गए। अब उनके एक करीबी विनोद सिन्हा को भी लाने की कवायद चल रही है। कहा जा रहा है कि विनोद सिन्हा भी पांकी से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले हैं और पार्टी देर-सबेर उन्हें भी धीरे से पार्टी में शामिल कराने वाली है।
भाजपा की मशीन में धुले कई आरोपी नेताओं के पाप
यह कहावत है कि जिन पर भी घोटाले का आरोप है वह भाजपा की इस मशीन में आकर धुल जाते हैं। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा खुद इसकी जीती-जागती मिसाल हैं। हिमंता के खिलाफ तो भाजपा ने एक किताब तक निकाल दी थी, जिसमें उनकी भष्ट्राचार की दास्तान लिखी गई थी। इसमें गुवाहाटी जलापूर्ति घोटाले और लुइस बर्जर रिश्वत कांड में हिमंता बिस्वा सरमा को मुख्य आरोपी करार दिया गया था। सीबीआई ने शारदा चिटफंड घोटाले में उन्हें आरोपी बनाया था। हिमंता पर शारदा ग्रुप के डायरेक्टर सुदीप्त सेन से 20 लाख रुपये प्रति माह लेने का आरोप था। आखिरी बार सीबीआई ने उनसे 27 नवंबर 2014 में बात की थी। इसके बाद अगस्त 2015 में हिमंता ने बीजेपी ज्वाइन कर ली तो सीबीआई ने उनकी फाइल बंद कर दी। पश्चिम बंगाल के शुभेंदु अधिकारी के साथ भी यही हुआ। शारदा चिटफंड घोटाले में नाम आने के बाद शुभेंदु अधिकारी से सीबीआई बराबर पूछताछ कर रही थी। नारदा स्टिंग आपरेशन में पैसा लेने का आरोप लगने के बाद शुभेंदु के खिलाफ ईडी ने भी एक केस खोल दिया था। मगर, जैसे ही शुभेंदु बीजेपी में गए। ईडी और सीबीआई की फाइलें बंद हो गईं। महाराष्ट्र के कद्दावर नेता अजीत पवार पर 70 हजार करोड़ रुपये के सिंचाई घोटाले का आरोप था। प्रधानमंत्री मंच से अजीत पवार को भ्रष्टाचारी कह कर पुकारते थे। 2019 में अजीत पवार भाजपा में चले गए थे तो उनके सारे जुर्म खत्म कर दिए गए। उनकी सारी फाइलें बंद कर दी गईं। यह मिसालें हैं। इस तरह के नेताओं की लंबी लिस्ट है जो पहले घोटालों के आरोपी थे और भाजपा में आने के बाद पाक-साफ हो गए।