संसद में राहुल को 45 मिनट तो संजय सिंह को सिर्फ 7 मिनट, जानें कैसे तय होता है लोकसभा में कौन कितने देर बोलेगा
नई दिल्ली : संसद में कोई सांसद 45 मिनट या इससे अधिक समय तक बोलता है तो किसी सांसद को सिर्फ 5 या 7 मिनट ही बोलने को मिलता है। ऐसे में लोगों के बीच यह सवाल है कि आखिर कौन तय करता है कि कौन सांसद 45 मिनट बोलेगा तो कौन सांसद 5 मिनट बोलेगा। एक अगस्त को राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान राहुल गांधी को 45 मिनट बोलने का मौका मिला था जबकि, राजद सांसद मनोज झा को सिर्फ 5 मिनट ही मिले थे। मनोज झा राज्यसभा में स्पीकर हरिवंश नारायण सिंह से बोले थे कि जब आप 5 मिनट बोलते हैं तो लगता है कि फांसी देने से पहले अंतिम इच्छा पूछी जा रही है। आइए जानते हैं कि सांसदों को संसद में कितनी देर बोलना है। यह कौन तय करता है।
कार्यमंत्रणा समिति तय करती है किस पार्टी को मिलेगा कितना समय
संसद को चलाने के लिए बनाई गई कार्य मंत्रणा समिति (बिजनेस एडवाइजरी कमेटी) यह तय करती है कि किस पार्टी को सदन में बोलने के लिए कितना समय दिया जाएगा। किस पार्टी को किसी मुद्दे पर बोलने के लिए कितना समय आवंटित किया जाएगा यह उस पार्टी के सदन में संख्याबल के आधार पर तय किया जाता है। मसलन, अगर किसी मुद्दे पर बोलने के लिए 60 मिनट का समय तय किया गया है और भाजपा की लोकसभा में हिस्सेदारी 44.20 प्रतिशत है। कांग्रेस के पास 18.20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस तरह, 60 मिनट को इसी प्रतिशत के आधार पर बांट दिया जाएगा। भाजपा को बोलने के लिए 60 मिनट में से 27 मिनट मिलेंगे। जबकि, कांग्रेस को 11 मिनट, सपा को 4 मिनट, टीएमस को 3 मिनट और बचा हुआ समय इसी प्रतिशत के अनुपात में दूसरी पार्टियों को दिया जाएगा।
सांसदों में पार्टी बांटती है समय
कार्य मंत्रणा समिति जिस पार्टी के लिए बोलने का जो समय तय करता है, स्पीकर इससे पार्टी के अध्यक्ष को अवगत करा देता है। इसके बाद पार्टी का अध्यक्ष तय करता है कि उसके किस सांसद को बोलने के लिए कितना मौका मिलेगा। जैसे अगर किसी मुद्दे पर संसद में बोलने के लिए 60 मिनट का समय रखा गया है। इसमें कांग्रेस को 11 मिनट मिला है। अब कांग्रेस का अध्यक्ष समझेगा कि वह अपने एक ही सांसद को बोलने के लिए 11 मिनट दे दे या फिर एक से अधिक सांसद में यह समय बांट देगा। मसलन, अगर कांग्रेस चाहती है कि संसद में उसके तीन सांसद बोलेंगे तो वह इस समय को तीन सांसदों में बांट देगी। जैसे- एक सांसद को 5 मिनट, दूसरे को 3 मिनट और तीसरे को 3 मिनट दिए जा सकते हैं।
कब बनी थी कार्य मंत्रणा समिति
लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर ने सदन के काम को सही तरीके से करने के लिए एक कमेटी बनाने की जरूरत महसूस की थी। उन्होंने इसके लिए सदन के नेता को 28 मार्च 1951 को पत्र लिखा था। इसके बाद कार्यमंत्रणा कमेटी (बिजनेस एडवाइजरी कमेटी) बीएसी बनाई गई। दोनों सदनों के 26 सांसद इस कमेटी के सदस्य होते हैं। अगर कोई मंत्री बन गया तो इस कमेटी से उसे इस्तीफा देना पड़ता है। कमेटी में 15 सांसद लोकसभा से और 11 सांसद राज्यसभा से लिए जाते हैं। बीएसी का गठन 14 जुलाई 1952 को हुआ था।