जमशेदपुर : पोटका विधानसभा सीट पर इस बार झामुमो का किला दरक रहा है। झामुमो के सिपाही एक-एक कर पार्टी छोड़ रहे हैं और विधायक संजीव सरदार कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इससे पोटका में झामुमो की स्थिति कमजोर होती जा रही है। अचानक पूर्व विधायक मेनका सरदार एक्टिव हो गई हैं और कई कार्यक्रमों में जनता उन्हें रिस्पांस दे रही है। पूर्व सीएम चंपई सोरेन भी इस विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं और भाजपा में शामिल होने के बाद कई बार इलाके का दौरा कर चुके हैं। कोल्हान में भाजपा को मजबूत बनाने में जुटे चंपई सोरेन पोटका में झामुमो की सेना को तहस-नहस करने में जुट गए हैं। पोटका में लगातार पार्टी के हो रहे नुकसान से झामुमो संगठन परेशान है। बताया जा रहा है कि मामला रांची तक पहुंच चुका है। पार्टी के आलाकमान से डैमेज कंट्रोल करने और पार्टी की छवि को बेहतर करने का फरमान जारी हुआ है। मगर जानकार बताते हैं कि पोटका में झामुमो को संभालना संजीव सरदार के लिए टेढी खीर होगा।
झामुमो में जारी है इस्तीफे का सिलिसिला
झामुमो से हाल ही में इस्तीफा देने का जो सिलिसला शुरू हुआ है वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक-एक कर पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता इस्तीफा दे रहे हैं। 1994 में झामुमो से जुड़े पार्टी के युवा मोर्चा के पूर्व प्रखंड सचिव निरूप हांसदा ने इस्तीफा दिया है। इसके अलावा, कुछ दिन पहले झामुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके लव कुमार सरदार ने भी इस्तीफा दे चुके हैं। इसी तरह, पार्टी के प्रखंड कोषाध्यक्ष पोलटू मंडल भी पार्टी छोड़ चुके हैं। इसके पहले पार्टी से शंकर मुंडा ने भी इस्तीफा दे दिया था। वह विधायक प्रतिनिधि भी रह चुके हैं। इस तरह, पोटका में अब तक झामुमो का काफी नुकसान हो चुका है। माना जा रहा है कि पोटका में इस बार झामुमो की हालत कमजोर पड़ रही है।
भाजपा से सामने आ रहे हैं कई दावेदार
पोटका में भाजपा के टिकट के लिए कई दावेदार सामने आ रहे हैं। पोटका की पूर्व विधायक मेनका सरदार ने टिकट पर दावा कर रही हैं। इसके अलावा, भाजपा अनुसूचित जनजाति के प्रदेश समिति के सदस्य उपेंद्र नाथ सरदार भी चुनावी तैयारी में जुट गए हैं। हालांकि, पूर्व विधायक मेनका सरदार यहां से तीन बार जीत का झंडा लहरा चुकी हैं। वह साल 2000, 2009 और 2014 में जीत का परचम लहरा चुकी हैं। उनके व्यवहार की वजह से जनता उन्हें पसंद करती है। उन्होंने पोटका में काफी काम भी कराया है। जबकि, उपेंद्र नाथ सरदार साल 2014 में पोटका से चुनाव लड़े थे और हार गए थे। जनता ने उन्हें पसंद नहीं किया था। उपेंद्र नाथ सरदार महज 10905 मतों में सिमट गए थे। वह पांचवें नंबर पर थे। उनसे अधिक वोट झारखंड पीपुल्स पार्टी के सूर्य सिंह बेसरा और कांग्रेस की दुखनी माई सरदार को मिले थे। राजनीतिक सूत्रों की मानें तो इस वजह से उपेंद्र नाथ सरदार टिकट की दावेदारी में पिछड़ रहे हैं। अलबत्ता, टिकट के लिए नेता प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और प्रदेश के सह प्रभारी असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा तक अपनी पहुंच बना रहे हैं।