शेख हसीना के भागने के बाद बांग्लादेश में अवामी लीग के नेताओं की आफत, जानें कैसे हैं हालात
ढ़ाका : बांग्लादेश से शेख हसीना के भागने के बाद वहां अव्यवस्था का माहौल है। छात्रों के आंदोलन के दौरान 200 से अधिक छात्रों की मौत पुलिस की गोली से हुई थी। जनता शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से नाराज हैं। इसके चलते लोग अवामी लीग के नेताओं के घरों को जला रहे हैं और उन पर हमले हो रहे हैं। 5 अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़ कर भागने के बाद ढ़ाका के धान मंडी इलाके में अवामी लीग के दो मंजिला दफ्तर को जला दिया गया। यहां तोड़फोड़ हुई। डर की वजह से अवामी लीग के कई नेता अभी भी अंडरग्राउंड हैं।
अभी भी अंडरग्राउंड हैं कई नेता
अवामी लीग के आर्गनाइजेशन लीडर सुजीत नंदी ने पत्रकारों को बताया कि वह मुश्किल में हैं। उन्होंने कहा कि अवामी लीग के सभी नेताओं पर हमले हो रहे हैं। सुजीत नंदी ने बताया कि उनके घर पर भी हमला हुआ था। अवामी लीग के एक बड़े नेता अनवर हुसैन भी अंडरग्राउंड है। उन्होंने पत्रकारों को फोन पर बताया कि हालांकि, उन पर अभी हमला नहीं हुआ है, फिर भी वह अंडरग्राउंड हैं। उन्होंने कहा कि अवामी लीग के सभी नेता परेशानी में हैं। अंतरिम सरकार का गठन हो गया है मगर, अब तक उनसे संपर्क नहीं किया गया है। इस सरकार में अवामी लीग को शामिल नहीं किया गया है। बांग्लादेश में शेख हसीना को एक तानाशाह के तौर पर देखा जा रहा है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक नेता का कहना है कि अब बांग्लादेश में आम चुनाव होने चाहिए। ताकि, सत्ता चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में हो।
1949 को स्थापित हुई थी अवामी लीग
बांग्लादेश में अवामी लीग पार्टी 23 जून साल 1949 में स्थापित हुई थी। तब इसका नाम पूर्व पार्किस्तान अवामी मुस्लिम लीग था। पार्टी की स्थापना के 6 साल बाद पार्टी के नाम से मुस्लिम शब्द हटा दिया गया। बाद में चार अप्रैल 1977 को इस पार्टी को रिलांच किया गया था। इसके पहले अध्यक्ष अब्दुल हमीद खान भशानी थे। साल 1970 में हुए आमचुनाव में पार्टी को बहुमत मिला था मगर वह सत्ता में नहीं आ सकी थी। 25 मार्च को पाकिस्तानी सेना ने बांग्लादेश की जनता के खिलाफ आपरेशन सर्च लाइट शुरू किया था। बाद में बांग्लादेश आजाद हुआ और शेख मुजीबुर्रहमान देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद पार्टी का नाम बांग्लादेश अवामी लीग हो गया था।
15 अगस्त को हुई थी शेख मुजीब की हत्या
15 अगस्त 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या कर दी गई थी। 1981 में शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना वाजिद ने पार्टी की कमान संभाली और यहां की प्रेसीडेंट बनीं। 1991 के चुनाव में अवामी लीग सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी। 1996 में अवामी लीग को बहुमत मिला और शेख हसीना प्रधानमंत्री बनीं। साल 2001 में अवामी लीग फिर चुनाव हार गई और सत्ता से बाहर हो गई।
2000 से सत्ता पर काबिज थीं शेख हसीना
इसके बाद 2009, 2014 और 2019 में हुए चुनाव में लगातार अवामी लीग ही चुनाव जीत रही थी। अवामी लीग ने सरकार बनाई और शेख हसीना का तख्त पर कब्जा बरकरार रहा। साल 2024 में इस साल फिर अवामी लीग को ही चुनाव में बहुमत मिला और उसी की सरकार बनी मगर, छात्रों के नौकरी में रिजर्वेशन कोटा के विरोध में शुरू आंदोलन ने तख्ता पलट कर दिया।